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भगवान राम का जन्म लाखों वर्ष पहले हुआ था या 5114 ईसा पूर्व? जानिए रहस्य

भगवान राम का जन्म लाखों वर्ष पहले हुआ था या 5114 ईसा पूर्व? जानिए रहस्य - Lord Rama Birthday
युग की धारणा हमें पुराण और ज्योतिष में तीन तरह से मिलती है। पहली वह जिसमें एक युग लाखों वर्ष का होता है और दूसरी वह जिसमें एक युग 5 वर्ष का होता है और तीसरी वह जिसमें एक युग 1250 वर्ष का है। हम तीनों के मान से श्रीराम के जन्म को समझने के बाद आधुनिक युग में हुए शोध को समझते हैं।
 
 
पहली लाखों वर्ष के एक युग की धारणा-
पुराणों के अनुसार प्रभु श्रीराम का जन्म त्रेतायुग और द्वापर युग के संधिकाल में हुआ था। सतयुग लगभग 17 लाख 28 हजार वर्ष, त्रेतायुग 12 लाख 96 हजार वर्ष, द्वापर युग 8 लाख 64 हजार वर्ष और कलियुग 4 लाख 32 हजार वर्ष का बताया गया है। कलियुग का प्रारंभ 3102 ईसा पूर्व से हुआ था। इसका मतलब 3102+2019= 5121 वर्ष कलियुग के बित चुके हैं।
 
 
उपरोक्त मान से अनुमानित रूप से भगवान श्रीराम का जन्म द्वापर के 864000 + कलियुग के 5121 वर्ष = 869121 वर्ष अर्थात 8 लाख 69 हजार 121 वर्ष हो गए हैं प्रभु श्रीराम को हुए। कहते हैं कि वे 11 हजार वर्षों तक जिंदा वर्तमान रहे। परंपरागत मान्यता अनुसार द्वापर युग के 8,64,000 वर्ष + राम की वर्तमानता के 11,000 वर्ष + द्वापर युग के अंत से अब तक बीते 5,121 वर्ष = कुल 8,80,111 वर्ष। अतएव परंपरागत रूप से राम का जन्म आज से लगभग 8,80,111  वर्ष पहले माना जाता है।
 
 
दूसरी 5 वर्ष का एक युग की धारणा- 
भारतीय ज्योतिषियों ने समय की धारणा को सिद्ध धरती के सूर्य की परिक्रमा के आधार पर नहीं प्रतिपादित किया है। उन्होंने संपूर्ण तारामंडल में धरती के परिभ्रमण के पूर्ण कर लेने तक की गणना करके वर्ष के आगे के समय को भी प्रतिपादित किया है। वर्ष को 'संवत्सर' कहा गया है। 5 वर्ष का 1 युग होता है। संवत्सर, परिवत्सर, इद्वत्सर, अनुवत्सर और युगवत्सर ये युगात्मक 5 वर्ष कहे जाते हैं।
 
 
बृहस्पति की गति के अनुसार प्रभव आदि 60 वर्षों में 12 युग होते हैं तथा प्रत्येक युग में 5-5 वत्सर होते हैं। 12 युगों के नाम हैं- प्रजापति, धाता, वृष, व्यय, खर, दुर्मुख, प्लव, पराभव, रोधकृत, अनल, दुर्मति और क्षय। प्रत्येक युग के जो 5 वत्सर हैं, उनमें से प्रथम का नाम संवत्सर है। दूसरा परिवत्सर, तीसरा इद्वत्सर, चौथा अनुवत्सर और 5वां युगवत्सर है। इस मान से देखें तो कलिकाल के 5121 में ही कई युग बित गए हैं।
 
 
1250 वर्ष का एक युग-
एक पौराणिक मान्यता के अनुसार प्रत्येक युग का समय 1250 वर्ष का माना गया है। इस मान से चारों युग की एक चक्र 5 हजार वर्षों में पूर्ण हो जाता है। यदि इस मान से देखें तो द्वापर और कलियुग के 2500 वर्ष बीत चुके हैं। मतलब यह कि 2500 वर्ष पूर्व श्रीराम हुए थे क्या। यदि यह मान लेते हैं कि यह चार युगों का तीसरा चक्र चल रहा है तो निश्चित ही फिर श्रीराम का जन्म 5000 ईसा वर्ष पूर्व हुआ होगा।
 
 
हम यह धारणा क्यों नहीं मानते?
क्योंकि पहली बात तो यह कि युग का मान स्पष्ट नहीं है। दूसरी बात यह कि यदि आप भगवान श्रीराम की वंशावली के मान से गणना करते हैं तो यह लाखों नहीं हजारों वर्ष की बैठती है। जैसे श्रीराम के बाद उनके पुत्र लव और कुश हुए फिर उनकी पीढ़ियों में आगे चलकर महाभारत काल में शल्य हुए। एक शोधानुसार कुश की 50वीं पीढ़ी में शल्य हुए, जो महाभारत युद्ध में कौरवों की ओर से लड़े थे। इसके अलावा शल्य के बाद बहत्क्षय, ऊरुक्षय, बत्सद्रोह, प्रतिव्योम, दिवाकर, सहदेव, ध्रुवाश्च, भानुरथ, प्रतीताश्व, सुप्रतीप, मरुदेव, सुनक्षत्र, किन्नराश्रव, अन्तरिक्ष, सुषेण, सुमित्र, बृहद्रज, धर्म, कृतज्जय, व्रात, रणज्जय, संजय, शाक्य, शुद्धोधन, सिद्धार्थ, राहुल, प्रसेनजित, क्षुद्रक, कुलक, सुरथ, सुमित्र हुए।
 
 
वर्तमान में जो सिसोदिया, कुशवाह (कछवाह), मौर्य, शाक्य, बैछला (बैसला) और गैहलोत (गुहिल) आदि जो राजपूत वंश हैं वे सभी भगवान प्रभु श्रीराम के वंशज है। जयपूर राजघराने की महारानी पद्मिनी और उनके परिवार के लोग की राम के पुत्र कुश के वंशज है। महारानी पद्मिनी ने एक अंग्रेजी चैनल को दिए में कहा था कि उनके पति भवानी सिंह कुश के 309वें वंशज थे। अब यदि तीन पीढ़ियों का काल लगभग 100 वर्ष में पूर्ण होता है तो इस मान से श्रीराम को हुए कितने हजार वर्ष हुए हैं आप इस 309 पीढ़ी के मान से अनुमान लगा सकते हैं।
 
 
आधुनिक शोध की धारणा-
उपरोक्त धारणा से भिन्न आधुनिक शोध पर आधारित धारणा ज्यादा सही लगती है। इस शोध का आधार रामायण में बताई गई खगोलीय स्थिति और देशभर में बिखरे सबूत हैं। उन सबूतों का कार्बन डेटिंग के आधार पर जांच कर उसका मिलान रामायण में बताए गए घटनाक्रम से किया गया है।
 
 
इस शोधानुसार 5114 ईसा पूर्व 10 जनवरी को दिन के 12.05 पर भगवान राम का जन्म हुआ था जबकि सैंकड़ों वर्षों से चैत्र मास (मार्च) की नवमी को रामनवमी के रूप में मनाया जाता रहा है। एक अन्य शोख के अनुसार राम की जन्म दिनांक वाल्मीकि द्वारा बताए गए ग्रह-नक्षत्रों के आधार पर प्लैनेटेरियम सॉफ्टवेयर अनुसार 4 दिसंबर 7323 ईसा पूर्व अर्थात आज से 9339 वर्ष पूर्व हुआ था। राम के जन्म पर कई शोध हुए हैं लेकिन सबसे सटीक शोध प्रोफेसर तोबयस का रहा।
 
 
वाल्मीकि के अनुसार श्रीराम का जन्म चैत्र शुक्ल नवमी तिथि एवं पुनर्वसु नक्षत्र में जब पांच ग्रह अपने उच्च स्थान में थे तब हुआ था। इस प्रकार सूर्य मेष में 10 डिग्री, मंगल मकर में 28 डिग्री, ब्रहस्पति कर्क में 5 डिग्री पर, शुक्र मीन में 27 डिग्री पर एवं शनि तुला राशि में 20 डिग्री पर था। (बाल कांड 18/श्लोक 8, 9)।
 
 
शोधकर्ता डॉ. वर्तक पीवी वर्तक के अनुसार ऐसी स्थिति 7323 ईसा पूर्व दिसंबर में ही निर्मित हुई थी, लेकिन प्रोफेसर तोबयस के अनुसार जन्म के ग्रहों के विन्यास के आधार पर 10 जनवरी 5114 ईसा पूर्व हुआ था। उनके अनुसार ऐसी आका‍शीय स्थिति तब भी बनी थी। तब 12 बजकर 25 मिनट पर आकाश में ऐसा ही दृष्य था जो कि वाल्मीकि रामायण में वर्णित है।
 
 
ज्यातादर शोधकर्ता प्रोफेसर तोबयस के शोध से सहमत हैं। इसका मतलब यह कि राम का जन्म 10 जनवरी को 12 बजकर 25 मिनट पर 5114 ईसा पूर्व हुआ था।
 
 
निष्कर्श:- राम का जन्म लाखों वर्ष पूर्व नहीं, कुछ हजारों वर्ष पूर्व ही हुआ था। हमें इस दिशा में शोध और विचार करने की जरूर है। राम एक ऐतिहासिक व्यक्ति हैं और उन पर विरोधाभाष पैदा करना उचित नहीं होगा। जरूरत है कि पुराण और अन्य ग्रंथों की बातों को छोड़कर वाल्मीकि रामायण में जो लिखा है उसे सत्य माना जाए। क्योंकि महर्षि वाल्मीकि ने ही भगवान राम और उनके काल के बारे में उचित वर्णन किया है।
 
-संदर्भ : (वैदिक युग एवं रामायण काल की ऐतिहासिकता: सरोज बाला, अशोक भटनाकर, कुलभूषण मिश्र)
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