बुधवार, 24 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. »
  3. वेबदुनिया विशेष 08
  4. »
  5. वेलेंटाइन डे
Written By WD

प्रेम अपरिभाषित

प्रेम अपरिभाषित -
- पंकज जोशी
ND

धूप में जीवन की जब
श्‍याम रंग को श्वेत करने
चले जो बसंत की बयार,
छलकाती फिरे हर ओर
प्रेम भाव अपरंपार...

पेशानी की सिलवटों के बीच
रास्ता बनाकर उमंग का
बरसाए सुख की फुहार,
मुस्कान बनकर होंठों की
बढ़ता प्रेम निराकार...

शोरगुल में भीड़ के
वह मौन होकर भी
करता ह्रदय में झंकार,
शब्दों के परे रहकर प्रेम
कह जाता किस्से हज़ार...

छुईमुई के पौधे सा वो तो
खिले कभी मुरझाए कभी
छाए जब निश्छल स्पर्श बहार,
शूल में कोमलता ढूँढे
पत्थर को विस्मित करता प्यार...

बुझी हुई आँखों को चीर
होंठों से श्रम कराकर
करता मुख का भाव श्रृंगार,
मन की बंजर भूमि में
बो देता नि:स्वार्थ विचार...

सीमाएँ लांघके उड़ता
मिथकों को तोड़के जीता
परिवर्तनों को सुखद बनाकर,
देता मन में विश्वास अपार,
परिभाषा से अपरिचित है जो,
ऐसा ही शायद होता प्यार???