प्रेम कविता : तुम खास हो
- मधु पाराशर
तुम मेरी मधु वीणा के तार होमेरे मृदु हाथों का स्पर्शतुम जो भी हो दुनिया की नज़र में मेरे लिए खास, बस खास होएक आम इंसान नहीं होमेरे लिए खास हो... मेरी नज़र में जो तुम होतुम सीप में समाए मोती होतुम शांत लहरों की शरारत होतुम ठंडी धूप की हरारत होमधुर यामिनी की आदत होमेरे लिए खास हो... तुम गमों की गर्मी-ठंडक खुशियों का एहसास होतुम धड़कनों की आवाज होसांसों का सुखद साज होसूरज की गर्मी में तरू छांव होमेरे लिए खास हो... सदा हो मेरे प्यार की तुमतुम ही हमसफर मात्र होतुम मंजिल हो जिंदगी कीखुद को कभी ना देखनादुनिया की नजर से कभीमेरे लिए खास हो... क्यूंकि तुम ख़ास हो मेरे बुझे हुए दिल की आस हो मेरे लिए मधुर अहसासतुम जो भी बहुत ख़ास होमेरे लिए खास हो...