मंगलवार, 16 अप्रैल 2024
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Written By ND

सामायिक से मन-वचन की शुद्धि

सामायिक से मन-वचन की शुद्धि -
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मनुष्य जीवन को सार्थक बनाने के लिए सामायिक एक लाभकारी साधन है। सामायिक से समभाव, आत्मसिद्घि, मनशुद्घि, वचनशुद्घि आदि होती है। सामायिक के साधकों की आत्मा निर्भर बनती है। उक्त विचार मुनिश्री नरेंद्रमुनिजी ने धर्मसभा में संबोधित करते हुए व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि सामायिक करने से साधक में सुविचार उत्पन्न होते हैं। स्वाध्यायी व्यक्ति अपनी आत्मा में रमण करने लगता है तथा वह दूसरों के गुण एवं अपने दोषों को देखने लग जाता है। स्वाध्यायी व्यक्ति हमेशा प्रसन्नचित्त रहता है। उसे किसी प्रकार की चिंता या भय नहीं होता है।

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मुनिश्री ने कहा कि स्वाध्याय से आत्मा के पुंज आलोकित हो जाते हैं तथा जीवन चमत्कृत हो जाता है। ज्ञान, दर्शन, चरित्र की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि ज्ञान से हमारे सारे द्वार खुल जाते हैं। अतः हमें शुद्घ व सच्चा ज्ञान पाने की ललक रखना चाहिए। हम जो भी ज्ञान प्राप्त करें, वह पक्का होना चाहिए।

आज के भौतिक युग में हमें ज्ञान, दर्शन एवं चरित्र रूपी सम्यक ज्ञान को जीवन में अंगीकार करते हुए मानव जीवन सफल बनाना चाहिए।