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Written By DW

नांगा पर्वत का सपना

नांगा पर्वत का सपना -
अलग-अलग इरादों के साथ दक्षिण एशिया की ओर यूरोप से नजर पड़ रही है। कभी प्राचीन संस्कृति पर, तो कभी गरीबी पर और हिमालय के तुंग श्रृंग भी हमेशा यूरोप के पर्वतारोहियों को आकर्षित करते रहे हैं।

राइनहोल्ड मेसनर हैं तो जर्मनभाषी, लेकिन वे इटली के दक्षिण टिरोल इलाके के हैं, जहाँ जर्मन अल्पसंख्यक रहते हैं। दक्षिण टिरोल आल्प्स पहाड़ियों के दक्षिणी हिस्से में हैं, और यहाँ से बहुत सारे पर्वतारोही आए हैं। लेकिन मेसनर सिर्फ पर्वतारोही नहीं हैं,वे बेहद मुश्किल परिस्थितियों में पर्वतारोहण के लिए मशहूर है। वे दुनिया के पहले पर्वतारोही हैं, जो आठ हजार मीटर से ऊँची सभी चौदह चोटियों पर जीत हासिल कर चुके हैं। इसके अलावा पैट्रिक मोर्रो के चार महीने बाद दुनिया के दूसरे पर्वतारोही के रूप में उन्होंने सेवेन समिट्स, यानी सातों महाद्वीपों की ऊँची चोटियों पर जीत हासिल की। सन 1978 में पेटर हाबेलर के साथ जब वे एवरेस्ट की चोटी पर पहुँचे, तो वे दोनों पहले इंसान थे, जिन्होंने अतिरिक्त ऑक्सीजन के बिना यह लक्ष्य हासिल किया था।

राइनहोल्ड मेसनर एवरेस्ट के अलावा कांचनजंघा, के2, अन्नपूर्णा, धौलागिरी और शीशपंगमा की चोटियों पर पहुँच चुके हैं। लेकिन नांगा पर्वत के साथ उनकी जिंदगी खास तरीके से जुड़ी रही है। पाँच बार उन्होंने इसकी चोटी पर पहुँचने की कोशिश की। 1970 में उनकी पहली कोशिश ही कामयाब रही, लेकिन उनके छोटे भाई ग्युंथर मेसनर की मौत हो गई। इसके बाद उन पर आरोप लगाया गया कि अपनी कामयाबी के जनून में उन्होंने भाई की जिंदगी की बलि चढ़ा दी थी और मुसीबत में उसकी मदद नहीं की थी। इस बीच वे इन आरोपों को झुठला सके हैं। बहरहाल, 1971, 1973 और 1977 में भी उन्होंने नांगा पर्वत पर चढ़ने की कोशिश की, लेकिन वे उसकी चोटी तक नहीं पहुँच पाए। अंततः 1978 में उन्हें फिर से सफलता मिली।

राइनहोल्ड और ग्युंथर मेसनर अभी बच्चे ही थे, लेकिन वे बात करते थे कि बड़े होकर वे कौन सी चोटियों पर चढ़ेंगे। कोई मामोलाडा, तो कोई माटरहार्न। लेकिन एक पर्वत उन्हें बचपन से ही चुनौती दे रहा था- नांगा पर्वत। निर्देशक योजेफ फिल्समायर अपनी फिल्म में दिखाते हैं कि दोनों भाई सिर्फ पहाड़ों पर चढ़ना ही नहीं चाहते थे, बल्कि वे मुश्किल से मुश्किल रास्ता चुनना चाहते थे। कुछ ऐसा करना चाहते थे, जैसा अब तक किसी ने नहीं किया है। इसलिए यह स्वाभाविक ही था कि 1970 में 25 वर्ष की उम्र में राइनहोल्ड ने ठानी कि नांगा पर्वत की चोटी पर पहुँचना है।

इसके बारे में राइनहोल्ड मेसनर का कहना है- रुपल की ढाल हमारे लिए एक चुनौती थी। दुनिया की सबसे ऊँची ढाल। एकदम सीधी उपर चढ़ती गई है और बहुतों ने उस पर चढ़ने की कोशिश की थी, लेकिन किसी को कामयाबी नहीं मिली। बेहद मुश्किल हालात में हम वहाँ पहुँच सके, लेकिन उतरते वक्त सर्वनाश हो गया।

सर्वनाश, यानी छोटे भाई ग्युंथर मेसनर की मौत। नांगा पर्वत की चोटी पर पहुँचने के बाद दोनों रूपल की खड़ी ढाल से उतर रहे थे। ग्युंथर बेहद थक चुके थे। उनकी हालत देखते हुए राइनहोल्ड ने तय किया कि रुपल के बदले डियामिर ढाल से उतरा जाए, जो थोड़ा आसान है, लेकिन लंबा रास्ता था। रास्ते में राइनहोल्ड आगे निकल गए थे, अचानक उन्होंने पाया कि ग्युंथर गायब हैं।

वे हिमस्खलन के नीचे दब चुके थे। टीम के साथी फेलिक्स कुएन और पेटर शोल्त्ज का दावा था कि अपनी महत्वाकांक्षा के चलते राइनहोल्ड ने मुसीबत में पड़े अपने भाई की मदद नहीं की और उसकी जान गई। इस बीच हिमस्खलन के नीचे दबी ग्युंथर की लाश मिल चुकी है, जिससे राइनहोल्ड की बात की सच्चाई साबित हो गई है। बहरहाल, पाँच साल पहले राइनहोल्ड मेसनर ने योजेफ फिल्समायर को एक पत्र लिखकर पूछा कि क्या उसे एक फिल्म बनाने में दिलचस्पी होगी?

योजेफ फिल्समायर इस सिलसिले में कहते हैं- उन दिनों रेडियो में मैंने पहली बार राइनहोल्ड मेसनर की आवाज सुनी थी, टेलिविजन तो तब था ही नहीं। उन दिनों ऐसी एक चोटी पर चढ़ना एक बहुत बड़ी बात थी। अब जब उसका प्रस्ताव आया, तो मैंने कहा कि मेरी दिलचस्पी 1970 की ट्रेजेडी में होगी। उसके मानवीय पक्षों में।

इस सिलसिले में दोनों भाइयों के बीच प्रतिस्पर्धा भी एक दिलचस्प बात थी। राइनहोल्ड की उम्र ग्युंथर से दो साल ज्यादा थी, वह बेहतर पर्वतारोही था। नांगा पर्वत के अभियान में शुरू में ग्युंथर को शामिल नहीं किया गया था। एक पर्वतारोही के न आने से उसे मौका मिला था। एक और दिलचस्प चरित्र था टीम के नेता कार्ल हैरलिगकोफर का। दोनों भाइयों के साथ उसकी नहीं बनती थी। वह दबंग लफ्जों का इस्तेमाल करता था, मसलन चोटी पर चढ़ाई, पहाड़ पर कब्जा या जर्मनों के लिए किस्मत का पहाड़। ऐसे लफ्ज, जिनमें जंग की बू आती थी। फिल्समायर की फिल्म में इसे दर्शाया गया है।

सारी मुसीबतों के बाद वे चोटी से पहले आखिरी कैंप तक पहुँचते हैं, लेकिन मौसम खराब है। इंतजार करते-करते थक जाने के बाद राइनहोल्ड अकेले ही चोटी की ओर चल पड़ते हैं, लेकिन ग्युंथर उनका पीछा करते हैं। फिल्म में दोनों भाइयों की बातचीत में राइनहोल्ड कहते हैं- क्या तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है। पहले से तय था कि मौसम खराब होने पर मैं अकेले जाऊँगा। इसके जवाब में ग्युंथर कहता है- यह तुमने तय किया था। तुम अकेले चढ़ना चाहते हो और मैं क्या करूँ, वह पूछता है। राइनहोल्ड ध्यान दिलाता है कि नीचे उतरने के लिए रस्सी भी नहीं रह गई है, लेकिन ग्युंथर नहीं मानता।

और फिर वे चोटी पर पहुँचते हैं। वहाँ राइनहोल्ड कहते हैं- कोई है, जिसे रास्ते का पता है। वह कभी मेरे आगे होता है, कभी मेरे पीछे। ग्युंथर पूछता है, कौन है वह। राइनहोल्ड कहते हैं- पता नहीं, लेकिन मैंने उसे देखा है।

इस सिलसिले में एक साक्षात्कार में राइनहोल्ड मेसनर का कहना था- एक तस्वीर, जो मेरे मन में रह गई है, मेरी नजर से परे कोई था, जो मुझसे कह रहा था कि किधर जाना है। जब मैं नीचे उतर रहा था, तो मुझे रास्ता पहचाना हुआ लग रहा था। यह कैसे हो सकता है? मैं तो पहले कभी वहाँ गया ही नहीं था।

- बैर्न्ड सोबोल्ला/उज्ज्वल भट्टाचार्य