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Written By ND

लादेन के जीवन का तीसरा मोड़

लादेन के जीवन का तीसरा मोड़ -
लादेन के जीवन का यह तीसरा मोड़ था। वह एक बार फिर जंग से वाबस्ता था। इस बार की लड़ाई पहले से ज्यादा कठिन थी क्योंकि यह लड़ाई उन लोगों के विरुद्ध लड़ी जानी थी, जो कल तक उसके आका थे, उसके संरक्षक थे, जिन्होंने लादेन को बनाया था और जो लादेन की हर तरह की ताकत के पहले से ही जानकार थे। इसलिए इस बार की लड़ाई पहले से कहीं ज्यादा छापामार थी। इस बार पहले से ज्यादा चौकस होकर चलते रहना था। इस तीसरे मोड़ की पहली जंग 17 दिसंबर 91 को लड़ी गई।

जेद्दाह के निकट एक सैनिक शिविर में तकरीबन 20 अमेरिकी सैनिक मैडोना के एक टेप पर थिरक रहे थे। रात के 11 बज रहे थे। सैनिकों ने शराब पी रखी थी और अब उन्हें शबाब की भी जरूरत महसूस हो रही थी। यह अंदाजा उनके हाव-भाव से लग रहा था। उनके करीबन 2 किलोमीटर दूर लालसागर में एक जंगी जहाज खड़ा था। उसकी रोशनी समुद्र के पानी में पड़कर बहुत भव्य दृश्य पैदा कर रही थी। जब शिविर में थिरक रहे अमेरिकी सैनिक अपने पूरे सुरुर में थे, तभी एक जीप उस शिविर की तरफ आती दिखी लेकिन सैनिकों ने उस जीप पर कोई ध्यान नहीं दिया।

दरअसल अमेरिकी सैनिकों की कल्पना में भी दूर-दूर तक इस तरह का कोई ख्याल नहीं था कि कोई व्यक्ति या संगठन उनसे भी झगड़ा मोल ले सकता है। उन्हें अपनी यानी अमेरिका की ताकत पर अकल्पनीय गुमान था लेकिन लादेन के मुजाहिदीनों के लिए अमेरिका के ये सैनिक व्यभिचारी मात्र थे। जो पवित्र इस्लाम की सरजमीं को नष्ट कर रहे थे। इसलिए वे बस इनका सफाया करना चाहते थे। बिना यह सब कुछ जाने कि उनके ये शत्रु कितने ताकतवर हैं।

अमेरिका की ताकत के बारे में कुछ न सोचना लादेन के मुजाहिदीनों की सबसे बड़ी ताकत थी। जब मुजाहिदीनों की यह जीप उस सैनिक शिविर से मात्र 200 मीटर दूर रह गई होगी, तभी उसमें बैठे मुख्य मुजाहिदीन ने कहा- 'फायर' और एक साथ 5 स्टिंगर मिसाइलें तथा लगभग 50 राउंड गोलियां शिविर में जा धंसीं। पलभर में दर्जनों सैनिक धराशायी हो गए। रेत में दौड़ने वाली यह जीप पलक झपकते ऐसे गायब हो गई मानो कहीं उड़ गई हो!

अमेरिका तथा सऊदी अरब के विरुद्ध लादेन की खुल्लमखुल्ला जंग शुरू हो गई। इसी जंग का एक मोर्चा सूडान की राजधानी खारतूम का वह न्यूबियन रेस्तराँ था, जहाँ सितंबर 92 में लादेन के एक मुजाहिदीन ने जबर्दस्त बम विस्फोट किया था। इसमें 230 लोग मारे गए थे।

लादेन में 1991 में सऊदी अरब छोड़ा था। 2 फरवरी 1994 को सऊदी अरब ने उसकी नागरिकता समाप्त कर दी। उसके तमाम कारोबार पर प्रतिबंध लगा दिया। उसके खातों को सील कर दिया। सऊदी अरब ने ये तमाम काम अमेरिका के दिशा-निर्देश पर किए लेकिन इन तमाम कामों के बावजूद न तो लादेन की बढ़ती हुई ताकत में कोई रोक लगी और न ही लादेन द्वारा अमेरिका और इस्लाम विरोधी सऊदी अरब सरकार के विरुद्ध हमले बंद हुए।

हमलों की इसी श्रृंखला में लादेन के मुजाहिदीनों ने 7 अगस्त 1998 को केन्या और तंजानिया स्थित अमेरिकी दूतावासों को उड़ा दिया। हमले की इसी कार्रवाई के तहत लादेन के एक साथी ने अमेरिका के सबसे सुरक्षित संस्थानों में से एक ट्रेड सेंटर में विस्फोट किया और इसी क्रम में फिलीपींस में स्थित अमेरिकी सैन्य अड्डे पर भी लादेन के आदमियों ने हमला किया। फिलीपींस के जिन छापामार संगठनों ने अमेरिका को मनीला से अपना सैनिक अड्डा खत्म करने के लिए बाध्य किया, उसमें से कई संगठन लादेन के समर्थक हैं और उन्हें लादेन से अपनी कार्रवाइयों को अंजाम देने के लिए वित्तीय मदद मिलती है।