गुरुवार, 28 मार्च 2024
  • Webdunia Deals
  1. खेल-संसार
  2. अन्य खेल
  3. समाचार
  4. Birmingham Commonwealth Games
Written By
Last Modified: नई दिल्ली , मंगलवार, 17 अप्रैल 2018 (18:07 IST)

बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों का बहिष्कार करे भारत

बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों का बहिष्कार करे भारत - Birmingham Commonwealth Games
नई दिल्ली। गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में सात स्वर्ण सहित 16 पदक जीतने वाले भारतीय निशानेबाजों के भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ (एनआरएआई) ने कहा है कि यदि निशानेबाजी को राष्ट्रमंडल खेलों में बहाल नहीं किया जाता है तो भारत को 2022 के बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों का बहिष्कार करना चाहिए।

एनआरएआई के अध्यक्ष रणइंदरसिंह ने मंगलवार को गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों के पदक विजेता भारतीय निशानेबाजों के लिए आयोजित सम्मान समारोह में कड़े शब्दों में कहा कि मैं खेलमंत्री राज्यवर्धनसिंह राठौड़ और भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) को एक- दो दिन में पत्र लिखने जा रहा हूं कि यदि अगले खेलों में निशानेबाजी की वापसी नहीं होती है तो भारत को पूरे बर्मिंघम खेलों का बहिष्कार करना चाहिए।

निशानेबाजी को 2022 में होने वाले बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों से हटा दिया गया है और गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में आखिरी बार निशानेबाजी का आयोजन किया गया। भारतीय निशानेबाजों ने गोल्ड कोस्ट में शानदार प्रदर्शन करते हुए सात स्वर्ण, चार रजत और पांच कांस्य पदक सहित सर्वाधिक 16 पदक जीते।

रणइंदर ने कहा कि हम अपनी तरफ से निशानेबाजी की राष्ट्रमंडल खेलों में बहाली की पूरी कोशिश कर रहे हैं। मैं खुद भी राष्ट्रमंडल खेल महासंघ (सीजीएफ) के अध्यक्ष मार्टिन लुइस से व्यक्तिगत संपर्क में हूं। इस मुद्दे पर लगातार बातचीत चल रही है। हमने एशियाई ओलम्पिक परिषद (ओसीए) से भी इस मामले को सीजीएफ से उठाने को कहा है।

एनआरएआई के अध्यक्ष ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय निशानेबाजी महासंघ (आईएसएसएफ) की सीजीएफ के साथ इस मामले को लेकर तीन बैठक हो चुकी हैं जिसमें मार्टिन और अगले खेलों की आयोजन समिति के सदस्य भी शामिल हुए थे।

मैंने भी कई देशों के प्रतिनिधियों से बातचीत की है और सभी का यह मानना है कि निशानेबाजी को राष्ट्रमंडल खेलों में बने रहना चाहिए। यहां तक कि ब्रिटिश निशानेबाजी समुदाय भी इस फैसले से नाराज है क्योंकि गोल्ड कोस्ट निशानेबाजी में वे खुद तीसरे स्थान पर रहे थे। रणइंदर ने कहा कि हम अपनी तरह से पूरी कोशिश कर रहे हैं और मैं इस मंच का इस्तेमाल करते हुए सरकार से कहना चाहता हूं कि वह निशानेबाजी को राष्ट्रमंडल खेलों में बहाल कराने का प्रयास करे और यदि ऐसा नहीं होता है तो बर्मिंघम खेलों का बहिष्कार किया जाए। मैं अगले एक दो दिन में सरकार और आईओए को पत्र लिखूंगा।

उन्होंने कहा कि निशानेबाजी की अपनी परंपरा है। यह एक ओलंपिक खेल है, हमारा इन खेलों में शानदार रिकॉर्ड है इसलिए मैं जानना चाहता हूं कि कैसे इसे राष्ट्रमंडल खेलों से बाहर कर दिया गया। यह फैसला कब और कैसे लिया गया, पता नहीं, इसमें एनआरएआई से कोई विचार विमर्श नहीं किया गया। मैं मुंबई में आईओसी की सदस्य नीता अंबानी से इस मुद्दे पर बात करूंगा।

रणइंदर ने कहा कि निशानेबाजी को राष्ट्रमंडल खेलों से हटाने के पीछे यह तर्क दिया जा रहा है कि इसे देखने वाले ज्यादा लोग नहीं हैं जबकि सच्चाई यह है कि 2014 के ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेलों में निशानेबाजी मुकाबलों में जगह नहीं बची थी जबकि गोल्ड कोस्ट में सभी टिकट बिक चुके थे। उन्होंने साथ ही बताया कि निशानेबाजों को पर्याप्त विश्राम देने के उद्देश्य से भारत यूएसए टस्कन विश्वकप में हिस्सा नहीं लेगा।

उन्होंने कहा कि हम इस विश्वकप में हिस्सा नहीं लेंगे क्योंकि निशानेबाजों को विश्राम की जरूरत है और अब हम अपना सारा ध्यान विश्व चैंपियनशिप और एशियाई खेलों पर लगाएंगे। विश्व चैंपियनशिप पर ध्यान देना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि इस चैंपियनशिप से 2020 के टोक्यो ओलंपिक के लिए कोटा हासिल होंगे।

एनआरएआई के अध्यक्ष ने गोल्ड कोस्ट में भारतीय निशानेबाजों के प्रदर्शन की सराहना करते हुए कहा कि हमने सर्वाधिक 16 पदक हासिल किए जिसमें नौ पदक महिलाओं के हैं। हमारे सात स्वर्ण पदकों में चार महिलाओं के हैं। देश के कुल पदकों में 24 फीसदी हिस्सा निशानेबाजों का है और यदि निशानेबाजी को अलग रखा जाए तो हम पदक तालिका में 11वें स्थान पर चले जाएंगे। इसलिए मेरा सरकार और आईओए से आग्रह है कि वह इस मामले को पूरी गंभीरता के साथ बर्मिंघम खेल आयोजकों के सामने उठाए ताकि हमारे निशानेबाज अगले खेलों में फिर शानदार प्रदर्शन कर सकें। (वार्ता)
ये भी पढ़ें
मेरा एकमात्र लक्ष्य ओलंपिक गोल्ड : मैरीकॉम