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Olympics 2021 : ओलंपिक में खेले जाते हैं प्राचीन भारत के ये 9 खेल

Olympics 2021 : ओलंपिक में खेले जाते हैं प्राचीन भारत के ये 9 खेल - Olympics 2021
ऐसे बहुत सारे खेल हैं जिनका जन्मदाता देश भारत है, लेकिन कम ही भारतीय यह जानते होंगे कि कौन-कौन से खेल भारतीयों ने खोजे। ओलिंपिक इतिहास के पहले भारत में भी ओलंपिक होता था। ओलंपिक के अधिकतर खेल भारत में आविष्कृत हैं। आओ जानते हैं उन भारतीय खेलों के नाम जो ओलंपिक में खेले जाते हैं।
 
 
1. शतरंज (Chess) : पौराणिक शास्त्रों के अनुसार शतरंज का आविष्कार रावण की पत्नी मंदोदरी ने किया था। रानी मंदोदरी ने इस उद्देश्य से किया था कि उसका पति रावण अपना सारा समय युद्ध में व्यतीत न कर सके। एक पौराणिक मत यह भी है कि रावण के पुत्र मेघनाद की पत्नी ने इस खेल का प्रारंभ किया था।
 
'अमरकोश’ के अनुसार इसका प्राचीन नाम ‘चतुरंगिनी’ था जिसका अर्थ 4 अंगों वाली सेना था। गुप्त काल में इस खेल का बहुत प्रचलन था। पहले इस खेल का नाम चतुरंग था लेकिन 6ठी शताब्दी में फारसियों के प्रभाव के चलते इसे शतरंज कहा जाने लगा। यह खेल ईरानियों के माध्‍यम से यूरोप में पहुंचा तो इसे चैस (Chess) कहा जाने लगा। छठी शताब्दी में यह खेल महाराज अन्नुश्रिवण के समय (531-579 ईस्वी) भारत से ईरान में लोकप्रिय हुआ। तब इसे ‘चतुरआंग’, ‘चतरांग’ और फिर कालांतर में अरबी भाषा में ‘शतरंज’ कहा जाने लगा। 7वीं शती के सुबंधु रचित 'वासवदत्ता' नामक संस्कृत ग्रंथ में भी इसका उल्लेख मिलता है। बाणभट्ट रचित हर्षचरित्र में भी चतुरंग नाम से इस खेल का उल्लेख किया गया है।
 
 
2. पोलो या सगोल कंगजेट : आधुनिक पोलो की तरह का घुड़सवारीयुक्त यह खेल 34 ईस्वीं में भारतीय राज्य मणिपुर में खेला जाता था। इसे ‘सगोल कंगजेट’ कहा जाता था। सगोल (घोड़ा), कंग (गेंद) तथा जेट (हॉकी की तरह की स्टिक)। कालांतर में मुस्लिम शासक उसी प्रकार से ‘चौगान’ (पोलो) और अफगानिस्तानवासी घोड़े पर बैठकर ‘बुजकशी’ खेलते थे, लेकिन बुजकशी का खेल अति क्रूर था। सगोल कंगजेट का खेल अंग्रेजों ने पूर्वी भारत के चाय बागानवासियों से सीखा और बाद में उसके नियम आदि बनाकर 19वीं शताब्दी में इसे पोलो के नाम से योरपीय देशों में प्रचाररित किया।
 
 
3. फुटबॉल (Football) : फुटबॉल का खेल आज सबसे लोकप्रिय खेल है। फुटबॉल में ब्राजील, स्पेन, अर्जेंटीना आदि देशों की बादशाहत है और भारत सबसे निचले पायदान पर कहीं नजर आता है। लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि फुटबॉल खेल का जन्मदाता देश भारत है। चूंकि इतिहास अंग्रेजों ने लिखा इसलिए उन्होंने ओलंपिक को महान बना दिया। कुछ लोग चीन, ग्रीक और कुछ लोग इटली को इसका जन्मदाता देश मानते हैं, लेकिन इसका सबसे प्राचीन उल्लेख महाभारत में मिलता है। महाभारत में जिक्र है कि कृष्ण अपने साथियों के साथ यमुना किनारे फुटबॉल खेलते थे।

 
4. तीरंदाजी (Archery) : तीरंदाजी का आविष्कार भारत में हुआ। इसके असंख्‍य प्रमाण हैं। इसे अंग्रेजी में bow and arrow भी कहते हैं। हालांकि विदेशी इतिहासकार इसकी उत्पत्ति मिस्र और चीन से जोड़ते हैं। भारत में एक से एक धनुर्धर थे। धनुर्वेद नाम से एक प्राचीन वेद भी है जिसमें इस विद्या को विस्तार से बताया गया है। यह विद्या सिखाने के दौरान गुरुकुल में इसकी प्रतियोगिता होती थी।

 
5. हॉकी (Hockey) : हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल है। हॉकी का जन्म 2000 वर्ष पूर्व ईरान में हुआ था, तब ईरान को पारस्य देश कहा जाता था और यह आर्यावर्त का एक हिस्सा था। मूलत: हॉकी का जन्म उस इलाके में हुआ, जहां भारत का प्राचीन जनपद कम्बोज देश था। यह खेल भारत से ही ईरान (फारस) गया और वहां से ग्रीस। ग्रीस के लोगों ने इसको उनके यहां होने वाले ओलिंपिक खेलों में शामिल किया। भारत में मेजर ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहते हैं।

 
6. कुश्ती (Wrestle) : रामायण काल में हनुमान और महाभारत काल में भीम का अपने साथियों के साथ कुश्ती लड़ने का जिक्र आता है। कुश्ती एक अतिप्राचीन खेल, कला एवं मनोरंजन का साधन है। यह प्राय: दो व्यक्तियों के बीच होती है जिसमें खिलाड़ी अपने प्रतिद्वंद्वी को पकड़कर एक विशेष स्थिति में लाने का प्रयत्न करता है। कुश्ती में दारासिंह, गामा पहलवान और गुरु हनुमान की मिसाल दी जाती है। कुश्ती की प्रतियोगिता को दंगल भी कहते हैं। इसके खिलाड़ियों को पहलवान कहते हैं और इसके मैदान को अखाड़ा कहते हैं। भारत के शैवपंथी संत प्राचीनकाल से ही इस खेल को खेलते आए हैं जिसके माध्यम से उनका शरीर पुष्ट रहता है।
 
अखाड़ों का इतिहास लगभग 2500 ईपू से ताल्लुक रखता है, लेकिन अखाड़े 8वीं सदी से अस्तित्व में आए, जब आदि शंकराचार्य ने महानिर्वाणी, निरंजनी, जूना, अटल, आवाहन, अग्नि और आनंद अखाड़े की स्थापना की। बाद में छत्रपति शिवाजी के गुरु ने देश भरत के अखाड़ों का पुनर्जागरण किया। 

 
7. मार्शल आर्ट : भारतीय परंपरा और जनश्रुति अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने ही मार्शल आर्ट का अविष्कार किया था। दरअसल पहले इसे कालारिपयट्टू (kalaripayattu) कहा जाता था। इस विद्या के माध्यम से ही उन्होंने चाणूर और मुष्टिक जैसे मल्लों का वध किया था तब उनकी उम्र 16 वर्ष की थी। मथुरा में दुष्ट रजक के सिर को हथेली के प्रहार से काट दिया था। इस विद्या को अगस्त्य मुनि ने प्रचारित किया था। श्रीकृष्ण ने ही कलारिपट्टू की नींव रखी, जो बाद में बोधिधर्मन से होते हुए आधुनिक मार्शल आर्ट में विकसित हुई। बोधिधर्मन के कारण ही यह विद्या चीन, जापान आदि बौद्ध राष्ट्रों में खूब फली-फूली। इसी के अंतर्गत कराटे, जुडो और तायकांडो भी रहते हैं। यह सभी कलारिपयट्टू के ही विभिन्न रूप हैं।
 
 
8. नौकायन : ओलंपिक में कैनोइ, कायक स्लैलम। दक्षिण भारत में यह खेल प्राचीनकाल से ही चला आ रहा है। अराणमुला नौका दौड़ भारत के दक्षिण-पश्चिमी राज्य केरल की सर्वप्राचीन नौका दौड़ है। ओणम पर्व पर इसका आयोजन होता है। विश्व के सबसे प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद में, भारतियों द्वारा समुद्री यात्रा किए जाने के अनेक उल्लेख मिलते हैं। तभी से नौकायन जारी है। 

 
9. तैराकी : प्राचीन काल से ही भारत में जितनी नदियां झील और तालाब हैं उतने किसी योरपीय या अरब देश में नहीं है। भारत में ही तैराकी प्रतियोगिता का जन्म हुआ है। पौराणिक कथाओं में इसका उल्लेख मिलता है। प्राचीन भारत में तरण ताल हुआ करते थे जिसे आज स्वीमिंग पूल कहा जाता है। सिंधु घाटी सभ्यता में तरण ताल होने के सबूत मिले हैं। वंदावन में महाभारत काल के तरण ताल है, जहां पर श्रीकृष्ण और गोपियां स्नान और तैराकी करती थीं। 
 
10. अन्य खास बातें: 
सबसे प्राचीन खेल : ऐसे बहुत सारे खेल हैं जिनका जन्मदाता देश भारत है, जैसे सांप-सीढ़ी, शतरंज, गंजिफा (ताश), रथ दौड़, बैलगाड़ियों की दौड़, नौका की दौड़, धनुर्विद्या, तलवारबाजी, घुड़सवारी, मल्ल-युद्ध, कुश्ती, तैराकी, भाला फेंक आदि। गौतम बुद्ध स्वयं सक्षम धनुर्धर थे और रथ दौड़, तैराकी तथा गोला फेंकने आदि की स्पर्द्धाओं में भाग ले चुके थे। ‘विलास-मणि-मंजरी’ ग्रंथ में त्र्युवेदाचार्य ने इस प्रकार की घटनाओं का उल्लेख किया है।
 
निम्न खेलों के अलावा खो-खो, चौपड़ पासा, कबड्डी, छिपा-छई, पिद्दू, चर-भर, शेर-बकरी, अस्टा-चंगा, चक-चक चालनी, समुद्र पहाड़, दड़ी दोटा, गो, किकली (रस्सी कूद), मुर्ग युद्ध, बटेर युद्ध, अंग-भंग-चौक-चंग, गोल-गोल धानी, सितौलिया, अंटी-कंचे, पकड़म-पाटी, गिल्ली-डंडा, पतंगबाजी आदि सैकड़ों खेल हैं जिनमें से कुछ का अब अंग्रेजीकरण कर दिया गया है। 
 
उपरोक्त में से 4 मनोरंजक खेलों का प्राचीन ग्रंथों में उल्लेख मिलता है। ये खेल हैं- शतरंज (चतुरंग), चौपड़-पांसा, गेंद फेंक और कुश्ती। महाभारत में जिक्र है कि कृष्ण अपने साथियों के साथ यमुना किनारे फुटबॉल खेलते थे। रामायण काल में हनुमान और महाभारत काल में भीम का अपने साथियों के साथ कुश्ती लड़ने का जिक्र आता है।
 
अखाड़ों का इतिहास लगभग 2500 ईपू से ताल्लुक रखता है, लेकिन अखाड़े 8वीं सदी से अस्तित्व में आए, जब आदिशंकराचार्य ने महानिर्वाणी, निरंजनी, जूना, अटल, आवाहन, अग्नि और आनंद अखाड़े की स्थापना की। बाद में छत्रपति शिवाजी के गुरु ने देशभर के अखाड़ों का पुनर्जागरण किया। 
 
सिन्धु घाटी के नगरों में चौपड़-पांसों के खेल के पट्टे इत्यादि मिले हैं। पांसों की गोटें बड़े पत्थरों की बनी होती थीं। जुए के खेल, पांसे आदि के पट्टे प्राचीन नगरों के खंडहरों से भी मिले हैं जिससे उस खेल की लोकप्रियता प्रकट है। महाभारत में कौरव और पांडवों के बीच यह खेल हुआ था जिसके चलते युद्ध की नौबत आ गई थी।