क्षिप्रा नदी के 10 रोचक तथ्य

महाकाल की कुंभ नगरी उज्जैन में बहती है क्षिप्रा नदी। यह हिंदू धर्म की प्रमुख और पवित्र नदियों में से एक है। जानें रोचक तथ्य

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पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान शिव ने श्रीहरि विष्णु की अंगुली काटी दी थी। उससे जो रक्त निकला उससे क्षिप्रा नदी की उत्पत्ति हुई।

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अन्य मान्यता अनुसार शिप्रा की उत्पत्ति भगवान विष्णु के वराह अवतार के हृदय से हुई है।

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इंदौर जिले के केवकड़ेश्वर तीर्थ से आगे उज्जैनी गांव, यहां है शिप्रा टेकरी। इसके शिखर पर है शिप्रा का उद्गम स्थल शिप्रा कुंड।

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यह नदी 195 किमी लंबी है, जिसमें से 93 किमी उज्जैन से होकर बहती है।

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चंबल नदी में शामिल होने से पहले यह नदी रतलाम और मंदसौर को छूती है। इसकी सहायक नदियां कान्ह और गंभीर हैं।

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महाकाल की नगरी उज्जैन, शिप्रा के तट पर बसी है। कालभैरव और हरसिद्ध माता का मंदिर भी क्षिप्रा के तट पर स्थित है।

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क्षिप्रा नदी के तट पर ही 12 वर्ष के बाद सिंहस्थ महाकुंभ मेला लगता है। इस नदी में अमृत की बूंदे गिरी थी।

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शिप्रा के तट पर ही ऋषि संदीपनी का आश्रम या आश्रम है जहां भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण ने अध्ययन किया था।

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रामघाट और विष्णु सागर नाम स्थान पर शिप्रा नदी के तट पर भगवान श्रीराम का आगमन भी हुआ था।

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मेघदूत, ब्रह्मपुराण और स्कंद पुराण में शिप्रा नदी की महिमा लिखी है। तेज बहाव के कारण ही इसका नाम शिप्रा प्रचलित हुआ है।

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