जब खिला चंद्रमा रात हो, पहली-पहली मुलाकात हो
जब खिला चंद्रमा रात हो,
पहली-पहली मुलाकात हो।
प्यारे तारों का साथ हो,
संग प्रियतम का हाथ हो।
तब नदिया कल-कल बोलेगी,
मस्त पवन भी डोलेगी।
बन में मोर भी नाचेगा,
पायल का घुंघरू बाजेगा।
ऐसी सजी वह रात हो,
जब साजन का साथ हो।
जब खिला चंद्रमा रात हो,
पहली-पहली मुलाकात हो।
वन उपवन सज जाएंगे,
भौंरे कलियों पर आएंगे।
प्रेमगीत भी गाएंगे,
अपनी बात बताएंगे।
तब चेहरे पर साज हो...
जब खिला चंद्रमा रात हो,
पहली-पहली मुलाकात हो।
मन चंचल होके डोलेगा,
प्रिये से प्रेमी बोलेगा।
छुपे राज को खोलेगा,
कानों में मिठास तो घोलेगा।
होठों पर मुस्कान हो...
जब खिला चंद्रमा रात हो,
पहली-पहली मुलाकात हो।