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Written By WD

अनूठा पेड़ करता है भविष्यवाणी

भविष्य के संकेत देता अनूठा पेड़

Future Signs | अनूठा पेड़ करता है भविष्यवाणी
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आस्था और अंधविश्वास की इस बार की कड़ी में हम आपको जानकारी देते हैं गुजरात के वागड अंचल के डूंगरपुर जिले के गलियाकोट कस्बे की जहां स्थित है भविष्य बताने वाला एक अनूठा पेड़।

इसे आस्था कहें या अंधविश्वास कि धर्म धाम वागड अंचल में एक ऐसा अनूठा पेड़ है जिसके संबंध में कहा जाता हैं कि यह भविष्य के सटीक और सही-सही संकेत देता है। इस पेड़ से ही यह पता चलता है कि वर्ष भर अकाल की काली छाया रहेगी या नहीं।

वागड की प्राचीन राजधानी रहे डूंगरपुर जिले के माही नदी के मुहाने पर स्थित गलियाकोट कस्बे में प्रसिद्ध एवं प्राचीनतम शीतल माता का मंदिर सदियों से श्रद्धा का केन्द्र और वागडवासियों की आराध्या का तीर्थस्थल रहा है। यह मंदिर भी अनूठा है। शायद यह दुनिया का पहला ऐसा मंदिर होगा जिसकी छत नहीं है।

इन्हीं देवी शीतला माता के दरबार में स्थित है यह अनूठा पेड़। इसे देखकर ही यहां के पुरोहित और जानकार लोग बताते हैं कि आने वाला समय सूखे और अकाल की विभीषिका से भरा होगा या फिर खुशहाली का।

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शीतला माता के मूल मंदिर में देवी की मूर्ति के ठीक पीछे इस अनूठे पेड़ का स्थान है, जहां बरसात के ठीक पहले एक पौधा दिखाई देने लगता है जिसे स्थानीय बोली में 'हुरण' कहा जाता है। हर वर्ष आषाढ़ माह में यह पौधा अपने आप उग जाता है। इस पौधे की बढ़ोतरी और पल्लवन को देखकर ही भविष्य के संकेत प्राप्त होने लगते हैं।

हालांकि इस पेड़ की आयु ज्यादा नहीं होती और दशहरे पर यह अपने आप लुप्त हो जाता है, लेकिन इन चार माहों में यह पेड़ भविष्य के संकेत दे जाता है। सदियों से यह पेड़ इसी प्रकार भविष्यवाणियों का आधार बना हुआ है।

कहते हैं कि आम तौर पर एक फीट से लेकर छह फीट औसत आकार पाने वाले इस पेड की ऊंचाई और टहनियों के विस्तार से भविष्य का अंदाजा लगाया जाता है।

पिछले पांच-छह वर्ष में जब लगातार सूखे और अकाल का दौर रहा, तब यह पेड़ मात्र दो-ढाई फीट लंबाई ही पा सका और टहनियां भी नहीं निकली। ऐसे में यह एक-डेढ़ माह में ही सूख गया, लेकिन इसके बाद जिन-जिन वर्षों में बारिश अच्छी हुई, तब-तब यह करीब छह फीट ऊंचा हो चला और इसकी टहनियां भी विस्तार पाती रही। किसान हों या आम आदमी, आषाढ़ मास में गलियाकोट शीतला मंदिर आकर बरसात की भावी स्थिति का संकेत पाते रहे हैं।

शीतला माता मंदिर के पुराने पुजारी बताते हैं कि सदियों से यह पेड़ इसी प्रकार पनपता रहकर अकाल या सुकाल का संकेत देता रहा है। जिस वर्ष पेड़ अपनी पूरी ऊंचाई के साथ टहनियां फैलाकर पनपता है तो इससे साफ संकेत मिलता है इस साल अच्छी बारिश और खुशहाली रहेगी।

- प्रस्तुति : अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'