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Written By WD

शनिदेव के चमत्कारिक सिद्ध पीठ

Lord Shani | शनिदेव के चमत्कारिक सिद्ध पीठ
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भारत में भगवान शनि के नए-नए और अनेक मंदिर बन गए हैं, लेकिन क्या उक्त मंदिरों में मत्था टेकने का कोई महत्व है या नहीं? सांईंनाथ के भी अब अनेक मंदिर बनने लगे हैं, लेकिन सांईं तो सिर्फ शिर्डी में ही विराजमान है।

वैसे जो भारत भर में शनिदेव के कई पीठ है किंतु तीन ही प्राचीन और चमत्कारिक पीठ है, जिनका बहुत महत्व है। उक्त तीन पीठ पर जाकर ही पापों की क्षमा मांगी जा सकती है। जनश्रुति है कि उक्त स्थान पर जाकर ही लोग शनि के दंड से बच सकते हैं, किसी अन्य स्थान पर नहीं।

जीवन में किसी भी तरह की कठिनाई हो या शनि ग्रह का प्रकोप है, लेकिन यहां जाकर लोग भय‍मुक्त हो जाते हैं। मान्यता अनुसार भक्त को तत्काल लाभ मिलता है। कहते हैं कि पिछले कई हजार वर्षों से यह पीठ आज भी ज्यों के त्यों हैं और आज भी यहां चमत्कार घटित होते रहते हैं। आओ हम जानते हैं कि वे तीन पीठ कहां स्थित है।

अगले पन्ने पर पहला शनि मंदिर...


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(1) शनि शिंगणापुर : महाराष्ट्र के एक गांव शिंगणापुर में स्थित है शनि भगवान का प्राचीन स्थान। शिंगणापुर गांव में शनिदेव का अद्‍भुत चमत्कार है। इस गांव के बारे में कहा जाता है कि यहां रहने वाले लोग अपने घरों में ताला नहीं लगाते हैं और आज तक के इतिहास में यहां किसी ने चोरी नहीं की है।

ऐसी मान्यता है कि बाहरी या स्थानीय लोगों ने यदि यहां किसी के भी घर से चोरी करने का प्रयास किया तो वह गांव की सीमा से पार नहीं जा पाता है उससे पूर्व ही शनिदेव का प्रकोप उस पर हावी हो जाता है। उक्त चोर को अपनी चोरी कबूल भी करना पड़ती है और शनि भगवान के समक्ष उसे माफी भी मांगना होती है अन्यथा उसका जीवन नर्क बन जाता है।


(2) शनिश्चरा मंदिर : मध्यप्रदेश के ग्वालियर के पास स्थित है शनिश्चरा मंदिर। इसके बारे में किंवदंती है कि यहां हनुमानजी के द्वारा लंका से फेंका हुआ अलौकिक शनिदेव का पिण्ड है। यहां शनिशचरी अमावस्या के दिन मेला लगता है। भक्तजन यहां तेल चढ़ाते हैं, और अपने पहने हुए कपड़े, चप्पल, जूते आदि सभी यहीं छोड़कर घर चले जाते हैं। इसके पीछे ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से पाप और दरिद्रता से छुटकारा मिल जाता है।

(3) सिद्ध शनिदेव : उत्तरप्रदेश के को‍सी से छह किलोमीटर दूर कौकिला वन में स्थित है सिद्ध शनिदेव का मंदिर। इसके बारे में पौराणिक मान्यता है कि यहां शनिदेव के रूप में भगवान कृष्ण विद्यमान रहते हैं।

मान्यता है कि जो इस वन की परिक्रमा करके शनिदेव की पूजा करेगा वहीं कृष्ण की कृपा पाएंगे और उस पर से शनिदेव का प्रकोप भी हठ जाएगा।
- अनिरुद्ध जोशी