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धनवान बना देंगे आपको ये 10 चमत्कारिक पौधे

धनवान बना देंगे आपको ये 10 चमत्कारिक पौधे | how to make money
आप मानो या न मानो लेकिन अधिकतर लोग तो मानते हैं कि धन देने वाले पेड़ और पौधे भी होते हैं। क्या कोई पौधे धन और समृद्धि दे सकते हैं। देश और दुनिया में इस तरह की धारणा प्राचलित है कि कुछ खास किस्म के पौधों का आपके घर के आसपास या घर के आंगन में होने से घर में धन लक्ष्मी का प्रवेश सुगम हो जाता है।
 
अब यह बात कितनी सही है या गलत यह तो हम नहीं जानते लेकिन भारतीय परंपरा में ऐसे कई पौधों के बारे में कहा गया है यदि वे आपके घर में है तो चमत्कारिक रूप से धनवर्षा होने लगती है। उनमें से कुछ पौधे तो सच में ही बहुत ही दुर्लभ हैं। फिर भी आओ जानते हैं कि ऐसे पौधे कौन से हैं और वे कहां मिलेंगे।

मनी प्लांट : मनी प्लांट के बारे में तो सभी जानते ही होंगे। मान्यता है कि इस बेल के घर में रहने से धन और समृद्धि बढ़ती जाती है। लेकिन वास्तु शास्त्र के अनुसार यह पौधा घर में उचित दिशा में नहीं लगाया गया है तो आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ सकता है।
वास्तु शास्त्रियों का मानना है कि मनीप्लांट के पौधे के घर में लगाने के लिए आग्नेय दिशा सबसे उचित दिशा है। इस दिशा में यह पौधा लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का भी लाभ मिलता है। मनीप्लांट को आग्नेय यानी दक्षिण-पूर्व दिशा में लगाने का कारण यह है कि इस दिशा के देवता गणेशजी हैं जबकि प्रतिनि‍धि शुक्र हैं।  गणेशजी अमंगल का नाश करने वाले हैं जबकि शुक्र सुख-समृद्धि लाने वाले। यही नहीं, बल्कि बेल और लता का कारण शुक्र ग्रह को माना गया है। इसलिए मनीप्लांट को आग्नेय दिशा में लगाना उचित माना गया है। 

केले का पेड़ : केले का पेड़ काफी पवित्र माना जाता है और कई धार्मिक कार्यों में इसका प्रयोग किया जाता है। भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को केले का भोग लगाया जाता है। केले के पत्तों में प्रसाद बांटा जाता है। माना जाता है कि समृद्धि के लिए केले के पेड़ की पूजा अच्छी होती है।  केला हर मौसम में सरलता से उपलब्ध होने वाला अत्यंत पौष्टिक एवं स्वादिष्ट फल है।
केला रोचक, मधुर, शक्तिशाली, वीर्य व मांस बढ़ाने वाला, नेत्रदोष में हितकारी है। पके केले के नियमित सेवन से शरीर पुष्ट होता है। यह कफ, रक्तपित, वात और प्रदर के उपद्रवों को नष्ट करता है। घर की चारदीवारी में केले का वृक्ष लगाना शुभ है। इसे ईशान कोण में लगाना शुभ है। क्योंकि यह बृहस्पति ग्रह का प्रतिनिधि वृक्ष है।

नारियल का वृक्ष : हिन्दू धर्म में नारियल के बगैर तो कोई मंगल कार्य संपन्न होता ही नहीं। पूजा के दौरान कलश में पानी भरकर उसके ऊपर नारियल रखा जाता है।  यह मंगल प्रतीक है। नारियल का प्रसाद भगवान को चढ़ाया जाता है। नारियल के पानी में पोटैशियम अधिक मात्रा में होता है। इसे पीने से शरीर में किसी भी प्रकार की सुन्नता नहीं रहती।  
अनजाना भय : शनि, राहु या केतुजनित कोई समस्या हो, कोई ऊपरी बाधा हो, बनता काम बिगड़ रहा हो, कोई अनजाना भय आपको भयभीत कर रहा हो अथवा ऐसा लग   रहा हो कि किसी ने आपके परिवार पर कुछ कर दिया है, तो इसके निवारण के लिए शनिवार के दिन एक जलदार जटावाला नारियल लेकर उसे काले कपड़े में लपेटें। 100   ग्राम काले तिल, 100 ग्राम उड़द की दाल तथा 1 कील के साथ उसे बहते जल में प्रवाहित करें। ऐसा करना बहुत ही लाभकारी होता है। 
तुलसी : तुलसी तो अक्सर सभी घरों में लोग रखते ही है। इसके होने के कई फायदे हैं। यह एक ओर जहां सभी तरह के रोगाणु को घर में आने से पहले ही नष्ट कर देती है वहीं यह घर में सुख, शांति और समृद्धि का विकास करती है। इसके नियमित सेवन से किसी भी प्रकार का गंभीर रोग नहीं होता है।
 
हिन्दू धर्म के अनुसार तुलसी को लक्ष्मी का दूसरा रूप माना गया है। घर में तुलसी का पौधा पूर्व दिशान, ईशान कोण अर्थात पूर्व और उत्तर के बीच या उत्तर दिशा में लगाएं।

अश्वगंधा : वास्तुशास्त्र के अनुसार अश्वगंधा का पेड़ लगाने से सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। अश्वगंधा का पेड़ अत्यन्त लोकप्रिय आयुर्वेदिक औषधि भी है जिसके कई तरह के लाभ हैं।
कनेर : कनेर की तीन तरह की प्रजातियां होती है। एक सपेद कनेर, दूसरी लाल कनेर और तीसरी पीले कनेर। कनेर को किसी वास्तुशास्त्री से पूछकर ही उचित दिशा में लगाना चाहिए। कनेर के पौधे के कई औषधिय गुण भी है। इससे गंजापन दूसर करने की दवा भी बनती है। कनेर को पौधे को लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। देवी लक्ष्मी को सफेद कनेर की फूल चढ़ाए जाते हैं। हालांकि पीले रंग के फूल भगवान विष्णु को प्रिय होते हैं।

श्वेतार्क : श्वेतार्क दूधवाला पौधा होता है जो गणपति का प्रतीक है। वास्तु अनुसार दूध से युक्त पौधों का घर की सीमा में होना अशुभ होता है किंतु श्वेतार्क या आर्क इसका अपवाद है जिसे घर के समीप उगा सकते हैं। श्वेतार्क के पौधे की हल्दी, अक्षत और जल से सेवा करें। 
इससे घर के रहने वालों को सुख शांति प्राप्त होती है। जिसके घर के समीप श्वेतार्क का पौधा फलता-फूलता है वहां सदैव बरकत बनी रहती है। ऐसी भी मान्यता है भी है कि जिस भूमि पर श्वेतार्क स्वत: उगा है वहां गुप्त धन हो सकता है। यह भी कि जहां यह होता है वहां के गृह स्वामी को आकस्मिक धन की प्राप्ति होती है।

श्वेत अपराजिता : श्वेत अपराजिता का पौधा मिलना कठिन है। हालांकि नीले रंग का आसानी से मिल जाता है। इसके सफेद या नीले रंग के फूल होते हैं। अक्सर सुंदरता के लिए इसके पौधे को बगीचों में लगाया जाता है। इसमें बरसात के सीजन में फलियां और फूल लगते हैं। यह पौधा धनलक्ष्मी को आकर्षित करने में सक्षम है।
संस्कृत में इसे आस्फोता, विष्णुकांता, विष्णुप्रिया, गिरीकर्णी, अश्वखुरा कहते हैं जबकि हिन्दी में कोयल और अपराजिता। बंगाली में भी अपराजिता, मराठी में गोकर्णी, काजली, काली, पग्ली सुपली आदि कहा जाता है। गुजराती में चोली गरणी, काली गरणी कहा जाता है। तेलुगु में नीलंगटुना दिटेन और अंग्रेजी में मेजरीन कहा जाता है।
 
दोनों प्रकार की कोयल (अपराजिता), चरपरी (तीखी), बुद्धि बढ़ाने वाली, कंठ (गले) को शुद्ध करने वाली, आंखों के लिए उपयोगी होती है। यह बुद्धि या दिमाग और स्मरण शक्ति को बढ़ाने वाली है तथा सफेद दाग (कोढ़), मूत्रदोष (पेशाब की बीमारी), आंवयुक्त दस्त, सूजन तथा जहर को दूर करने वाली है।
लक्ष्मणा : लक्ष्मणा का पौधा भी श्वेत अपराजिता के पौधे की तरह धनलक्ष्मी को आकर्षित करने में सक्षम है। लेकिन इसका मिलना भी दुर्लभ है। घर में किसी भी बड़े गमले में इसे उगाया जा सकता है।

कहते हैं कि जिस किसी के भी घर में सफेद पलाश और लक्षमणा का पौधा होता है वहां धनवर्षा होना शुरू हो जाती है। जिंदगीभर किसी भी प्रकार से धन, दौलत आदि की कमी नहीं रहती है। दोनों ही पौधों के आयुर्वेद और तंत्रशास्त्र में कई और भी चमत्कारिक प्रयोग बताए गए हैं।  
 
एक लक्ष्मणा बूटी नाम का पौधा भी होता है। देहात में इसे गूमा कहते हैं। वैद्यवर्ग इसे लक्ष्मण बूटी कहते हैं। श्वेत लक्ष्मण का पौधा ही तांत्रिक प्रयोग में लाया जाता हैं।
हारसिंगार : जो भी मनुष्य 2 या अधिक हारसिंगार (पारिजात) के पौधों का रोपण श्री हनुमानजी के मंदिर में अथवा नदी के किनारे या किसी भी सामाजिक स्थल पर करता है तो उसे एक लक्ष्य तोला स्वर्णदान के जितना पुण्य प्राप्त होता है और उसे जीवन भर श्री हनुमान जी की कृपा मिलती रहती है। हरसिंगार के बांदे को पूजा करने के बाद लाल कपड़े में लपेटकर तिजोरी में रखें तो आपको कभी धन की कमी नहीं होगी।
 
पारिजात के फूलों को हरसिंगार और शैफालिका भी कहा जाता है। अंग्रेजी में इसे नाइट जेस्मिन और उर्दू में गुलजाफरी कहते हैं। पारिजात के फूल आपके जीवन से तनाव हटाकर खुशियां ही खुशियां भर सकने की ताकत रखते हैं। हरिवंशपुराण में इस वृक्ष और फूलों का विस्तार से वर्णन मिलता है। इन फूलों को खासतौर पर लक्ष्मी पूजन के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह वृक्ष जिसके भी घर-आंगन में होता है, वहां हमेशा शांति और समृद्धि का निवास रहता है। 

रजनीगंधा :  रजनीगंधा का पौधा पूरे भारत में पाया जाता है। मैदानी क्षेत्रों में अप्रैल से सितम्बर तथा पहाड़ी क्षेत्रों में जून से सितम्बर माह में फूल निकलते हैं।

रजनीगंधा की तीन किस्में होती है। रजनीगंधा के फूलों का उपयोग माला और गुलदस्ते बनाने में किया जाता है। इसकी लम्बी डंडियों को सजावट के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। इसका सुगंधित तेल और इत्र भी बनता है। इसके कई औषधीय गुण भी है।