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इंजीनियरिंग से महंगी स्कूलों की फीस

रायपुर| Naidunia| Last Modified रविवार, 8 अप्रैल 2012 (00:53 IST)
निजी स्कूलों के फीस निर्धारण के लिए राज्य में कोई कानून नहीं है। इसका भरपूर फायदा ये स्कूलें उठा रहे हैं। हर साल ये मनमानी तरीके से मासिक व सालाना फीस में वृद्धि कर रहे हैं। इस साल भी सभी निजी स्कूलों ने अपनी सालाना व मासिक फीस में करीब 30 से 40 फीसदी बढ़ोतरी की है। आलम यह है कि राज्य के कई निजी स्कूलों में प्रायमरी कक्षा की पढ़ाई इंजीनियरिंग से भी महंगी हो गई है।


स्टेटस सिंबल बने ज्यादातर निजी स्कूल छात्रों से एडमिशन, स्कूल डेवलपमेंट, रि-एडमिशन, कॉशनमनी, एक्टिविटी, स्पोर्ट्स फीस व अन्य फीस सहित हजारों स्र्पए वसूल रहे हैं। वहीं कुछ स्कूलों में पालकों से डोनेशन के नाम पर मोटी रकम वसूले जा रहे हैं। इसका रसीद भी नहीं दिया जा रहा है। वहीं स्कूल शिक्षा विभाग कानून के अभाव में किसी भी कार्रवाई करने में असमर्थता जता रही है।


ड्रेस व किताब में भी कमीशन

स्कूल ड्रेस व कापी किताब में भी जबरदस्त कमीशन का खेल चल रहा है। ज्यादातर निजी स्कूलों नेस्कूल ड्रेस, बैग, मोजे-जूते व कापी-किताब के लिए दुकानें निर्धारित कर दी है। हर स्कूल की एक मोनो निर्धारित है। यह मोनो सिर्फ उनके द्वारा तय स्कूलों में ही उपलब्ध हैं। इन स्कूलों में यह सामग्री बाजार की तुलना में दोगुने कीमत पर बेची जा रही है।


कंप्यूटर शिक्षा के नाम पर वसूली

कंप्यूटर शिक्षा के नाम पर ज्यादातर निजी स्कूलों में छात्र-छात्राओं से बेतहाशा फीस ली जा रही है। वहीं इसके अनुरूप कंप्यूटर की शिक्षा नहीं दी जाती। कई स्कूलों में पर्याप्त मात्रा में कंप्यूटर नहीं है। जहांॅ है, वहांॅ आधे से ज्यादा खराब बताए जा रहे हैं।


शिक्षा का अधिकार का पालन नहीं

निजी स्कूलों में शिक्षा का अधिकार के तहत गरीब बच्चों के लिए 25 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है, लेकिन ज्यादातर निजी स्कूलों में इसका पालन नहीं किया जा रहा है। कई स्कूल संचालक गरीब बच्चे नहीं मिलने का रोना रो रहे हैं।


पालक संघ ने खोला मोर्चा

निजी स्कूलों के मनमानी से परेशान पालकों ने शुक्रवार को स्कूल शिक्षा मंत्री से बृजमोहन अग्रवाल से मुलाकात की। उन्होंने शिक्षा मंत्री से अवैध फीस वसूली एवं स्कूल प्रबंधकों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए राज्य सरकार द्वारा एक्ट बनाए जाने की मांॅग की। साथ ही स्कूली बच्चों की यूनीफार्म सहित सभी सामग्री खरीदी के लिए बाध्यता खत्म करें। निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों की तरह निजी स्कूलों में फीस निर्धारित कर स्कूलों के सूचना पटल पर फीस विवरण लिखे जाए। साथ ही बच्चों की सुरक्षा व्यवस्था, साफ-सफाई व स्वास्थ्य संबंधी व्यवस्था की जांॅच सरकार द्वारा कराई जाए।


आंदोलन करेगा पालक संघ

छत्तीसगढ़ पालक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. शिवनारायण द्विवेदी ने बताया कि निजी स्कूलों के मनमानी के खिलाफ पालक संघ राज्य में आंदोलन छेड़ेगा। इस आंदोलन से राज्य के निजी स्कूलों के सभी पालकों को जोड़ा जाएगा।


राज्य के प्रमुख निजी स्कूलों के फीस (प्रायमरी कक्षा)


निजी स्कूल पहले अब

वार्षिक मासिक वार्षिक मासिक

आरकेसी 50,000 4,000 75,000 5,000

कांगेर वैली 15,000 4,500 40,000 5,600

होली हार्ट 10,000 2,200 25,000 3,500

सालेम इंग्लिश 20,000 1,200 35,000 1,800

स्वामी विवेकानंद 1,500 1,800 4,200 1,300

डीपीएस 20,000 3,000 40,000 5,500

केपीएस -- -- 24,000 1,100

एनएच गोयल -- -- 50,000 5,000

नोट- आंकड़े पालकों से मिली जानकारी के अनुसार

वर्सन

निजी स्कूल अपने फीस तय करने के लिए स्वतंत्र है। उन्हें स्कूल की सुविधाओं के मुताबिक एक फीस स्ट्रेक्चर तय करना जरूरी है। निर्धारित फीस स्ट्रेक्चर से अधिक वसूली की शिकायत आने पर कार्रवाई की जा सकती है। वहीं फीस नियंत्रण के लिए फिलहाल कोई कानून नहीं है। इस दिशा में काम चल रहा है।


केआर पिस्दा

स्कूल शिक्षा सचिव

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वर्सन

मौजूदा कानूनों के तहत निजी स्कूलों के फीस पर अंकुश लगाना संभव नहीं है। फीस निर्धारण के लिए प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए एक कमेटी बनाई गई। वहीं ड्रेस व अन्य मटेरियल एक निश्चित जगह से ही खरीदी की बाध्यता खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है।


बृजमोहन अग्रवाल

स्कूल शिक्षा मंत्री, छत्तीसगढ़ शासन
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