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Written By कमल शर्मा

शेयर बाजार में निवेश के पाँच सितारे

शेयर बाजार में निवेश के पाँच सितारे -
भारतीय शेयर बाजार इस समय उस स्‍तर पर हैं, जहाँ निवेशक इस पशोपेश में हैं कि कौनसी कंपनियों के शेयर खरीदे जाएँ जो भविष्‍य में उन्‍हें मोटा मुनाफा दें। बुनियादी तौर पर मजबूती के अलावा बेहतर भविष्‍य वाली कंपनियाँ चुनना कोई आसान काम नहीं है, लेकिन जो निवेशक धैर्य और साहस रखते हैं, उनके लिए यहाँ मजबूती के हर कोण पर खरी उतरने वाली कंपनियों के बारे में बताया जा रहा है जिनमें आपका निवेश सुरक्षित ही नहीं है बल्कि आप हर साल अच्‍छा लाभांश पाने के अलावा आने वाले समय में बेहतर कमाई कर पाएँगे।

टाटा स्‍टील : एक सदी पुरानी, भारत की निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी इस स्टील कंपनी ने स्टील के मामले में खनन से लेकर हर स्तर पर अपनी विश्वव्यापी उपस्थिति दर्ज कराई है। यह उपस्थिति भी बस यूँ ही नहीं है, बल्कि उत्तरी अमेरिका, यूरोप, दक्षिण अफ्रीका और एशिया के
  कोरस का कारोबारी साम्राज्य ब्रिटेन से लेकर नीदरलैंड, जर्मनी, फ्रांस, नार्वे, बेल्जियम व अन्य अनेक देशों तक था, जो अब टाटा का है। टाटा स्टील अब 280 लाख टन सालाना स्टील उत्पादन की क्षमता के साथ दुनिया के 50 देशों में उपस्थित है      
15 देशों में टाटा स्टील के नाम की विश्वसनीयता स्टील-सी मजबूत है। यूरोप की दूसरी और विश्व की नौवीं सबसे बड़ी स्टील कंपनी कोरस का गत वर्ष 137 करोड़ डॉलर में अधिग्रहण करके टाटा ने इसे साबित भी किया। इस अधिग्रहण के साथ टाटा स्टील दुनिया की छठी सबसे बड़ी स्टील कंपनी बन गई।

कोरस का कारोबारी साम्राज्य ब्रिटेन से लेकर नीदरलैंड, जर्मनी, फ्रांस, नार्वे, बेल्जियम व अन्य अनेक देशों तक था, जो अब टाटा का है। टाटा स्टील अब 280 लाख टन सालाना स्टील उत्पादन की क्षमता के साथ दुनिया के 50 देशों में उपस्थित है। यह मजबूत स्थिति टाटा स्टील को बिक्री में व्यापक बढ़ोतरी और उत्पादन लागत में गिरावट का मजा उठाने वाला लंबी रेस का फौलादी घोड़ा बनाती है।

पिछले समाप्त साल में कंपनी के नतीजों ने उपरोक्त संभावनाओं को दर्शाया भी है। 425 फीसदी से भी ज्यादा की बढ़ोतरी के साथ जहाँ टाटा-कोरस की सकल बिक्री 132426.41 करोड़ रही, वहीं इस बिक्री पर ऑपरेटिंग मुनाफा 144.43 फीसदी बढ़त के साथ 18210.72 करोड़ और शुद्ध मुनाफा 48.54% बढ़कर 6414.92 करोड़ दर्ज किया गया। कच्चे माल की लागत, बढी़ ब्याज दरों और उच्च करों की वजह से मार्जिन दबाव में रहे, लेकिन जमशेदपुर में 2010 तक नई विस्तार योजनाओं के लागू होने के साथ कंपनी इस दबाव से उबर जाएगी।

कोरस के अधिग्रहण के व्यापक सकारात्मक प्रभाव अभी आने बाकी हैं, जो इस साल व आगे के सालों की कंपनी की बैलेंस-शीट में निश्चित ही देखने को मिलेंगे। बड़ी कंपनियों के बारे में यह माना जाता है, कि वे सैचुरेटेड होने लगती हैं और लगातार बहुगुणित नहीं होती रह सकतीं। बनिस्बत छोटी कंपनियों के, उनकी विकास दर घट जाती है। लेकिन यहाँ निवेशक कंपनी की उम्दा साख और मजबूती की वजह से कई तरह के निवेश जोखिमों से बच जाते हैं और निवेश पर असाधारण रूप से एकाएक लाभ-हानि नहीं देखे जाते।

अबॉन ऑफशोर : अबॉन ऑफशोर, अपतटीय समुद्र में तेल व गैस की खोज और पवन ऊर्जा का कारोबार करने वाली 22 साल पुरानी भारत की सबसे बड़ी निजी ड्रिलिंग कंपनी है। बीते वित्त वर्ष 2008 में कंपनी की कुल आय 658.41 लाख रही, जो इसके पिछले साल से 32.35 फीसदी अधिक है। इस दौरान कंपनी के मुनाफे में जबरदस्त 80 फीसदी से भी ज्यादा बढ़ोतरी हुई, जो 164.86 करोड़ पर जा पहुँचा।

बीती तिमाही जून 2008 में भी कंपनी ने बढ़िया प्रदर्शन किया है। इस दौरान पिछले साल की इसी तिमाही की तुलना में आय का आँकड़ा चौंकाऊ 93.52 फीसदी बढ़त के साथ 246.95 करोड़ रहा, जबकि शुद्ध मुनाफा महाचौंकाऊ रूप से 152.02 फीसदी बढ़कर 71.51 करोड़ हो गया। इस दौरान शुद्ध मुनाफे का मार्जिन 6.72 फीसदी बढ़कर 28.96 फीसदी हो जाना, इस बात का सूचक है, कि कंपनी दिनोदिन और मजबूत होती जा रही है।

वर्ष 2009 की पहली तिमाही से दो तेल-कुओं की खुदाई का नया कांट्रैक्ट अमल में आने से कंपनी को 120 करोड़ राजस्व उगाही की उम्मीद है। इसकी सब्सिडियरी अबॉन सिंगापुर द्वारा एक्सॉन मोबिल के साथ करीब पौने दो करोड़ रुपए प्रतिदिन के ड्रिलिंग कांट्रैक्ट की अवधि छह माह और बढाई गई है। तकरीबन 68 करोड़ का एक ठेका कंपनी के पास मलेशिया में तीन तेलकूपों की ड्रिलिंग का है। डेढ़ सौ करोड़ का एक अन्य ठेका भी कंपनी के पास है, जो मलेशिया में छह अन्य तेलकूपों की ड्रिलिंग का है। इसके अलावा अन्य भी कई कमाऊ काम कंपनी की पाइप-लाइन में हैं, जो आगामी समय में कंपनी को खूब व्यस्त और निवेशकों के मुनाफे को मस्त रखेंगे।

पुंज लॉयड : बिक्री में ढाई गुना बढ़ोतरी और कुछ कम बीस हजार करोड़ के आर्डर अपनी झोली में रखने वाली इस बड़ी इंजीनियरिंग कंपनी पुंज लॉयड के लिए मुश्किलें कम नहीं हैं। इसकी अधिगृहीत साइमन कार्वस को 300 करोड़ का सौदों में घाटा, और कई कम मार्जिन वाले सौदों के बावजूद भारतीय आर्डरों के ऊँचे मार्जिन में गिरावट का सामना फिलहाल इसे करना पड़ रहा है। हालिया कुछ महीनों में स्टील कीमतों में एक चौथाई से अधिक बढ़ोतरी भी कंपनी के परिचालन मुनाफे पर दबाव बनाए रखेगी। हालाँकि कंपनी को चालू साल में 9700 करोड़ की आय एवं 400 करोड़ के मुनाफे की आस है।

पिछले समाप्त साल में कंपनी का राजस्व 51 फीसदी बढ़कर 7753 करोड़ रहा था। परिचालन लागतों में कटौती के प्रयासों के चलते यह 8.3 फीसदी रहा और कंपनी ने 82.2 फीसदी बढ़त के साथ 358.4 करोड़ का लाभ कमाया। जबकि कार्यशील पूँजी में बढ़ोतरी के कारण सुरक्षित ऋण 227.5 करोड़ रुपए बढ़कर 1350.7 करोड़ हो गए। शेयरखान के अनुमानों के मुताबिक चालू साल में इसकी आय प्रति शेयर 17.3 रूपए एवं 2010 में 22.9 रूपए रहनी चाहिए।

भारी-भरकम ऑर्डर बुक और पहले की तरह जबरदस्त कार्यक्षमता का प्रदर्शन कंपनी के भविष्य को खासा सुखमय बना सकता है। पीपावाव शिपयार्ड एवं एयरवर्क्स इंडिया में कंपनी ने भारी निवेश किया हुआ है, जो आगे मधुर फलदायक होगा। खासे व्यापार विविधीकरण के साथ कंपनी ने कई देशों में अपना काम जमा रखा है। शिपयार्ड, प्रतिरक्षा, उड्डयन, तेल खोज, रियल इस्टेट आदि नए क्षेत्रों में कंपनी के बढ़ते कदम इसे असामान्य ऊँचाइयों पर ले जा सकते हैं।

सयानों ने कहा है कि लोग किसी संभावनाशील पौधे की ओर आकर्षित होने के बजाय उस पर तब तारीफी नजर डालते हैं, जब वह काफी विकसित होकर फल-फूलदार मजबूत पेड़ बन जाता है। लेकिन जो लोग ऐसे होनहार बिरवान की पहचान शुरू में कर लेते हैं, वे ही असली चाँदी काटते हैं। इस लिहाज से पुंज लॉयड अब पौधा तो नहीं रहा है, लेकिन अभी इसमें और उपजने की पूरी क्षमताएँ मौजूद हैं। इस इंजीनियरिंग, आपूर्ति और निर्माण कंपनी पॉवर, तेल-गैस, गोदाम निर्माण, पेट्रोकेमिकल और विभिन्न इन्फ्रास्ट्रक्चरल कामों में दक्षताएँ रखने वाली कंपनी के लिए लम्बी अवधि का नजरिया ही सटीक बैठ सकता है।

एक्सिस बैंक : यूटीआई द्वारा 1993 में यूटीआई बैंक लिमिटेड के नाम से स्थापित इस बैंक ने अपनी अलग पहचान के लिए पिछली जुलाई में एक्सिस बैंक के रूप में नामकरण किया। यह यूटीआई के अलावा एलआईसी एवं दूसरी सभी प्रमुख सरकारी बीमा कंपनियों द्वारा प्रवर्तित है।

तकरीनब 713 शाखाओं व विस्तार पटल और 433 केंद्रों पर 2904 आटोमेटिक टेलर मशीनों के साथ एक करोड़ से अधिक ग्राहकों को देशव्यापी सुविधा देने वाले इस बैंक की सिंगापुर, दुबई और हांगकांग में भी अपनी शाखाएँ हैं। हाल ही में श्रीलंका में भी अपना काम शुरू करने की मंजूरी बैंक को मिल चुकी है। बैंक छोटे लोन देने से परहेज करता है और इसका ज्यादा ध्यान मोटे कार्पोरेट ग्राहकों पर है।

बैंक द्वारा लगभग आधे कर्जे ऊँची रेटिंग वाले कार्पोरेट्‍स को ही दिए गए हैं, जिनसे बढ़िया आमदनी होती है। प्रीमियम सेक्टर को वरीयता देने के कारण इसके साथ जुड़े बैंकिंग के रिस्क कम हैं। लिहाजा पिछले साल इसका एनपीए (गैर उत्पादक निष्पत्तियाँ) इंडस्ट्री में सबसे कम 0.36 फीसदी रहा। हालाँकि सावधि जमाओं में यह बड़ी जमाओं का 75 फीसदी भाग भविष्य में कम करने के साथ फुटकर डिपॉजिट के मुनाफेदार कारोबार पर ध्यान देने की नीति बना रहा है।

बैंक अपनी सब्सिडयरीज द्वारा क्रेडिट कार्ड, निवेश सेवाएँ, फंड प्रबंधन के कारोबार को बखूबी बढ़ा रहा है। देशी-विदेशी महत्वपूर्ण स्थानों पर अपनी पहुँच बनाने की उम्दा रणनीति, ग्राहक की सुविधा व सेवा को पूरी तरह मुहैया कराने को तत्पर इस बैंक के साथ इसका शेयर भी दो-तीन साल में निवेशकों की बल्ले-बल्ले करा सकता है। यह नई पीढ़ी का बैंक है, जो बदलते वक्त की जरूरतों के मुताबिक सबसे पहले, तेजी से बदलकर सफलता की डगर पर खुद को आगे बनाए रखना जानता है। यह आसानी से इस साल 40.5 फीसदी बढ़त के साथ 2069 अरब एवं अगले साल 40.8 फीसदी बढ़त के साथ 2913 अरब का अनुमानित कारोबार का लक्ष्य प्राप्त कर सकता है।

बैंक की शुद्ध आय पिछले साल 76.8 फीसदी और मुनाफा 62.5 फीसदी बढ़ा है। यह अपनी शाखाओं को 2010 तक बढ़ाकर 1021 और एटीएम 3714 करने के मूड में है, जो भावी प्रगति के प्रति इसके विश्वास को दर्शाता है। बैंक की अभिभावक यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया के पास इसके 27.11 फीसदी शेयर हैं। निकट भविष्य में यूटीआई अपनी हिस्सेदारी और भी घटा सकती है क्योंकि उसे अपने यूनिट धारकों को भुगतान करने की मजबूरी है।

एलआईसी-जीआईसी व इसकी अन्य बहनों के पास 15.32 फीसदी शेयर, विदेशी संस्थागत निवेशकों के पास 31.21 फीसदी, म्युचुअल फंडों व अन्य देशी वित्तीय संस्थाओं के पास 9.24 फीसदी व बाकी अन्य के पास 17.12 फीसदी शेयर हैं। डिविडेंड के मामले में शुरुआत से अच्छा रिकॉर्ड रखने वाले बैंक ने बीते साल के लिए भी 60 फीसदी लाभांश घोषित किया, जो 10 रुपए की फेस वैल्यू वाले शेयर के लिए छह रुपए प्रति शेयर होगा।

अरेवा टी एंड डी इंडिया : बिजली व्यवस्था के सभी बुनियादी इंतजामों को मुहैया कराने के चोखे कारोबार में संलग्न इस कंपनी का कारोबार, परमाणु करार होने की सूरत में आगे और भी चोखा हो सकता है, क्योंकि इस 100 साल पुरानी कंपनी के साथ परमाणु ऊर्जा के मामले में विशिष्ट अनुभव जुडे है। कंपनी, परमाणु ऊर्जा उपकरण निर्माण संबंधी काम भारत में कुछ अन्य कंपनियों के सहयोग से शुरू करने की राह पर है और यह अपनी विशेषज्ञता की वजह से काफी फायदा उठा सकती है। भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम से मामला बनते ही कंपनी यूरेनियम खनन व प्रोसेसिंग का काम शुरू कर देगी, जिससे भावी समय में इसके लिये बढिया मुनाफों के द्वार खुलेंगे।

कंपनी लगातार विकास कर रही है और बीता साल एवं बीते साल की तिमाही कंपनी के लिए आर्डरों और कमाई से भरपूर रहे। झाँसी स्थित पारीछा ताप विद्युत परियोजना विस्तार के लिए विशालकाय 420/220 किलोवाट स्विचयार्ड बनाने का आर्डर कंपनी को उत्तरप्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड से मिला है। इस समेकित आर्डर को 2010 की शुरुआत तक पूरा होना है। 190 लाख यूरो (12500 लाख रुपए) के इस आर्डर ने कंपनी को नैनी (इलाहाबाद) में ट्रांसफार्मर फैक्टरी लगाने को प्रेरित किया है ताकि ऊर्जा क्षेत्र में सरकार की भावी सुधार व विकास योजनाओं का पूरा फायदा उठाया जा सके।

विद्युत उत्पादन व वितरण प्रणालियों के निर्माण के प्रचुर संभावनाशील कारोबार में संलग्न अरेवा ने पिछले 100 सालों में 43 देशों में उत्पादन व 100 देशों में वितरण नेटवर्क खड़ा किया हुआ है। 2005 में फ्रांसीसी सरकारी कंपनी अरेवा के अधिग्रहण के साथ इसने अपना नामकरण अरेवा किया। विद्युत परिचालन, वितरण प्रणालियों की पूरी रेंज, उच्च एवं मध्यम वोल्टता के स्विचगीयर, कंट्रोलिंग सिस्टम्स, ट्रांसफार्मर्स, विद्युत उपकेन्द्र व पारेषण लाइनों का निर्माण आदि बिजली संबंधी सभी आधारभूत कामों में कंपनी महारत के साथ बड़े-बड़े प्रोजेक्ट पूरे कर रही है। कंपनी की उत्पादन इकाइयाँ पश्चिम बंगाल, गुजरात, तमिलनाडु व नई दिल्ली में स्थित हैं।

दिसंबर 2008 तक कंपनी होसुर, वडोदरा व पडिप्पेई में नए ग्रीनफील्ड प्रोजेक्टों में नए निवेश के द्वारा क्षमता विस्तार करने वाली है। कई करोड़ की लागत से जहाँ वडोदरा और होसुर में 765 से 1200 किलोवॉट तक के ट्रांसफार्मरों का उत्पादन शुरू किया जाएगा, वहीं पडिप्पेई में 765 किलोवॉट तक क्षमता के सर्किट-ब्रेकर गीयर्स के साथ हाई-वोल्टेज जीआईएस स्विचगीयर और डिस्कनेक्टरों का निर्माण होगा।

राष्ट्रीय ग्रिड की अगले पाँच सालों की विस्तार योजनाओं के अनुरूप, जरूरी 1200 किलोवॉट के कैपेसिटर वोल्टेज ट्रांसफार्मर का पहली बार निर्माण करके कंपनी ने सफल परीक्षण कर लिया है। गत साल की चौथी तिमाही में 39.38 फीसदी की टॉपलाइन बढ़ोतरी के साथ कंपनी ने 50290 लाख की बिक्री की और 54 फीसदी वृद्धि के साथ 5410 लाख का मुनाफा दर्ज किया। इन आँकड़ों के आधार पर 11.30 रूपए की आय प्रति शेयर, शेयर धारकों के निवेश में बढि़या बढ़ोतरी का सूचक है।
*यह लेखक की निजी राय है। किसी भी प्रकार की जोखिम की जवाबदारी वेबदुनिया की नहीं होगी।