मंगलवार, 16 अप्रैल 2024
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Written By अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

बौद्ध धर्म की 6 रहस्यमयी गुफाएं...

बौद्ध धर्म की 6 रहस्यमयी गुफाएं... | Buddhist Caves Video
दुनियाभर की गुफाएं हिन्दू, जैन और बौद्ध धर्म से जुड़ी हुई है। इनमें से कई तो प्राकृतिक गुफाएं है तो कुछ को ध्यान और तप के लिए बनाया गया है। गुफाओं की रहस्यमय दुनिया है। दिव्य दर्शन के इस भाग में चलते हैं बौद्ध धर्म की रहस्यमयी गुफाओं के दर्शन करने।
 

 
गुफा नंबर 1
बामियान की बौद्ध गुफाएं
अफगानिस्तान, बामियान 
 
अफगानिस्तान में बामिनाया नामक स्थान पर हिन्दू और बौद्ध धर्म से जुड़ी सैंकड़ों गुफाएं हैं जिनमें से कुछ में भगवान बुद्ध की विशालकाय मूर्तियां हैं। माना जाता है कि पहाड़ों में इन गुफाओं का निर्माण 3-7 शताब्दी ईस्वी में किया गया था। यहां पर साल 2001 में दो विशालकाय बुद्धमूर्तियों को तालिबानियों ने तोड़ डाला था। बलुआ पत्थर से बनी गांधार शैली में निर्मित यह दोनों मूर्तियां कभी विश्व भर में बुद्ध की सबसे ऊंची मूर्ति हुआ करती थी। इन गुफाओं का इस्तेमाल बौद्ध भिक्षु सदियों तक ध्यान और एकांत में रहने के लिए करते रहे। इनमें से कुछ गुफ़ाओं में अब तकरीबन 700 अफगान परिवार रहते हैं, जिनके पास न तो जमीन है और न घर बनाने की हैसियत।

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गुफान नंबर 2
अजंता ऐलोरा की गुफाएं
महाराष्ट्र, जिला औरंगाबाद
 
अजंता-एलोरा की गुफाएं महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर के समीप स्थित‍ हैं। ये गुफाएं बड़ी-बड़ी चट्टानों को काटकर बनाई गई हैं। 29 गुफाएं अजंता में तथा 34 गुफाएं एलोरा में हैं। अब इन गुफाओं को वर्ल्ड हेरिटेज के रूप में संरक्षित किया जा रहा है। अजंता की गुफाओं में 200 ईसा पूर्व से 650 ईसा पश्चात तक के बौद्ध धर्म का चित्रण किया गया है। एलोरा की गुफाओं में हिंदू, जैन और बौद्ध तीन धर्मों के प्रति दर्शाई आस्था का त्रिवेणी संगम का प्रभाव देखने को मिलता है। ये गुफाएं 350 से 700 ईसा पश्चात के दौरान अस्तित्व में आईं।
 
माना जाता है कि एलोरा की गुफाओं के अंदर नीचे एक सीक्रेट शहर है। आर्कियोलॉजिकल और जियोलॉजिस्ट की रिसर्च से यह पता चला कि ये कोई सामान्य गुफाएं नहीं हैं। इन गुफाओं को कोई आम इंसान या आज की आधुनिक तकनीक नहीं बना सकती। यहां एक ऐसी सुरंग है, जो इसे अंडरग्राउंड शहर में ले जाती है।
 
गुफा नंबर 3
बाघ की गुफाएं 
मध्यप्रदेश, जिला धार
मध्यप्रदेश के प्राचीन स्थल धार जिले में स्थित बाघ की गुफाएं इंदौर शहर से 60 किलोमीटर की दूरी पर ही है। बाघिनी नामक छोटी-सी नदी के बाएं तट पर और विंध्य पर्वत के दक्षिण ढलान पर स्थित इन गुफाओं का इतिहास भी रहस्यों से भरा है। माना जाता है कि इन गुफाओं का निर्माण भगवान बुद्ध की प्रतिदिन होने वाली दिव्यवार्ता को प्रतिपादित करने हेतु निर्मित और चित्रित किया गया था।
 
इसमें कुल 9 गुफाएं हैं जिनमें से 1, 7, 8 और 9वीं गुफा नष्टप्राय है तथा गुफा संख्या 2 'पाण्डव गुफा' के नाम से प्रचलित है जबकि तीसरी गुफा 'हाथीखाना' और चौथी 'रंगमहल' के नाम से जानी जाती है। इन गुफा का निर्माण संभवतः 5वी-6वीं शताब्दी ई. में हुआ होगा।

अगली तीन गुफाएं अगले पन्ने पर...
 

गुफा नंबर 4
थाइलैंड की गुफाएं
थाईलैंड के फुकेट (फुकेत) में स्थित एक गुफा में भगवान बुद्ध की सिर उठाकर लेटी मुद्रा में सुनहरी प्रतिमा है। गुफा करीब 20 मीटर लंबी और पंद्रह मीटर चौड़ी है। गुफा के विभिन्न हिस्सों में बुद्ध की छोटी बड़ी अन्य प्रतिमाएं भी हैं।
थाइलैंड में टाइगर केव मंदिर भी है। यहां की गुफाओं के भीतर चट्टानों पर बाघ के पंजों सरीखे निशान हैं। इसीलिए इन्हें टाइगर केव टेंपल कहा जाता है। आसपास की पहाड़ियों में कई गुफाएं हैं और खिरिवोंग घाटी में सैंकड़ों साल पुराने वटवृक्ष हैं। बौद्ध साधना का यह प्रमुख केंद्र ऐतिहासिक व पुरातात्विक लिहाज से भी महत्वपूर्ण है। यहां का मुख्य आकर्षण लाइमस्टोन की एक पहाड़ी पर 1272 सीढ़ियां चढ़कर बुद्ध के पदचिन्ह देखना है। यह स्थान वाट थाम सुआ क्राबी शहर से तीन किलोमीटर दूर है।
 
गुफा नंबर 5
नेपाल, जिला मुस्तांग (मुस्ताङ)
नेपाल के धवलागिरी प्रान्त के मुस्तांग जिले में स्थित ये गुफाएं सचमुच ही रहस्यमय है। आश्चर्य होता है कि इन गुफाओं में बौद्ध भिक्षु पहुंचते कैसे होंगे। यह जिला पहले प्राचीन तिब्बत का हिस्सा था।
का जिला। काठमांडू के उत्तर-पश्चिम में स्थित मुस्तांग की इन गुफा से महात्मा बुद्घ के 12वीं शताब्दी के भित्ति-चित्र यानी दीवार पर की गई पेंटिंग्स को देखना अद्भुत हैं। एक नजदीक की गुफा में ही तिब्बती भाषा में लिखीं पांडुलिपियां भी मिली हैं, जो बहुत ही प्राचीन बताई जाती है।
 
गुफा नंबर 6
चंदा देवी की गुफाएं
छत्तीसगढ़, जिला महासमुंद
चंदा देवी की प्राचीन बौद्ध गुफाएं सिंघधु्रव क्षेत्र में स्थित चंदा देवी की गुफाएं छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के सिरपुर कस्बे से करीब 25 किलोमीटर दूर महानदी के किनारे स्थित हैं। यहां बौद्ध दार्शनिक नागार्जुन ने ध्यान किया था।