बुधवार, 24 अप्रैल 2024
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Written By सीमान्त सुवीर

सरला सरवटे इंदौर की शान हैं : सुमित्रा महाजन

सरला सरवटे इंदौर की शान हैं : सुमित्रा महाजन - Sarla Sarwate
1982 के एशियाई खेलों में भारतीय तैराकी टीम की सदस्या रही सरला सरवटे को जब लोकसभा स्पीकर और इंदौर की सांसद सुमित्रा महाजन ने केंद्रीय खेल मंत्री सर्वानंद सोनोवाल से मिलवाया तो कहा ' सरला इंदौर की शान हैं। इन्होंने अपना पूरा जीवन तैराकी के लिए समर्पित कर दिया है।'
 
ताई द्वारा यह परिचय कराने पर केंद्रीय मंत्री ने खुशी जाहिर की कि इंदौर जैसे शहर में ऐसी भी महिलाएं हैं, जो खेल के लिए संपूर्ण जीवन समर्पित कर सकती हैं। दरअसल सोनोवाल शुक्रवार को इंदौर के चिमनबाग मैदान पर बहुउद्येश्यी स्पोर्ट्‍स कॉम्पलेक्स व आवासीय खेल परिसर बनाने की योजना के लिए जमीन देखने आए हुए थे। यहीं पर सरला सरवटे भी मौजूद थीं और जैसे ही लोकसभा स्पीकर महाजन ने उन्हें देखा तो पास बुलाकर केंद्रीय खेल मंत्री से परिचय करवाया। 
 
यूं देखा जाए तो 'ताई' ने सरला सरवटे को इंदौर की शान बताया, उसमें लेशमात्र का भी संदेह नहीं हैं। सरला ने अपना पूरा जीवन खेल को समर्पित कर डाला। यहां तक कि तैराकी की कोचिंग का ऐसा जुनून सवार रहा कि उन्होंने विवाह तक नहीं किया। अपनी खुशियों- सपनों को ताक में रखकर हुनरमंद गोताखोरों को तराशने में पूरी उम्र दांव पर लगा दी। सरला के जीवन का फलसफा तरणताल और सिर्फ तरणताल तक सिमटकर रह गया।
 
इंदौर के रामबाग के छोटे से मकान से नेहरू पार्क के स्वीमिंग पूल का रास्ता कोई 2 किलोमीटर का होगा और इसी रास्ते को तय करते-करते सरला सरवटे को 41 साल से ज्यादा हो गए हैं। आप उन्हें न तो किसी पार्टी में देख सकते हैं और न किसी संगीत समारोह में। कभी पैदल तो कभी सिटी बस के धक्के खाते हुए या फिर अपनी पुरानी स्कूटी गाड़ी से मैंने उन्हें अकसर सुबह-शाम देखा है, लेकिन उनकी मंजिल घर से निकलकर स्वीमिंग पूल तक सिमट कर रह गई है।
 
मध्यप्रदेश के सबसे बड़े खेल पुरस्कार 'विक्रम अवॉर्ड' से तो सरला सरवटे को 1976 में ही सम्मानित किया जा चुका था, लेकिन क्या ताज्जुब नहीं होता कि उन्होंने पांच ऐसे गोताखोरों को तराशा, जिन्हें 'विक्रम अवॉर्ड' से नवाजा हो। यही नहीं, उनके द्वारा प्रशिक्षित तीन गोताखोर 'एकलव्य' पुरस्कार से सम्मानित हुए।
 
सरला से गोताखोरी के गुर सीखकर विक्रम अवॉर्ड का सम्मान पाने वाले हैं- मीति अगाशे, मनीषा गुप्ता, श्वेता गोगटे, प्रथा क्षीरसागर सहिता हरदास जबकि सोनल सिसोदिया, मंदार राजवाड़े और राधिका आप्टे 'एकलव्य' अवॉर्ड से सम्मानित होने वाले गोताखोर थे। राज्य सरकार ने उनकी शिष्या पूजा पाटीदार को 'विशेष पुरस्कार' दिया।
 
सरला ने अपनी जिंदगी में न जाने कितने गोताखोर तैयार किए, जिन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रदेश का सिर गर्व से ऊंचा किया है, उनकी संख्या को पकड़ना बेहद मुश्किल है। अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भारत को दो कांस्य पदक दिलवाने वाली सरला सरवटे ने एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए छठा स्थान प्राप्त किया था।
 
राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में अपना गला 10 सोने, 12 चांदी के और 8 कांसे के पदकों से सजाने वाली सरला ने दिल्ली में आयोजित 1982 के एशियाड के बाद संन्यास लेकर बच्चों को प्रशिक्षण देना प्रारंभ किया और आप आज भी नियम से सुबह और शाम उन्हें नेहरू पार्क स्थित तरणताल में कोचिंग देते देख सकते हैं।
 
मध्यप्रदेश की गोताखोरी को पूरे देश में अपनी पहचान स्थापित करने में योगदान देने वाली सरला सरवटे को 'दिल से सलाम' करने का मन इसलिए भी करता है कि उन्होंने गोताखोर तैयार करने में अपनी तमाम उम्र खपा दी।
 
यहां तक कि अपनी खुशियों को कुर्बान करते हुए उन्होंने विवाह तक नहीं किया। एक महिला का खेल के प्रति ऐसा त्याग सिर्फ सुना गया होगा, देखा नहीं था लेकिन आज हम सबके सामने सरला सरवटे एक मिसाल के तौर पर सामने खड़ी हैं।
 
सन् 2000 में सरला सरवटे को मध्यप्रदेश सरकार ने 'विश्वामित्र अवॉर्ड' देकर सम्मानित किया था लेकिन असल में वे राज्य शासन के 'लाइफ टाइम अचीवमेंट' अवॉर्ड की हकदार हैं। पिछले कई सालों से न जाने किन-किन चेहरों को इस अवॉर्ड से सम्मानित होते देखता आया हूं लेकिन मुझे उस पल का इंतजार होगा जब मैं सरला के हाथों में 'लाइफ टाइम अचीवमेंट' का अवॉर्ड देखूं।
 
सरला चाहती तो वह भी दूसरी लड़कियों की तरह विवाह करके अपना सुखमय जीवन बिता सकती थीं, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। अपनी तमाम खुशियां और सपनों को पानी में इसलिए डुबो दिया ताकि इसी पानी से वे पदक जीतने वाले हुनरमंद गोताखोर तैयार कर सके।
 
पूरे देश में शायद ही ऐसा कोई अभागा गोताखोर होगा, जो इंदौर की अपनी सरला सरवटे के नाम और काम से अनभिज्ञ रहा होगा। इंदौर ही नहीं मध्यप्रदेश की गोताखोरी की पर्याय बन चुकी सरला सरवटे का अनूठा त्याग एक मिसाल कायम करने वाला है। 
 
यदि लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन सरला सरवटे को 'इंदौर की शान कहती हैं' तो यकीनन वे शहर की शान हैं, जैसे कर्नल सीके नायडू, केप्टन मुश्ताक अली, मेजर एमएम जगदाले, नरेंद्र हिरवानी ने इंदौर शहर का नाम रौशन किया, उसी कतार में आप सरला सरवटे को भी शुमार कर सकते हैं।