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Last Modified: नई दिल्ली , बुधवार, 1 अप्रैल 2015 (19:07 IST)

मिल्खा सिंह चाहते हैं रोम ओलंपिक में 'स्‍वर्ण'

मिल्खा सिंह चाहते हैं रोम ओलंपिक में 'स्‍वर्ण' - Milkha Singh
नई दिल्ली। 'उड़न सिख' के नाम से मशहूर मिल्खा सिंह को रोम ओलंपिक में स्वर्ण पदक चूक जाने का आज भी गहरा अफसोस है और उनका एक ही सपना है कि दुनिया छोड़ने से पहले वे किसी भारतीय एथलीट को ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतते हुए देखें।

86 वर्षीय मिल्खा ने बुधवार को यहां क्रांतिकारी बहु खेल फिटनेस कार्यक्रम मिल्खा स्योर फिट लांच करने के बाद कहा कि मुझे दौड़े हुए 60 साल गुजर चुके हैं लेकिन 120 करोड़ की आबादी में हम एक और मिल्खा नहीं पैदा कर पाए, इसका मुझे गहरा अफसोस है।
 
उन्होंने कहा कि भारत ओलंपिक में बैडमिंटन, मुक्केबाजी, कुश्ती, टेनिस और निशानेबाजी जैसे खेलों में काफी ऊपर आया है लेकिन पिछले 65 वर्षों में एथलेटिक्स में हम एक भी ऐसा एथलीट तैयार नहीं कर पाए हैं, जो ओलंपिक में पदक जीत सके।
 
उड़न सिख ने कहा कि दुनिया छोड़ने से पहले मेरा एक ही सपना है कि रोम ओलंपिक में जो स्वर्ण मेरे हाथ से फिसल गया था उसे कोई भारतीय पुरुष या महिला एथलीट मेरे जीते जी जीत ले तो  मुझे बहुत खुशी होगी।
 
लीजेंड एथलीट ने कहा कि भारतीय एथलेटिक्स इतिहास में मेरे सिवाय गुरबचन रंधावा, राम सिंह,  पीटी ऊषा और अंजू बॉबी जॉर्ज 5 ही ऐसे एथलीट हुए हैं जिन्हें ओलंपिक में फाइनल में पदक के  करीब पहुंचने का मौका मिला था लेकिन दुर्भाग्य यही रहा कि हम पदक नहीं जीत पाए।
 
पदक न जीत पाने का कारण बताते हुए मिल्खा ने कहा कि यहां सब कुछ हैं। सरकार सुविधाएं देती  है, स्टेडियम हैं, उपकरण हैं लेकिन इच्छाशक्ति की भारी कमी है। ओलंपिक में पदक विजेता बनने के  लिए 3 एजेंसियों को मिलकर काम करना होगा। एक खिलाड़ी जिसे पदक विजेता बनना है, दूसरा कोच जिसे ईमानदार होना है, तीसरा एसोसिएशन जिसे अपनी जिम्मेदारी को पूरा करना है। जब ये  3 एजेंसियां मिलकर काम करेंगी तभी जाकर हम ओलंपिक में पदक जीत पाएंगे।
 
उन्होंने एथलेटिक्स को खेलों में सर्वोच्च बताते हुए कहा कि इसे नजरअंदाज होने के पीछे मीडिया की  भी भूमिका है, जो सिर्फ क्रिकेट के पीछे भागता है और क्रिकेट को ही छापता है। इसके कारण देश  का युवा अन्य खेलों को छोड़कर क्रिकेट के पीछे अंधाधुंध दौड़ रहा है। एथलेटिक्स दुनिया का नंबर  वन खेल है और मीडिया इसे अच्छी तरह दिखाए तो युवाओं का ध्यान भी इस तरफ आकर्षित हो  सकता है।
 
उड़न सिख ने कहा कि वे चाहते हैं कि हिन्दुस्तान का हर बच्चा फिट हो, क्योंकि यदि बच्चा फिट  होगा तो वह जीवन में सफलतापूर्वक आगे बढ़ पाएगा और उसके साथ-साथ देश भी फिट हो पाएगा।
 
इस अवसर पर स्योर फिट के संस्थापक और सीईओ अमित दुबे ने बताया कि यह कार्यक्रम 4 से  17 वर्ष के बच्चों के लिए है और इसे देशभर के स्कूलों में ले जाकर प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की  पहचान की जाएगी ताकि देश को भविष्य के चैंपियन मिल सकें। इस कार्यक्रम की फिलहाल दिल्ली  एनसीआर में इस वर्ष से शुरुआत हो रही है। (वार्ता)