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Written By WD

सदियों ने सज़ा पाई

सदियों ने सज़ा पाई -
वो वक्त भी देखा है, तारीख़ की नज़रों ने
लम्हों ने ख़ता की थी, सदियों ने सज़ा पाई---- मुज़फ़्फ़र रज़मी