गुरुवार, 25 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. »
  3. धर्म-दर्शन
  4. »
  5. जैन धर्म
Written By ND

धार्मिक क्रियाओं का पर्व पर्युषण

धार्मिक क्रियाओं का पर्व पर्युषण -
- अशोक कुम

WD
जैन धर्म में पर्युषण पर्व को पर्वाधिराज महापर्व कहा गया है। पर्युषण पर्व आठ दिनों तक चलने वाली अनवरत धार्मिक क्रियाओं का पर्व है। यह अध्यात्म जगत का विलक्षण पर्व है। बिना अन्न, जल, आमोद-प्रमोद के, साधक इस पर्व में तप करते हैं।

यह आत्मिक स्वास्थ्य का, कलह के क्षमणकरने का पर्व है। यह व्यक्ति को इंद्रियों के स्तर से ऊपर उठकर चेतना के स्तर तक पहुँचाने का उपक्रम है। साथ ही यह आत्मशोधन का पर्व है। और जो लोग आत्मशोधन करना चाहते हैं उनके लिए ये एक स्वर्णिम पर्व है।

इसका लक्ष्य होना चाहिए कि साधक इन आठ दिनों में आत्मा के सभी गुणों को चमकाए, आत्मा पर लगे एक-एक दुर्गुण के कर्म बंधन को कम करता जाए, तो निश्चय ही स्वयं को पहचान सकता है।

इन आठ दिनों में साधक तप की सम्यक आराधना करता है। मोह-माया में उलझे मन को स्वस्थ एवं शांत बनाने का प्रयास करता है। साथ ही आठ दिनों तक मंदिर और स्थानक में उपस्थित होकर प्रवचन तथा आगमवाणी को ध्यान से सुनता है।

इस पर्व के आठवें दिन संवत्सरि पर्व आता है जो वर्षभर में किसी के भी प्रति अविनय की क्षमा का दिन होता है। संवत्सरि का दिन अपने घर लौटने का एक दुर्लभ अवसर है। इस प्रकार पर्युषण चित्तवृत्ति को शांत कर स्वस्थ मन बनाने को प्रेरित करता है।