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साइबर जगत में बहनजी और मनुवादियों की जंग

साइबर जगत में बहनजी और मनुवादियों की जंग - Uttar Pradesh assembly election, social media, Mayawati
नई दिल्‍ली। साइबर वर्ल्ड में भी यूपी की सियासी लड़ाई छिड़ चुकी है जिसे लेकर बीजेपी और बीएसपी सबसे ज्‍यादा आक्रामक हैं। दोनों दल सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म पर अपने प्रचार के साथ दूसरी पार्टियों का दुष्‍प्रचार भी कर रहे हैं। दोनों की कोशिश है कि अपनी इमेज बनाने और साथ ही दूसरों की खराब करने में कितनी सफलता मिलती है। 
हालांकि बसपा को ऐसी पार्टी के तौर पर नहीं जाना जाता था जिसका नेता टेकसैवी हो लेकिन भाजपा और सपा के प्रचार युद्ध से प्रभावित बहनजी भी अपने को रोक नहीं सकीं और उन्होंने सोशल मीडिया को आड़े हाथों लेने का काम भी शुरू कर दिया है। 
 
चुनाव के इस मैदान में बीजेपी के निशाने पर समाजवादी पार्टी है। उसने सपा की पारिवारिक कलह पर कार्टून की सीरीज बनवाई है। सपा ने अपने फेसबुक पेज पर सिर्फ 'काम बोलता है' सीरीज को प्राथमिकता दी है। बीएसपी अपने पेज पर मोदी सरकार के खिलाफ खबरें देने के अलावा सपा पर तंज कसने का काम कर रही है। उसने सपा और भाजपा पर निशाना साधने वाला कार्टून भी बनवाया है।
 
'पार्टी ने सपा हो गई सफा प्रदेश मांगे बदलाव...' शीर्षक से कार्टून बनवाया है। कांग्रेस सोशल मीडिया में आक्रामक होने की बजाय केंद्र सरकार से कालेधन और नोटबंदी पर सवाल ही पूछ रही है। बीजेपी अखिलेश यादव, मुलायम सिंह, शिवपाल और रामगोपाल यादव के बीच चल रही कलह को लेकर पार्टी की छवि खराब कर रही है इसलिए उसने मुझे दे दो सत्‍ता, वरना काट दूंगा पत्‍ता, पार्टी भी मेरी, पैसे भी मेरे, कुर्सी का क्‍लेश भूल गए प्रदेश... जैसे नारे लिखकर उस पर कार्टून बनवाकर फेसबुक पर डाला है। इसके अलावा सपा थिएटर की प्रस्‍तुति कुनबे का ड्रामा शीर्षक से भी कार्टून तैयार करवाए गए हैं।
 
हालांकि सपा नेता एवं यूपी के सीएम अखिलेश यादव ने दूसरी पार्टियों पर कीचड़ उछालने की जगह विकास की बड़ी लकीर दिखाने की कोशिश की है। उन्‍होंने समाजवादी पार्टी के फेसबुक पेज और ट्विटर अकाउंट पर 'काम बोलता है' सीरीज के वीडियो और विज्ञापन डलवाए हैं जिनमें वे खुद को काम करने वाले विकास पुरुष के तौर पर पेश कर रहे हैं।
 
लगता है कि बहनजी भी मानने लगी हैं कि सोशल मीडिया की धार के साथ मारक कार्टून भी शामिल हो जाएं तो मतदाता का मन बदल जाएगा। इसी उम्‍मीद में इसकी ताकत बीएसपी ने भी पहचान ली है और इसका प्रयोग करने का फैसला किया है। इस मैदान में कांग्रेस, सपा और बसपा की ताकत सीमित है जबकि भाजपा के बाद सोशल मीडिया की पूरी फौज है, जो कि पाठकों, दर्शकों को प्रभावित करने का अधिकतम प्रयास कर रही है।
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