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Written By अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

दुनिया के 10 महान 'अवतार'

दुनिया के 10 महान 'अवतार' - God messenger- Prophet
अग्निवायुरविभ्यस्तु त्र्यं ब्रह्म सनातनम।
दुदोह यज्ञसिध्यर्थमृगयु : समलक्षणम्॥- मनु (1/13)


अर्थात : जिस परमात्मा ने आदि सृष्टि में मनुष्यों को उत्पन्न कर अग्नि आदि चारों ऋषियों के द्वारा चारों वेद ब्रह्मा को प्राप्त कराए उस ब्रह्मा ने अग्नि, वायु, आदित्य और अंगिरा से ऋग, यजुः, साम और अथर्ववेद का ग्रहण किया।

विश्‍व का प्रथम धर्मग्रंथ है ऋग्वेद। ऋग्वेद के सूत्रों को प्रथम 4 ऋषियों ने सुना था। इन 4 ऋषियों के नाम हैं- अग्नि, वायु, आदित्य और अंगिरा। बाद में ब्रह्मा ने इस ज्ञान को अपने पुत्रों को दिया और उनके पुत्रों से इस ज्ञान की कई शाखाएं बन गईं। उनकी कई शाखाओं से धरती पर सैकड़ों धर्म, परंपरा, दर्शन और विचारधारा की उत्पत्ति हुई, फिर वह ज्ञान बिखर गया। बिखरे हुए ज्ञान को फिर से एकत्र कर समाज को समय-समय पर आए महापुरुषों ने एक नई व्यवस्था दी। इन महापुरुषों को कहीं अवतार, ईशदूत, मसीहा, गुरु, संबुद्ध, तो कहीं पैगंबर कहा गया।

13,800 विक्रम संवत पूर्व नील वराह अवतार काल में जब प्रलयकाल का जल उतर गया, तब सुगंधित वन और पुष्कर-पुष्करिणी (पोखरा-पोखरी) सरोवर निर्मित हुए और फिर ब्रह्मा ने अपने कुल का विस्तार किया। ब्रह्मा के पुत्र दक्ष की पुत्री से शिव ने विवाह किया। ब्रह्मा के दूसरे पुत्र भृगु की पुत्री लक्ष्मी से विष्णु ने विवाह किया। तीनों और इनके कुल के लोगों ने धरती पर धर्म का इतिहास रचा। त्रिदेव ही सबसे पहले ईशदूत थे।

यदि हम यहूदी, ईसाई और इस्लामिक धार्मिक ग्रंथों की मानें तो ह. आदम से धरती पर मानवों के इतिहास की शुरुआत हुई और यदि पुराणों की मानें तो वराह कल्प के प्रथम मानव स्वायंभुव मनु का काल 9057 ईसा पूर्व से प्रारंभ हुआ है। हिन्दू धर्म में 30 कल्पों के इतिहास का वर्णन है। खैर, जो भी हो धरती पर जितने भी अवतार, पैगंबर, ईशदूत, बुद्ध आदि हुए हैं सभी मानव जाति के उद्धार के लिए ही हुए हैं। मनुष्यों ने उनको आपस में बांट लिया है। आओ, हम जानते हैं दुनिया के 10 महान पैगंबरों या ईशदूतों के जन्म के ऐतिहासिक तथ्‍यों को।

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1. वैवस्वत मनु : महाबलीपुरम (केरल में) के राजा बाली के लगभग 3500 वर्ष बाद धरती पर जलप्रलय हुआ। जलप्रलय के बाद धीरे-धीरे जल उतरने लगा और... त्रिविष्टप (तिब्बत) या देवलोक से वैवस्वत मनु (अनुमानित 6673 ईसा पूर्व) के नेतृत्व में प्रथम पीढ़ी के मानवों (देवों) का मेरु प्रदेश में अवतरण हुआ। वे देव स्वर्ग से अथवा अंबर (आकाश) से पवित्र वेद पुस्तक भी साथ लाए थे।

इसी से श्रुति और स्मृति की परंपरा चलती रही। उन्हीं से सभी धर्मों का आविष्कार हुआ। वैवस्वत मनु के समय ही भगवान विष्णु का मत्स्य अवतार हुआ। वैवस्वत मनु के मन्वंतर के प्रारंभ में ही ययाति और उनके पुत्रों के कुल का विस्तार हुआ था। ययाति के प्रमुख 5 पुत्र थे- 1. पुरु, 2. यदु, 3. तुर्वस, 4. अनु और 5. द्रुहु। इन्हें वेदों में पंचनंद कहा गया है।

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2. भगवान राम : भगवान राम का जन्म 5114 ईसा पूर्व अयोध्या में हुआ था। उन्होंने सरयू नदी में जल समाधि ले ली थी। 5089 ईसा पूर्व को उनको वनवास मिला था। ईसा पूर्व 5076 में उन्होंने वनवास के 14 वर्ष पूरे किए थे तब उनकी आयु 39 वर्ष थी। गुरु वशिष्ठ और विश्वामित्र राम के काल में भी थे और इससे पूर्व वे वैवस्वत मनु के काल में भी थी।

हिन्दू इतिहास काल का संक्षिप्त परिचय

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3. भगवान श्रीकृष्ण : ईसा से लगभग 3221 वर्ष पूर्व उनका जन्म हुआ। महाभारत युद्ध 3137 ई.पू. में हुआ। इस युद्ध के 35 वर्ष पश्चात भगवान कृष्ण ने एक बाण लगने के कारण देह छोड़ दी थी। 119 वर्ष की उम्र में कृष्ण ने देह छोड़ी थी।

भगवान कृष्ण ने जब मथुरा छोड़ी थी, तब वे अपने खानदान के 18 कुल (समुदाय) के साथ द्वारिका चले गए थे। यह दुनिया का पहला इतने बड़े पैमाने पर पलायन था। इसके बाद मूसा के साथ मिश्र छोड़कर उनके कुल के लोग यरुशलम गए थे। गुजरात के समुद्र तट पर उन्होंने द्वारिका नाम से भव्य नगर बसाया था। यह स्थान उनके प्राचीन पूर्वज यदु का स्थान भी माना जाता है।

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4. हजरत इब्राहीम : हजरत इब्राहीम का जन्म लगभग 1800 ईसा पूर्व ऊर में हुआ था। इराक में बगदाद से 40 किलोमीटर के फासले पर शहर अन नसरिया के पास दरियाए फरात के पास उनकी कब्र है। मक़ामे इब्राहीम (अ.स.) सीरिया के एक पवित्र स्थानों और तीर्थयात्रा में से माना जाता था जिसे आतंकवादियों ने नष्ट कर दिया।

हजरत इब्राहीम तीन बड़ें धर्म यहूदी, ईसाई और इस्लाम के पैगंबर है। इसलिए इन तीनों धर्मों को इब्राहीमी धर्म भी कहा जाता है। इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने काबा का पुन: निर्माण किया था।

इब्राहीम मध्य में उत्तरी इराक से कानान चले गए थे। वहां से इब्राहीम के खानाबदोश वंशज और उनके पुत्र इसाक और ईस्माइल, जो तब तक 12 यहूदी कबीले बन चुके थे, मिस्र चले गए। मिश्र में उन्हें कई पीढ़ियों तक गुलाम बनकर रहना पड़ा। लगभग ई.पू. 13वीं शताब्दी में वे मूसा के नेतृत्व में पुन: अपने देश इसराइली  कानान लौटे आए।

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5. हजरत मूसा : मूसा का जन्म ईसा पूर्व 1392 को मिस्र में हुआ था। उस काल में मिस्र में फेरो का शासन था। उनका देहावसान 1272 ईसा पूर्व हुआ। ह. इब्राहीम के बाद यहूदी इतिहास में सबसे बड़ा नाम 'पैगंबर मूसा' का है।

ह. मूसा ने यहूदी धर्म को एक नई व्यवस्था और स्‍थान दिया। उन्होंने मिस्र से अपने लोगों को ले जाकर इसराइल में बसाया। यहूदियों के कुल 12 कबीले थे जिनको बनी इसलाइली कहा जाता था। माना जाता है कि इन 12 कबीलों में से एक कबीला उनका खो गया था। शोधानुसार वही कबीला कश्मीर में आकर बस गया था।

यहूदी लोग अब्राहम, ईसाक और जेकब को अपना पितामह और मूसा को मुख्य पैगम्बर मानते हैं। इसके अलावा एलिजा, आयोस, होसिया, इजिया, हजकिया, इजकील, जरेमिया आदि को अन्य पैगम्बर मानते हैं।

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6. महावीर स्वामी : पहले से चले आ रहे धर्म के 24वें तीर्थंकर के रूप में भगवान महावीर का जन्म ईसा पूर्व 599 को वैशाली गणतंत्र के क्षत्रिय कुण्डलपुर में पिता सिद्धार्थ और माता त्रिशला के यहां हुआ। ई.पू. 557 को बिहार में जम्भक गांव के पास ऋजुकुला नदी के तट पर साल वृक्ष के नीचे उन्होंने कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति की थी।

बिहार के नालंदा जिले के पावापुरी में ईसा पूर्व 527 में उनका देहावसान हो गया। मथुरा के इतिहास के अनुसार महावीर स्वामी का जन्म 1797 वि.पू. में विहार के वैशाली क्षेत्र के कुण्डग्राम में हुआ। 1725 वि.पू. में उन्होंने कैवल्य पद प्राप्त किया। उनकी पूर्ण आयु 72 वर्ष थी। तब मथुरा का राजा उदितोदय (उदाई) था। सुबल और कमल उसके दो राजकुमार महावीर स्वामी की सेवा करते थे। नगर सेठ को जिनदत्त नाम देकर जैन दीक्षा दी गई तथा उसका पुत्र अर्हतदास था।

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7. भगवान बुद्ध : गौतम बुद्ध का जन्म ईसा से 563 साल पहले नेपाल के लुम्बिनी वन में हुआ, जो कपिलवस्तु के पास है। उनकी माता कपिलवस्तु की महारानी महामाया देवी जब अपने नैहर देवदह जा रही थीं, तो उन्होंने रास्ते में लुम्बिनी वन में बुद्ध को जन्म दिया। बुद्ध के समय भारत में उदयन नाम का एक प्रसिद्ध राजा था। बोधगया (भारत) में उनको ज्ञान प्राप्त हुआ। 483 ईसा पूर्व में कुशीनगर (भारत) में उनका महाप्रयाण हुआ।

मथुरा के इतिहास और गुरुकुल कांगड़ी के आचार्य रामदेवजी के निश्चय के अनुसार गौतम बुद्ध काल 1760 वि.पू. से 1680 वि.पू. है तथा उनका मथुरा आगमन काल 1710 वि.पू. है। यह निर्धारण बुद्ध ग्रंथ महावश, जैन ग्रंथ स्थाविरावली, हरवंश, विष्णु भागवत आदि पुराणों के आधार पर है।

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8. ईसा मसीह : ईसा मसीह का जन्म संभवत: 6 ई.पू. बेथलेहेम में हुआ था। उनको 30-36 ई.पू. सूली पर लटका दिया गया था। रूसी अन्वेषक निकोलस नोतोविच के शोधानुसार 80 ई. में हुए प्रसिद्ध बौद्ध सम्मेलन में ईसा मसीह ने भाग लिया था।

एक शोध रिपोर्ट के अनुसार श्रीनगर के पुराने शहर में उनका देहावसान हुआ था। उनकी कब्र 'रौजाबल' के नाम प्रसिद्ध है। उस वक्त उनकी उम्र 86 वर्ष से अधिक थी।

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9. हजरत मुहम्मद (स.अ.व.) : 571 ईस्वीं को शहर मक्का में पैगंबर साहब हजरत मुहम्मद सल्ल. का जन्म हुआ था। मक्का सऊदी अरब में स्थित है। कुछ विद्वानों के मुताबिक पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब सल्ल. का जन्मदिन हिजरी रबीउल अव्वल महीने की 2 तारीख को मनाया जाता है।

632 ईसवीं, 28 सफर हिजरी सन् 11 को 63 वर्ष की उम्र में हजरत मुहम्मद सल्ल. ने मदीना में दुनिया से पर्दा कर लिया। आप इस्लाम धर्म के सबसे महान नबी और आखिरी पैगम्बर माने जाते हैं।

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10. गुरुनानक साहिब : सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानकदेव साहिब का जन्म 15 अप्रैल 1469 को पंजाब में हुआ। पहले संपूर्ण पंजाब भारत का हिस्सा हुआ करता था। नानकदेवजी का जन्म लाहौर से 30 मील दूर दक्षिण-पश्चिम में तलवंडी रायभोय नामक स्थान पर हुआ, जो अब पाकिस्तान में है।

आपने हिन्दू और मुसलमानों के बीच एकता के प्रयास किए। 22 सितंबर, 1539 को उनका भारत में देहावसान हो गया। इन्होंने गुरुगद्दी का भार गुरु अंगददेव (बाबा लहना) को सौंप दिया और स्वयं करतारपुर में 'ज्योति' में लीन हो गए। उनके बाद सिखों के 9 और गुरु हुए। (C)