नचिकेता की कहानी
वाजश्रवसपुत्र नचिकेता
nachiketa story in hindiशाम का समय था। पक्षी अपने-अपने घोसले की ओर लौट रहे थे, पर वह बढ़ा जा रहा था, बिना किसी थकान और पछतावे के। उसे अपनी मंजिल तक पहुंचना ही था। यही उसके पिता की आज्ञा थी। उसका लक्ष्य था यमपुरी। वही यमपुरी, जहां यमराज निवास करते थे। उसे यमराज से ही मिलना था। यही उसके पिता का आदेश था।लगातार तीन पहर तक चलने के बाद वह यमपुरी के द्वार पर जा पहुंचा। वहां पर दो यमदूत पहरा दे रहे थे। उन्होंने जब उस बालक को देखा तो आश्चर्यचकित रह गए। कौन है यह बालक, जो मौत के मुंह में चला आया? दोनों सोचने लगे। उसमें से एक यमदूत ने गरजती आवाज में उससे पूछा- 'हे बालक, तू कौन है और यहां क्या करने आया है?'
मेरा नाम नचिकेता है और मैं अपने पिता की आज्ञा से यमराजजी के पास आया हूं।' उस बालक ने धीरता के साथ उत्तर दिया।'
लेकिन क्यों मिलना चाहते हो तुम यमराज से?' दूसरे यमदूत ने प्रश्न किया।'
क्योंकि मेरे पिताश्री ने उन्हें मेरा दान कर दिया है।'नचिकेता की बात सुनकर दोनों यमदूत हैरान रह गए। ये कैसा अजीब बालक है। इसे मृत्यु का भय नहीं। यमराज से मिलने चला आया। उन्होंने उसे डराना चाहा, पर नचिकेता अपने निर्णय के आगे सूई की नोंक भर भी न डिगा। वह बराबर यमराज से मिलने की इच्छा प्रकट करता रहा। इस पर एक यमदूत बोला- 'वे इस समय यमपुरी में नहीं हैं। तीन दिन बाद लौटेंगे, तभी तुम आना।'