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Written By अनिरुद्ध जोशी

क्या हिन्दू पौराणिक काल में होते थे विशालकाय मानव?

क्या हिन्दू पौराणिक काल में होते थे विशालकाय मानव? | Giant human
हालांकि यह सोचना थोड़ा कठिन है कि आदिकाल, प्राचीनकाल या पौराणिक काल में लोग 20 से 22 फीट के होते थे? पौराणिक कथाओं में ऐसे विशालकाय मानवों का जिक्र जरूर मिलता है। हिन्दू पौराणिक ग्रंथों अनुसार दानव, दैत्य (असुर) और राक्षस लोग विशालकाय हुआ करते थे। ताड़का, कुम्भकर्ण, बकासुर, घटोत्कच आदि अनेकों के नाम पुराणों में मिलते हैं, जो कि विशालकाय थे। हिन्दू पुराणों के अनुसार विशालकाय लंबे-चौड़े राक्षसों जैसे मानव पहले धरती पर रहते थे।
विशालकाय पैरों के निशान : दुनियाभर में 2 से 6 फुट तक के लंबे पदचिह्न पाए जाते हैं। सवाल यह उठता है कि ये किसी विशालकाय मानव के पदचिह्न हैं या कि मानव ने ऐसे पदचिह्न हाथों से बनाए हैं। भारत में भगवान शिव और हनुमानजी के पैरों के निशान मिलते हैं जो बहुत ही विशालकाय हैं।
 
पौराणिक कथाओं अनुसार आदिकाल में विशालकाय मानव ही नहीं पशु और प‍क्षी भी होते थे। कहते हैं गरुड़ नामक उकाब इतना विशालकाय था कि वह अपने पंजों से हाथी को उठा कर ले जाता था। लेकिन अब सवाल यह है कि यदि वह विशालकाय था तो हाथी भी विशालकाय होते होंगे?
 
हालांकि यह सही हो सकता है कि पशु और पक्षियों की कुछ ऐसी प्रजातियां रही हो जो कि विशालकाय थी और जो अब लुप्त हो गई है। हिन्दू धर्म के अनुसार सतयुग में इस तरह के विशालकाय मानव हुआ करते थे। बाद में त्रेतायुग में इनकी प्रजाति नष्ट हो गई। पुराणों के अनुसार भारत में दैत्य, दानव, राक्षस और असुरों की जाति का अस्तित्व था, जो इतनी ही विशालकाय हुआ करती थी।
 
शिमला से 100 किमी की दूरी पर करसोग घाटी में ममलेश्वर मंदिर है में एक 2 मीटर लंबा और तीन फीट है ऊंचा ढोल करीब पांच हजार साल से रखा हुआ है। इसके बारे में कहा जाता है कि ये ढोल भीम का है। और अज्ञातवास के समय वह बजाया करते थे। क्या भीम सचमुच विशालकाय मानव थे?

नेफिलीम : बाइबिल के अनुसार 'नेफिलीम' युग में इस तरह के लोग थे, जो स्वर्ग से बहिष्कृत किए गए थे। इन लोगों ने धरती की सुंदर-सुंदर स्त्रियों को देखा और उनके साथ रहने लगे। बाइबल कहती है कि ऐसा करना गलत था, क्योंकि परमेश्वर ने स्वर्ग दूतों को स्वर्ग में रहने के लिए बनाया था न कि धरती पर।

आगे चलकर इन औरतों के बच्चे हुए। पहले तो ये बच्चे एकदम दूसरे बच्चों की तरह दिखते थे, मगर एक बार जब वे बढ़ने लगे तो वे बड़े, बड़े और बड़े होते गए। वे इतने बड़े हो गए कि बाकी सब लोगों से ज्यादा लंबे और ताकतवर बन गए। इन्हीं को 'नेफिलीम' कहा जाता था। 
 
भारतीय, मिस्र, ग्रीस, मैक्सिको, सुमेरू, बेबीलोनिया और माया सभ्यता के अनुसार वे कई प्रकार के थे, जैसे आधे मानव और आधे जानवर। शोधकर्ता मानते हैं कि उनमें से बचे कुछ 'नेफिलीम' आज भी धरती पर मौजूद हैं। वे हमें इसलिए दिखाई नहीं देते है, क्योंकि या तो वे हिमालय की अनजान जगहों पर रहते हैं या पाताल की गुप्त सुरंगों में। हमने कई लोगों को यह कहते सुना है कि 'बिगफुट' देखा गया।
 
 
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विशालकाय मानव खोपड़ियां : दुनिया में अब तक कहीं से भी विशालकाय मानव खोपड़ियां नहीं पाई गई हैं। इंटरनेट पर विशालकाय मानव खोपड़ियों के लगभग सभी चित्र फर्जी पाए गए हैं, हालांकि बौने मानवों के कंकाल और खोपड़ियां जरूर मिली हैं। इससे यह तर्क किया जा सकता है कि विशालकाय मानव की खोपड़ियां भी जरूर होंगी। 
 
जब बौने मानवों का अस्तित्व था तो विशालकाय मानवों का भी रहा होगा। हालांकि वैज्ञानिक इस बात का दावा जरूर करते हैं कि उन्हें लंबे सिर वाले मानवों की खोपड़ियां मिली हैं। लंबे सिर का अर्थ पीछे से उनकी खोपड़ियां इतनी लंबी हैं, जैसे उन्होंने कोई टोपी पहन रखी हो।
 
तूतावेल में 70 के दशक में 4,50,000 साल पुरानी निएंडरथाल मानव की खोपड़ी मिली जिसे 'तूतावेल मैन' का नाम दिया गया। यह खोपड़ी ब्रेमेन के म्यूजियम में रखी है। वैज्ञानिकों ने उत्तरी लाओस में एक प्राचीन खोपड़ी की खोज की है जिससे इस बात का खुलासा हुआ है कि मानव अफ्रीका से दक्षिण-पूर्व एशिया पूर्व धारणा की तुलना में 20,000 साल पहले ही पहुंच गए थे।
 
दक्षिण अफ्रीका में वैज्ञानिकों ने गुफाओं में बनी कब्रों में मानव जैसी नई प्रजाति खोजी है। वैज्ञानिकों ने 15 आंशिक कंकाल पाए हैं। ये 15 आंशिक कंकाल अलग-अलग उम्र के पुरुष, महिला, बुजुर्ग और शिशुओं के हैं। इस प्रजाति का नाम 'नलेदी' बताया गया है और इनका वर्गीकरण, होमो समूह में किया गया है। 
 
नलेदी को 2 पांवों पर चलने वाले प्राचीन नर वानर और मानव के बीच एक 'पुल' के तौर पर देखा जा सकता है। इस शोध का नेतृत्व करने वाले प्रोफेसर ली बर्जर के अनुसार ये मानव के पूर्वज हो सकते हैं और उम्मीद है कि ये अफ्रीका में 30 लाख साल पहले तक रहे हों। यह अध्ययन 'ईलीफ' नामक जर्नल में छपा है।
 
आधुनिक युग के विशालकाय मानव, अगले पन्ने पर...

हर देश में आदमी की लंबाई का औसत भिन्न- भिन्न है। लेकिन कुछ लोगों को उम्मीद से ज्यादा लंबाई कुदरत की देन के रूप में मिल जाती है। संसार में ऐसे बहुत सारे लोग हुए हैं जिनकी लंबाई आम इंसानों की अधिकतम लंबाई से भी कहीं ज्यादा है। 
अमेरिकी नीग्रो युवक रॉबर्ट वाडलो की लंबाई 8 फीट 11 इंच थी। 22 साल की उम्र में ही उसकी मौत हो गई थी। अमेरिका के ही दूसरे युवक जॉन विलियम रोगान की लंबाई 8 फीट 9 इंच थी। एक तीसरे अमेरिकी युवक जॉन एफ. कैरोल की हाइट 8 फीट 7 इंच थी, लेकिन कहा जाता है कि उनकी लंबाई नापना मुश्‍किल था। हो सकता है कि उनकी मौत के वक्त तक उनकी लंबाई 9 फीट के करीब हो गई होगी। 
 
लंबे काल तक जीवित रहे लोगों में यूक्रेन के लियोनाइड की लंबाई 8 फीट 5 इंच के लगभग थी। वैनो माइलारिन की लंबाई 8 फीट 3 इंच थी। उत्तरी अमेरिका के इडोआर्ड बियोपर की लंबाई भी 8 फीट 3 इंच थी। सुल्तान कोसन की हाइट भी 8 फीट 3 इंच थी। डॉन कोहेलर की लंबाई 8 फीट 2 इंच थी। अमेरिका के ही बर्नार्ड कोएन की लंबाई 8 फीट दर्ज की गई थी। 
 
लंबे लोगों की लिस्ट में भारत के विकास कुमार उप्पल का नाम भी शामिल है। कुछ रिपोर्ट्स में उनकी लंबाई 8 फीट 10 इंच तो कुछ रिपोर्ट्स अनुसार 8 फीट 3 इंच लंबाई होने का दावा किया गया। बर्नार्ड कोएन की लंबाई 8 फीट दर्ज की गई है। 1986 को हरियाणा के रोहतक में जन्मे विकास को उस काल में दुनिया का 10वां सबसे लंबा व्यक्ति माना गया था। 21 साल की उम्र में 30 जून 2007 को उनकी ब्रेन ट्यूमर के कारण मौत हो गई। 
 
इस तरह हमने यह जाना कि आदमी की लंबाई अधिकतम 8 फीट तक जा सकती है। इस लंबाई में व्यक्ति आसानी से जी सकता है। दुनिया में अब तक के सबसे बड़े मानवों की लंबाई संबंधी अध्ययन से पता चला है कि नीदरलैंड्स के पुरुष और लातवियाई महिलाएं दुनिया में सबसे लंबी होती हैं, जबकि ग्वाटेमाला की महिलाएं और पूर्वी तिमोर के पुरुष दुनिया के सबसे छोटे कद के होते हैं।
 
शोध पत्रिका 'ई-लाइफ' में प्रकाशित अध्ययन में डच पुरुषों का औसतन कद 183 सेमी (6 फीट) जबकि एक औसत लातवियाई महिला का कद 170 सेमी (5 फुट 7 इंच) बताया गया है। लेकिन अध्ययन में यह भी पता चला है कि ईरान के पुरुष और दक्षिण कोरियाई महिलाएं गत शताब्दी में सबसे तेजी से लंबे हुए हैं। अमेरिका के लोग कभी दुनिया के सबसे लंबे लोगों में शुमार हुआ करते थे, लेकिन 100 साल पहले लंबाई में पुरुष और महिला क्रमश: तीसरे और चौथे स्थान से फिसलकर 2014 में 37वें और 42वें स्थान पर आ गए हैं।
 
इंपीरियल कॉलेज के वैज्ञानिकों के अध्ययन और 'लाइफ जर्नल' के अनुसार गत 30 से 40 सालों के बीच कुछ देशों के लोगों के लंबाई में बढ़ोतरी रुक गई है, हालांकि स्पेन, इटली, लेटिन अमेरिका और पूर्वी एशिया के लोगों में अभी भी लंबाई में बढ़ोतरी जारी है। 'ई-लाइफ' ने 1914 के बाद से अब तक दुनियाभर के 187 देशों में विकास के रुझानों पर शोध छापा है।
 
इंपीरियल कॉलेज लंदन के सह-लेखक के अनुसार भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे दक्षिण एशियाई देशों और सब सहारा अफ्रीका के लोगों का कद कुछ खास नहीं बढ़ा है। पूर्वी एशिया में जापान, चीन और दक्षिण कोरिया के लोगों का कद 100 सालों में पहले के मुकाबले बढ़ा है। हो सकता है कि यह लोगों में अपने शरीर को सेहतमंद बनाए रखने और लंबे रहने की चाहत का परिणाम हो। भारतीय लोगों में अपने शरीर की फिक्र करना प्रचलन में नहीं है।
 
मानव लंबाई पोषण और पर्यावरणीय कारणों से अत्यधिक प्रभावित होती है, हालांकि प्रत्येक व्यक्ति में आनुवांशिक कारक भी इसके लिए जिम्मेदार होते हैं। अध्ययन के अनुसार गर्भाधान के दौरान मां का स्वास्थ्य और पोषण भी बच्चे की लंबाई तय करता है। लंबाई का बढ़ना आजीवन परिणामों का भी हिस्सा है। 
 
कुछ अध्ययनों से पता चला है कि लंबे व्यक्ति ज्यादा दिन तक जीवित रहते हैं, अच्छी शिक्षा पाते हैं और अच्छा कमाते हैं। लेकिन अधिकतम लंबाई से अधिक लंबाई होना बीमारियों को भी बढ़ावा देता है। अध्ययन से पता चला है कि लंबे लोगों में डिम्ब ग्रंथि और प्रोस्टेट कैंसर संबंधी बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है।