ऊँचे प्राइस टारगेट ले डूबे निवेशकों को
शेयर बाजार में डेढ़ महीने पहले तक हर विश्लेषक अलग-अलग कंपनियों के शेयरों के नित नए भाव लक्ष्य दे रहे थे और यह बता रहे थे कि जल्दी से खरीदो वरना वन टू का फोर हो गया तो आप रह जाओगे, लेकिन इन विश्लेषकों को यह नहीं पता था कि फोर तो जब होगा तब होगा, पहले वन का चौथाई जरूर हो जाएगा। लेकिन अब ये विश्लेषक जहाँ प्राइस टारगेट बताने से झिझक रहे हैं, वहीं केवल लॉर्ज कैप शेयर खरीदने की बात कह रहे हैं, जो इस बात का संकेत है कि शेयर बाजार में जल्दी बड़ी रिकवरी नहीं होगी। इन शेयर विश्लेषकों ने व्यावहारिक चीजों को दरकिनार कर अनाप-शनाप प्राइस टारगेट दिए थे, जिसने होमवर्क न करने वाले निवेशकों को सबसे पहले डुबोया और भारतीय शेयर बाजार में सबसे ज्यादा वे ही निवेशक हैं, जो खुद होमवर्क नहीं करते। एक निवेशक के लिए यह जरूरी है कि वह जिस कंपनी में निवेश करने जा रहा है, उसके बारे में काफी कुछ पढ़े। यह कहकर निवेशक इससे बच नहीं सकता कि मेरे पास समय ही नहीं है या फिर कैसे जानकारी जुटाएँ।हरेक निवेश में उससे जुड़ी सारी सूचनाएँ जुटाने की जिम्मेदारी खुद निवेशक की होती है अन्यथा बाजार आज जिस हालात से गुजर रहा है उसमें अधिकतर निवेशक नहीं फँसते। अधिकतर शेयर विश्लेषक तो इस साल बीएसई इंडेक्स के 35 से 40 हजार अंक तक पहुँच जाने की दावे के साथ भविष्यवाणी कर रहे थे। फरवरी में तो मानना था कि 25 हजार अंक से ऊपर इंडेक्स दिखेगा, लेकिन क्या हुआ। अब ज्ञानी, महाज्ञानी विश्लेषकों ने भी अपने अनुमान कम कर दिए हैं। असल में किताबी चीजों से ज्यादा सफल व्यावहारिक चीजें होती हैं।ब्रोकिंग हाउसों के इक्विटी विश्लेषकों ने विभिन्न कंपनियों के शेयरों के भाव आने वाले दिनों में जिन नई ऊँचाइयों पर पहुँचने के लिए जिस औजार को काम में लिया वह 'एम्बेडेड वेल्यू' है, लेकिन इस औजार को काम में लेते समय विश्लेषक बाजार की बुरी दशा पर विचार करने से चूक गए। उन्हें यह औजार तो दिखा लेकिन यह नहीं कि कल हमारा बिगड़ने वाला है। यह सच है कि एम्बेडेड वेल्यू कई जगह उपयोगी है।इसमें सम ऑफ द पार्ट्स पद्धति को काम में लिया जाता है। इसके तहत शेयर बाजार में लिस्टेड या अनलिस्टेड सब्सिडियरी कंपनियों की कीमत और कुछ संपत्तियों को ध्यान में रखना होता है। जरूरी नहीं कि ये संपत्तियाँ मुख्य कारोबार का हिस्सा हो ही। इस कीमत को कंपनी के शेयर भाव में शामिल कर लिया जाता है, लेकिन शेयर विश्लेषकों ने इसका उपयोग कंपनियों के शेयरों को नई ऊँचाई के लक्ष्य दिखाने में किया।एम्बेडेड वेल्यू के विचार को बढ़ावा देने में विदेशी संस्थागत निवेशकों और घरेलू निवेशकों की शेयरों के लिए जगी भूख जिम्मेदार है। ऐसे निवेशक शेयर खरीदने के लिए कोई भी बहाना खोजते रहते हैं। एम्बेडेड वेल्यू विचार ने पिछले कुछ महीनों में अनेक कंपनियों के शेयरों को उछाला है और यही वजह है कि कंपनियाँ अपनी सब्सिडियरी कंपनियों के पब्लिक इश्यू लाने के लिए आगे बढ़ीं। इसका उम्दा उदाहरण रिलायंस एनर्जी है, जिसका भाव तकरीबन चार सौ फीसदी बढ़ गया था और सब्सिडियरी कंपनी रिलायंस पावर का पब्लिक इश्यू आया। इसी तरह, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और आईसीआईसीआई बैंक ने अपनी बीमा कंपनी और एसेट मैनेजमेंट सब्सिडियरी कंपनियों के लिस्टिंग के संबंध में कदम उठाए।कुछ निवेश गुरु कहते हैं कि एम्बेडेड वेल्यू की धारणा बुरी नहीं है। कंपनियों के फंडामेंटल के संबंध में भी कोई समस्या नहीं है, क्योंकि जो बातें सामने आई थीं वे तो तीन से पाँच वर्ष के लिए थीं लेकिन सटोरियों ने इसका उपयोग शेयरों के भाव उछालने में किया। दुनिया में जब लिक्विडिटी की स्थिति सुधरेगी तो यह विचार फिर अपना महत्व कायम करेगा।डार्क हॉर्स : सात खिलाड़ीग्लोबल इनवेस्टमेंट बैंकिंग कंपनी मोर्गन स्टेनली ने एशिया पैसिफिक की ऐसी 20 कंपनियों की सूची जारी की है, जो अगले पाँच वर्ष में बेहतर रिटर्न देगी। मोर्गन स्टेनली ने आने वाले कल के विजेता शीर्षक से जारी इस सूची में भारतीय कंपनियों रिलायंस इंडस्ट्रीज, रिलायंस कैपिटल, भारती एयरटेल, लार्सन एंड टुब्रो, पेंटालून रिटेल, आईडीएफसी और शोभा डेवलपर्स को शामिल किया है। इस सूची में शामिल हुई कंपनियों में से आधी से ज्यादा तो भारत या चीन के शेयर बाजार में सूचीबद्ध हैं।मोर्गन स्टेनली का कहना है कि एशिया में भारत और चीन के तेज विकास की वजह से हमने इस क्षेत्र और कारोबार पर ध्यान केंद्रित किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ये वे कंपनियाँ हैं, जिन्होंने प्रतिस्पर्धा में बाजी मारी है एवं शेयरधारकों को बेहतर रिटर्न दिया है। इन कंपनियों ने अपने देश में खुद के प्रतिस्पर्धियों को जहाँ पीछे छोड़ दिया, वहीं अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा का सामना करने के लिए बेहद मजबूत है। सूची में शामिल अधिकतर कंपनियाँ ऐसे उद्योगों से जुड़ी हुई हैं, जिनमें उतरने के लिए बड़ी-बड़ी अड़चनों का सामना करना पड़ता है।मोर्गन स्टेनली की इस सूची में शामिल कंपनियों में से छह कंपनियाँ हांगकांग शेयर बाजार में सूचीबद्ध हैं, जबकि चीन, ताईवान और कोरिया की दो-दो कंपनियाँ हैं। एक आस्ट्रेलियाई कंपनी को इस सूची में जगह मिली है। हांगकांग से जिन कंपनियों को पसंद किया गया उनमें बेले इंटरनेशनल, मेंगनीनु डेरी, स्पिरिट होल्डिंग, ली एंड फंग, टेनसेन्ट होल्डिंग्स और केमैन आइलैंड स्थित टिंग्ई होल्डिंग कार्पोरेशन शामिल हैं।कोरिया की सेमसंग टेक्विन और वूरी फाइनेंस होल्डिंग, ताईवान की फोक्सकॉन टेक और जेमटैक टेक ने इस सूची में अपना स्थान बनाया है। चीन से शंघाई झेनहुआ पोर्ट मशीनरी कंपनी और शुआंगहुई इनवेस्टमेंट शामिल हुई हैं।•यह लेखक की निजी राय है। किसी भी प्रकार की जोखिम की जवाबदारी वेबदुनिया की नहीं होगी।निवेशक एक साल तक धैर्य रखेंकैसा रहेगा शुक्रवार का बाजारसेंसेक्स ने लगाया दोहरा शतक