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Last Modified: इंचियोन , सोमवार, 29 सितम्बर 2014 (20:25 IST)

सीमा पूनिया ने भारत को दिलाया एथलेटिक्स में पहला स्वर्ण

सीमा पूनिया ने भारत को दिलाया एथलेटिक्स में पहला स्वर्ण - Seema Poonia, India, Asian Games
इंचियोन। चक्काफेंक खिलाड़ी सीमा पूनिया ने चीनी प्रतिद्वंद्वियों की कड़ी चुनौती से बखूबी पार पाते हुए आज एशियाई खेलों की एथलेटिक्स स्पर्धा में भारत को पहला पीला तमगा दिलाया।
सीमा ने महिलाओं की चक्काफेंक स्पर्धा के फाइनल में 61.03 मीटर का थ्रो फेंका जबकि दिल्ली राष्ट्रमंडल खेल 2010 की चैम्पियन कृष्णा पूनिया 55.57 मीटर के साथ चौथे स्थान पर रहीं।
 
सीमा के पदक से पहले महिलाओं की 1500 मीटर दौड़ में ओपी जैशा और पुरुषों के 3000 मीटर स्टीपलचेस में नवीन कुमार ने कांस्य पदक जीता।
 
पिछले दो एशियाई खेलों में भाग नहीं ले सकी 31 बरस की सीमा ने पिछले महीने ही ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीता था। उसने पहले ही प्रयास में 55.76 मीटर का थ्रो लगाकर बढत बना ली थी। उसने चौथे प्रयास में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 61.03 मीटर का थ्रो फेंका।
 
चीन की लू शिओशिन ने 59.35 मीटर के साथ रजत और तान जियान ने 59.03 मीटर के साथ कांस्य पदक जीता।
 
पदक वितरण समारोह के दौरान भावविहल हुई सीमा ने पत्रकारों से कहा कि वह इस पल का तीन साल से इंतजार कर रही थी। मुझे यह स्वर्ण पदक जीतकर काफी खुशी हुई। मैंने पिछले तीन साल इस स्वर्ण पदक के लिए तैयारी की है। पिछले दो एशियाई खेलों से बाहर रहने के बाद मैंने इस पल का इंतजार किया है। 
 
सीमा के अनुसार आम तौर पर मैं अपने पहले थ्रो में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाती लेकिन आज मैंने अपने कोच के निर्देशों का पालन किया और पहले ही प्रयास में 55 मीटर की बाधा पार की। सीमा ने कहा कि राष्ट्रमंडल खेलों के रजत ने उसे यहां स्वर्ण जीतने की प्रेरणा दी।
 
केरल में जन्मी जैशा ने महिलाओं की 1500 मीटर में कांस्य जीता जबकि सेना के एथलीट नवीन कुमार पुरुषों की 3000 मीटर स्टीपलचेस में तीसरे स्थान पर रहे। भारत ने एथलेटिक्स में आज तीसरे दिन तीन पदक जीते। 
 
शुरुआत में जैशा काफी आगे थी जब दो बार की स्वर्ण पदक विजेता और 1500 मीटर की गत चैम्पियन बहरीन की मरियम युसूफ कमाल समेत कुछ एथलीटों ने धीमी शुरुआत करके बाद में तेजी दिखाने की रणनीति अपनाई थी। 
 
अंतिम लैप में 2010 में 5000 मीटर का स्वर्ण जीतने वाली मिति बेलेटे ने तेजी दिखाकर जैशा को पीछे छोड़ा। जैशा ने आखिरी पलों में अपनी ओर से पूरी कोशिश की लेकिन 2012 लंदन ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता और दो बार की पूर्व चैम्पियन मरियम ने मिमि को पछाड़कर 4:09.90 के समय के साथ स्वर्ण पदक जीता।
 
मिमि ने 4:11.03 का समय निकाला जबकि जैशा ने 4:13.46 मिनट में दूरी तय की। उसका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 4:19.14 है जो उसने पिछले महीने पटियाला में फेडरेशन कप के दौरान किया था। उसने बाद में इस पदक का श्रेय भारत के मध्यम और लंबी दूरी के कोच डाक्टर निकोलाइ को दिया। इससे पहले उसने दोहा में 2006 एशियाई खेलों में भी कांस्य पदक जीता था।
 
उसने कहा पिछले कुछ साल से डाक्टर निकोलाइ के बिना मध्यम और लंबी दूरी में हम अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे थे। उनकी सलाह पर अमल करके ही मैं पदक जीत सकी। अपने कोच और पति गुरमीत सिंह के साथ अब पंजाब में बसी इस खिलाड़ी ने कहा कि धर्मशाला और उटी के पास वेलिंगटन जैसे पर्वतीय स्थानों पर अ5यास का उसे फायदा मिला।
 
वहीं हरियाणा के रहने वाले कुमार ने स्टीपलचेस में अपना सर्वश्रेष्ठ टाइमिंग 8:40.39 निकालकर कांस्य जीता। उसने बाद में कहा कि राष्ट्रीय शिविर से नाम हटने के बाद उसने अपने खर्च पर खेलों की तैयारी की थी। 
 
कुमार ने कहा अब मुझे नायक सूबेदार का पद मिल जाएगा। मैं विश्व चैम्पियनशिप और अगले साल होने वाले सैन्य खेलों के लिए क्वालीफाई करने का प्रयास करूंगा। बाकी भारतीय एथलीटों का प्रदर्शन हालांकि निराशाजनक रहा।
 
पुरुषों की हाई जंप में निखिल चित्रासू अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भी नहीं कर सके और तीनों प्रयासों में 2.20 मीटर की बाधा पार करने में नाकाम रहे। महिलाओं की लांग जंप में भारत की एमए प्रजूषा और मायूखा जानी क्रमश: 6.23 मीटर और 6.12 मीटर की कूद लगाकर आठवें और नौवे नंबर पर रही।
 
स्वर्ण पदक वियतनाम की बुइ थि थू थाओ ने 6.44 मीटर की कूद के साथ जीता। रजत पदक चीन की जियांग येनफेइ और कांस्य कोरिया की बाए चानमी को मिला। बाद में भारत की चार गुणा 400 मीटर रिले टीम पुरुष वर्ग के फाइनल में पहुंच गई। भारतीय टीम दूसरी सेमीफाइनल हीट में दूसरे स्थान पर रही जिसने 3:05.60 का समय निकाला। फाइनल्स दो अक्टूबर को होंगे। (भाषा)