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Written By वार्ता
Last Modified: नई दिल्ली (वार्ता) , बुधवार, 30 अप्रैल 2008 (18:23 IST)

एनएचपीसी अगस्त में लाएगी आईपीओ

एनएचपीसी अगस्त में लाएगी आईपीओ -
सरकार द्वारा 'मिनी रत्न' की उपाधि से नवाजी गई नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कारपोरेशन लिमिटेड (एनएचपीसी) अगले अगस्त में अपना आरंभिक सार्वजनिक इश्यू (आईपीओ) लाने की तैयारी में जुट गई है।

कंपनी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक एसके गर्ग ने आज यहाँ संवाददाता सम्मेलन में कहा कि दो दिन पहले ही कंपनी को मिनी रत्न की उपाधि प्रदान की गई है और अब हम नवरत्न कंपनी का दर्जा हासिल करने से सिर्फ एक कदम दूर हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि कंपनी ने विस्तार और प्रगति का जो लक्ष्य रखा है उसके आधार पर हमें जल्द ही नवरत्न कंपनी का दर्जा मिल जाएगा।

गर्ग ने कहा कि हमने अगस्त में आईपीओ लाने की तैयारी शुरू कर दी है जिसमें पहले ही एक वर्ष का विलंब हो चुका। कंपनी ने पिछले वर्ष जून में आईपीओ लाने की योजना बनाई थी लेकिन सात स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति नहीं हो पाने के कारण आईपीओ अधर में लटक गया था। उन्होंने बताया कि चार स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति हो चुकी है तथा सरकार ने तीन अन्य की नियुक्ति जल्द करने का आश्वासन दिया है।

कंपनी आईपीओ के जरिये दस रुपए के मूल्य वाले 167 करोड़ शेयरों की बिक्री करेगी। शेयरों की संख्या के मामले में यह अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ होगा। एक प्रश्न के उत्तर में गर्ग ने कहा कि इश्यू की प्रीमियम राशि इसे जारी करने के समय ही तय होगी। कंपनी ने 11वीं योजना के दौरान विभिन्न परियोजनाओं पर 28000 करोड़ रुपए लगाने की योजना बनाई है। इसमें से 6500 करोड़ रुपए आईपीओ के माध्यम से जुटाए जाएँगे।

गर्ग ने कहा कि कंपनी का नाम नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कारपोरेशन से बदलकर एनएचपीसी लिमिटेड कर दिया गया है। वर्ष 2007-08 में इसका कामकाज शानदार रहा। कंपनी का शुद्ध लाभ पहली बार एक हजार करोड़ रुपए को पार कर गया तथा इसकी बिजली उत्पादन क्षमता पाँच हजार मेगावाट से अधिक हो गई है।

कंपनी का शुद्ध लाभ 2006-07 में 924.80 करोड़ रुपए से बढ़कर 2007-08 में 1002.06 करोड़ रुपए हो गया। इसी तरह कुल कारोबार 1962.76 करोड़ रुपए से बढ़कर 2311.47 करोड़ रुपए पर पहँच गया है। कंपनी पिछले वर्ष के लाभांश के रूप में सरकार को करीब 300 करोड़ रुपए देने वाली है जो अब तक का रिकार्ड है। अंतरिम लाभांश के रूप में कंपनी 100 करोड़ रुपए का भुगतान कर चुकी है।