मंगलवार, 23 अप्रैल 2024
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Written By स्मृति आदित्य

दामिनी, तुम्हें चमकना होगा

दिल्ली गैंग रेप : वह अन्याय सहन नहीं कर सकती...

Delhi Gang Rape Case | दामिनी, तुम्हें चमकना होगा
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वह हरदम चहकती रहती, बिंदास और बेबाक। अन्याय वह सहन कर ही नहीं सकती। यही कहा है 'दामिनी' (दिल्ली गैंग रेप की शिकार युवती) के भाई ने। 'दामिनी' पूरे देश के लोगों के लिए एक टीवी चैनल ने यही नाम रखा है उस कन्या का। दामिनी यानी बिजली। जो वक्त पड़ने पर उजाला करती है, और छेड़खानी करने पर विनाश भी। ऊर्जा का वह स्त्रोत होती है और रोशनी से भरपूर।

खुशी की बात यह है कि इतना-इतना झेल लेने के बाद भी वह टूटी नही, झुकी नहीं, रूकी नहीं। लड़ रही है वह अपने आप से। अपने कष्टों से और अपने हर जख्म से।

घर में सबसे बड़ी है दामिनी। उसके पिता प्रायवेट नौकरी करते हैं। बेहद कम तनख्वाह है उनकी। छोटे भाई को आश्वस्त किया था दिल्ली इंटर्नशीप पर आने से पहले। 'मेरी नौकरी लग जाएगी तो सब ठीक हो जाएगा।' जानती थी वह कि पिता ने अपनी सारी पूंजी उसकी पैरा मेडिकल की पढ़ाई में लगा दी है।

चाहती थी वह अपने हिस्से का खुला आकाश, खुली स्वतंत्र हवा और गहरी सांसें। स्वतंत्र ना कि स्वच्छंद। स्व+तंत्र में फिर भी कहीं कोई तंत्र होता है स्वच्छंद में नहीं। वह अपने स्वयं के तंत्र में ही थी जब लौट रही ती अपने मित्र के साथ। गलत बात का विरोध करना उसका स्वभाव रहा है और यह एक अच्छा गुण है।

इस देश में पता नहीं कैसे यह गुण उसके लिए अवगुण बन गया। लड़की जो ठहरी। कहां हक दिया था उसे समाज ने अपनी सुरक्षा के लिए उठ खड़े होने का... लेकिन बदलाव की सुखद बयार देखिए कि आज वही समाज अपने 'पूरेपन' के साथ अपने पूरे 'मन' के साथ उसके साथ खड़ा है।

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'उसकी' बुलंदी को सलाम करते हुए समूची नारी जाति के लिए युवा मर्मस्पर्शी शपथ ले रहे हैं।

पारिवारिक सूत्र बताते हैं कि दामिनी शुरू से ही साहसी और खिलखिलाने वाली लड़की रही है। हर बात की शौकीन लेकिन अपनी मर्यादा से परिचित। उसकी सकारात्मक सोच का विलक्षण उदाहरण है उसका कलेजे को बेध देने वाला यह वाक्य '' मां, मैं जीना चाहती हूं। फिर उसने पूछा - क्या वे (दरिंदे) पकड़े गए? फिर मित्र की खैरियत पूछी उससे मिलकर जाना देश के हालात को...

उसकी हर बात तब भी निराली थी जब वह दिल्ली नहीं आई थी और इस हादसे के बाद भी उसकी हर बात अनूठी है। देश को ऐसी ही कन्यारत्न की जरूरत है।

अब वक्त नहीं रहा सुबकने का, खुद को अवांछित मान अपने आप से हार मान लेने का, जिंदगी को खत्म कर देने का। जिंदगी की जंग लड़ते हुए भी 'दामिनी' समूची स्त्री जाति के लिए एक सशक्त उदाहरण बन कर उभरी है। आज उसने देश की हर आम और खास महिला को अपने 'दर्द' से उनकी अपनी अस्मिता के प्रति सचेत किया है।

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दामिनी, तुम्हें चमकना होगा.. . अपने लिए नहीं, इस देश के लिए... इस देश के युवाओं के लिए, उन करोड़ों की संख्या में उलझती-‍बिलखती नारियों के लिए...हमें तुम जैसी बहादूर बाला हर घर में चाहिए...तुम सुन रही हो ना...