पुष्पा परजिया
पूरी दुनिया प्यार का दिन मनाने के लिए बेताब है। अच्छा भी है, एक दिन ही सही सभी अपने हर रिश्ते में मौजूद प्यार को याद करते हैं दिल से। नफरत को दूर करके प्यार को बसाना बहुत अच्छी बात है न ! और मेरा मानना है, कि हर इंसान के जीवन में प्रेम ने कभी न कभी दस्तक दी ही होती है। हर किसी के जीवन में अपने प्रिय व्यक्ति के लिए विशेष स्थान होता है, जिसको इस प्यार के दिन वो याद करना नहीं भूलता। बस ऐसे ही कुछ भाव लेकर मैंने यह कविता लिखी है, शायद आप लोगो को पसंद आ जाए -
आंगन की जब खुली खिड़कियां
चिड़ियों का बस सुना चहकना
कर जाता है मन को हर्षित
सांसों में, ठंडी बयार बही अब फुहार संग
मन का कोना कोना भीगा
आ गई मीठी मुस्कान होठों पर अब तो
मन ने कहा बीती यादों में खोना है
खो जाऊं और खुश हो लूं क्योंकि
जीवन का वो ही एक पल तो सलोना है
एक नजर वो स्नेह से भर कर गई
एक पल में संग कई जीवन का सफर
वो स्नेहल वर्तन जिसमें निमग्न
मेरा मन आज भी मन को भा जाए
वो प्यारा सा प्यार,
था जिसके आंखों में इजहार
खड़ी सामने वो झिलमिल करती शमाएं
बर्फीली सुबह माह पूस की फिर भी ललाट पर आए पसीने
आ जाए मानो सूरज की पूरी लालिमा
शर्म सुर्खी से चेहरा उसका भर जाए
यादें मन में जाग रही हैं आज प्यार के खास दिवस में
दिल में प्यार ही प्यार भरा है
जीवन की भट्टी में निखरा
प्यार का सोना सदा खरा है
जी न सकूं वो जीवन मेरा है
चाहूं उसको जितना भी उतना कम है