बुधवार, 24 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. »
  3. शेयर बाजार
  4. »
  5. समाचार
Written By ND

विश्वास हेतु बड़े निवेशक आगे आएँ

विश्वास हेतु बड़े निवेशक आगे आएँ -
शेयर बाजार की हालत बद से बदतर हो गई है। सूचकांक 3 वर्ष के न्यूनतम स्तर पर पहुँच गया है। 18 हजार के बाद बाजार में कृत्रिम तेजी का वातावरण बनाया गया है। अब मंदी भी सीमा से अधिक लाई जा रही है। छोटे निवेशकों को विश्वास में लेने के लिए बड़े निवेशकों को आगे आना चाहिए।

वर्तमान मंदी ने देश की हालत खराब कर दी है। निवेशकों का विश्वास लौटाने में बैंकों एवं सरकार को अहम्‌ भूमिका निभानी होगी। रिजर्व बैंक ने पहले तो ताबड़तोड़ कदम उठाए, किंतु बाद में ऋण नीति को स्थिर रखा जिससे भी बाजार का मनोबल टूट गया।

पश्चिमी मंदे के साथ-साथ विदेशी वित्तीय संस्थाओं की हाजिर/वायदा घालमेल भारी बिकवाली से स्थानीय शेयर सूचकांक लगभग तीन साल की तलहटी में आ गया। पेट्रोलियम तथा मुद्रास्फीति में गिरावट और देश का आर्थिक आधार मजबूत होने पर भी विदेशी शेयर बाजारों में मंदा रोकने के उपाय असफल होने से शेयरों का लुढ़कना जारी रहा। यह गौरतलब है कि इससे पूर्व गत 23 नवंबर-05 में बीएसई इंडेक्स 8638.34 व एनएसई इंडेक्स 2572.85 रहा था। एनएसई इंडेक्स बीते सप्ताह 3075.35 से सुधरकर मंगलवार को 3234.90 रहा। सप्ताह अंत में यह नीचे में 2525.05 रह जाने के बाद 2584 पर बंद हुआ।

गत वर्ष इन्हीं दिनों दोनों इंडेक्स 18512.91 और 5496.15 था। रिजर्व बैंक ने शुरू में ताबड़तोड़ उदारवादी कदम उठाए, लेकिन बाद में अपनी ऋण नीति को पूर्ववत स्थिर रखा। अमेरिकन डॉलर, जो इस साल शुरू में 39.30 रुपए के आसपास था, वह गत सप्ताह ऊँचे में 50.15 रुपए हो जाने से विदेशी वित्तीय संस्थाएँ अपना भुगतान डॉलर में बटोर रही हैं। शेयरों में गिरावट का एक प्रमुख कारण देशी-विदेशी बैंकों द्वारा कर्ज भुगतान के लिए शेयरों की बिकवाली तेजी से किया जाना रहा।

डॉलर की तेजी से निर्यात भी प्रभावित हुआ। वर्तमान संकट में देश-विदेश के बैंकों का एलसी सम्मान मामले में विश्वास डगमगा गया। केंद्रीय बजट घाटा पिछले वित्तीय वर्ष में लगभग 1.44 लाख करोड़ रुपए की रेंज में रहा। जबकि 1997-98 में यह 73205 करोड़ रुपए था।

नार्वे द्वारा दो अरब डॉलर भारत में निवेश निश्चय करने तथा सात बैंकों को तीन हजार करोड़ रुपए पंप करने का प्रभाव नहीं पड़ा क्योंकि बैंक वाले ऋण देने में कंजूसी दिखा रहे हैं। सरकार ने विदेशी कर्ज लेने संबंधी नियम उदार किए, परंतु परस्पर विश्वास भावना नहीं है।

गत सप्ताह कंपनियों के तिमाही वित्तीय परिणाम से हिन्द यूनिलीवर का शुद्ध लाभ लगभग 34 प्रतिशत, रिलायंस इंड सात, रिलायंस इंफ्रा 16, आईटीसी 4.2, इंफोटेक 38, एनटीपीसी 10, हीरो होंडा 50, विप्रो 19, रिलायंस पॉवर 37 करोड़, टीसीएस 1.4, केनरा बैंक 32, बैंक ऑफ इंडिया 79.53 तथा आईडीबीआई का तिमाही लाभ चार प्रतिशत बढ़ गया। लेकिन सेंचुरी टेक्स 57, भेल 10.45, एसीसी 7.7, बिनानी 44, डॉ. रेड्डी 52, अपोलो टायर 73 प्रतिशत घट गया।

शेयर बाजार की हालत बद-बदतर हो गई है। सूचकांक तीन वर्ष के न्यूनतम स्तर पर पहुँच गया है। पिछले एक-डेढ़ वर्ष में वित्त मंत्री की भूमिका ठीक नहीं कही जा सकती है। कृत्रिम तेजी के दौर में बाजार को रोकने की जब जरूरत थी, तब देश के आर्थिक विकास का आइना दिखाया जा रहा था। जबकि वास्तविकता में ऐसा कुछ न तो पहले था और न अब है। देश में बिजली की कमी है। महाराष्ट्र-गुजरात जैसे संपन्न राज्य बिजली के संकट से जूझ रहे हैं। देश में सड़कों का जाल कागज पर अधिक एवं वास्तविक स्तर पर कम दिखाई दे रहा है। महँगाई 2 अंकों से ऊपर चल रही है। रुपया कमजोर हो चुका है। अतः आयात महँगा हुआ और लागत बढ़ने से निर्यात ठप पड़ गया है।

विदेशों में जब आर्थिक मंदी के तूफान उठे हुए हों ऐसे में किन देशों को निर्यात किया जाएगा। अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर मजबूत हो रहा है। रिजर्व बैंक की पालिसी ने बाजार में दुबले और दो आषाढ़ वाली कहावत चरितार्थ कर दी। इसी बीच एशिया के बाजारों से नए सिरे से मंदी के झटके लगने लगे जिससे बाजार बुरी तरह से ढह गया। हालाँकि आम निवेशक इससे अधिक मंदी की धारणा नहीं रखते हैं किंतु वर्तमान में बाजार विदेशी बाजार की चाल पर चल रहा है। छोटे निवेशक तो बाजार से बाहर हो चुके हैं।

इस बाजार को थामने के लिए कंपनियों एवं बड़े निवेशकों को बाजार में आना चाहिए, जिससे मनोबल बढ़े। छोटे निवेशक तो कुर्बानी दे चुके हैैं। छोटे निवेशकों का आत्मविश्वास लौटे बिना बाजार में तेजी आना कठिन है। इसके लिए, बैंकों, बड़े निवेशकों को अहम्‌ भूमिका निभाना चाहिए। 18000 से ऊपर सूचकांक तेजी वाले सटोरियों का 'खेला' था। अब 9000 से नीचे सूचकांक ले जाकर सटोरिए बाजार की खाल उतारना चाहते हैं। बाजार को वास्तव में दृढ़ मनोबल की जरूरत है। सरकार एवं कंपनियों को इसके लिए प्रयास करना चाहिए।

केंद्र सरकार को बैंकों में जमा रुपए की ग्यारंटी देना चाहिए। वर्तमान हालत में बैंकों से यदि विश्वास उठ गया तो जो स्थिति बनेगी, वह कल्पना के बाहर रहेगी। म्युच्यूअल फंड एवं एनबीएफसी को भी तरलता की सुविधा दी जाना चाहिए। रियल एस्टेट में 24.39 तेल कंपनियों में 14.97 बैंक 12.62 पावर 11.43 मेटल 12.07 पीएसयू 10.29 कंज्यूमर ड्यूरेबल 9.02 केपीटल गुड्स 8.75 फार्मा 8.26 आटा 5.16 पिडवेप 8.38 स्माल कैप में 7.66 की गिरावट एक ही दिन में आई है। (नईदुनिया)