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Last Updated : शनिवार, 13 सितम्बर 2014 (10:19 IST)

श्राद्ध पक्ष : सोलह दिन बनेंगे कौए हर घर के मेहमान

श्राद्ध पक्ष : सोलह दिन बनेंगे कौए हर घर के मेहमान - श्राद्ध पक्ष : सोलह दिन बनेंगे कौए हर घर के मेहमान
भादौ महीने के 16 दिन कौआ हर घर की छत का मेहमान बनता है। यह सोलह दिन श्राद्ध पक्ष के दिन माने जाते हैं। कौआ एवं पीपल को पितृ प्रतीक माना जाता है। इन दिनों कौए को खाना एवं पीपल को पानी पिला कर पितरों को तृप्त किया जाता है। कौए को पितरों का प्रतीक क्यों समझा जाता है, यह अभी भी शोध का विषय बना हुआ है।
 
 

 
विष्णु पुराण में श्राद्ध पक्ष में भक्ति और विनम्रता से यथाशक्ति भोजन कराने की बात कही गई है। कौए को पितरों का प्रतीक मानकर श्राद्ध पक्ष के 16 दिनों तक भोजन कराया जाता है।
 
वैसे कहानियों के जरिए कौआ हमारी स्मृति में धूर्त और चालाक पात्र की तरह उभरता है। वे कर्कशता के प्रतीक बन गए हैं। कौआ अपनी कई प्रवृत्तियों में आदमी की तरह है। पंचतंत्र में तो 'काको लूकीय' नामक पूरा अध्याय ही कौवों के बारे में है। खाद्य श्रृंखला का प्रमुख हिस्सा होने के कारण कौआ प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने में हमेशा से मददगार रहा है।
 
कांव-कांव बोलने वाला कौआ एक छोटा पक्षी है, जिसे दुष्ट समझा जाता है। यह छोटे-छोटे जीव एवं अन्य अनेक प्रकार की गंदगी खाकर जीवन यापन करता है। अन्य पक्षियों की तुलना में इसे तुच्छ समझा जाता है, लेकिन इस बात से सभी अनजान होंगे कि मरने के पश्चात कौए का शरीर औषधि के लिए प्रयुक्त होता है।
 
सूरज निकलते ही घर की मुंडेर पर बैठे कौवों की 'कांव-कांव' शुरू हो जाती हैं, जो सूरज ढलने तक जारी रहती हैं। शाम को कौए अपने बसेरे की तरफ उड़ जाते हैं।