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Last Modified: नई दिल्ली , रविवार, 28 अगस्त 2016 (15:19 IST)

देशभक्ति की जीती-जागती मिसाल थे ध्यानचंद : मोदी

देशभक्ति की जीती-जागती मिसाल थे ध्यानचंद : मोदी - PM Modi on Dhyanchand in Mann ki baat
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को 'मन की बात' कार्यक्रम में मोदी ने 29 अगस्त को होने वाले 'राष्ट्रीय खेल दिवस' के मौके पर हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले ध्यानचंद को श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें देशभक्ति की जीती-जागती मिसाल बताया। 
 
प्रधानमंत्री ने ध्यानचंद को याद किया और उनकी तारीफ भी की। उन्होंने कहा कि ध्यानचंद ने वर्ष 1928, 1932 और 1936 में ओलंपिक खेलों में भारत को हॉकी का स्वर्ण पदक दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हम सभी क्रिकेट प्रेमी ब्रेडमैन का नाम जानते हैं, उन्होंने ध्यानचंदजी के लिए कहा था कि ध्यानचंद रन बनाने की तरह गोल दागते हैं। 
 
प्रधानमंत्री ने ध्यानचंद की एक घटना को याद करते हुए कहा कि ध्यानचंदजी खेल भावना और देशभक्ति की एक जीती-जागती मिसाल थे। एक बार कोलकाता में हुए एक मैच के दौरान एक विपक्षी खिलाड़ी ने ध्यानचंदजी के सिर पर हॉकी मार दी। उस समय मैच खत्म होने में सिर्फ 10 मिनट बाकी था और ध्यानचंदजी ने उन 10 मिनट में 3 गोल कर दिए और कहा कि मैंने चोट का बदला गोल से दे दिया। 
 
रियो ओलंपिक का जिक्र करते हुए मोदी ने लड़कियों की तारीफ की। मोदी ने कहा कि ऐसा लगता है कि पूरे भारत की बेटियों ने देश का नाम रोशन करने की ठान ली है। खेल को वक्त बर्बाद करने वाली चीज न समझें। ओलंपिक पदक जीतकर बेटियों ने देश का सिर ऊंचा किया है। 
 
उन्होंने कहा कि इस बात से तो इंकार नहीं किया जा सकता कि रियो में हमारी आशा के अनुरूप हम प्रदर्शन नहीं कर पाए। कई बार तो ऐसा भी हुआ कि जो हमारे खिलाड़ी भारत में प्रदर्शन करते थे, वो रियो में उस मुकाम तक भी नहीं पहुंच पाए और पदक तालिका में तो सिर्फ 2 ही पदक मिले हैं। लेकिन यह भी सही है कि पदक न मिलने के बावजूद अगर जरा गौर से देखें तो कई विषयों में पहली बार भारत के खिलाड़ियों ने काफी अच्छा प्रदर्शन भी दिखाया है।
 
मोदी ने कहा कि निशानेबाजी में अभिनव बिन्द्रा तथा जिमनास्टिक में दीपा करमाकर ने अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन दोनों ही मामूली अंतर से पदक जीतने से वंचित रह गए। दीपा तो ओलंपिक और ओलंपिक क्वालीफायर के लिए क्वालीफाई करने वाली पहली भारतीय बेटी है। 
 
उन्होंने कहा कि कुछ ऐसा ही टेनिस में सानिया मिर्जा और रोहन बोपन्ना की जोड़ी के साथ हुआ। एथलेटिक्स में हमने इस बार अच्छा प्रदर्शन किया। पीटी उषा के बाद 32 साल में पहली बार ललिता बाबर ने ट्रैक एंड फील्ड फाइनल्स के लिए क्वालीफाई किया। 
 
उन्होंने पुरुष और महिला हॉकी टीमों की तारीफ करते हुए कहा कि यह खुशी कि बात है कि 36 साल के लंबे अंतराल के बाद महिला हॉकी टीम ओलंपिक तक पहुंची। पिछले 36 साल में पहली बार पुरुष टीम नॉकआउट राउंड तक पहुंचने में कामयाब रही। हमारी टीम काफी मजबूत है और मजेदार बाद यह है कि स्वर्ण पदक जीतने वाली अर्जेंटीना की टीम पूरे टूर्नामेंट में एक ही मैच हारी और उन्हें हराया भारत के खिलाड़ियों ने। आने वाला समय निश्चित रूप से हमारे लिए अच्छा होगा। 
 
मोदी ने कहा कि मुक्केबाजी में विकास कृष्ण यादव क्वार्टर फाइनल तक पहुंचे, लेकिन कांस्य नहीं जीत सके। कई खिलाड़ियों जैसे कि अदिति अशोक, दत्तू भोकनल, अतनु दास ने भी उम्दा प्रदर्शन किया, लेकिन हमें बहुत कुछ करना है। अभी तक जो करते आए हैं अगर वैसा ही करते रहेंगे तो शायद हम फिर से निराश होंगे। भारत सरकार गहराई में जाकर दुनिया के अन्य देशों में क्या-क्या अभ्यास और प्रयोग हो रहे हैं, उसका अध्ययन करेगी। हम अच्छा क्या कर सकते हैं, उसका खाका तैयार करेंगे। 
 
उन्होंने कहा कि हमें वर्ष 2020, 2024 और 2028 के अगले 3 ओलंपिक में दूर की सोच के साथ योजना बनाने की जरूरत है। मैं खेल जगत से जुड़े सभी संघों से भी आग्रह करता हूं कि वे भी एक निष्पक्ष भाव से अध्ययन करें। मुझे पूरा विश्वास है कि हम जरूर ही सवा सौ करोड़ देशवासी, जिसमें 65 प्रतिशत युवा जनसंख्या है, खेल की दुनिया में भी बेहतरीन स्थिति प्राप्त करने का संकल्प लेकर आगे बढ़ेंगे। (वार्ता) 
 
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