- प्रातःकाल में पुनर्नवा बूटी की जड़ ले आएँ। - उसकी धूल-मिट्टी साफ कर लें और उसके छोटे-छोटे इक्कीस टुकड़े कर लें। - इसके पश्चात सूत के नौ धागों को मिलाकर एक धागा तैयार कर लें।
- तैयार की गई इस डोरी में बूटी के हर टुकड़े को थोड़े-थोड़े अंतर से गाँठ लगाकर गंडा तैयार करें। - एकांत में श्री हनुमान्जी का स्मरण करते हुए गंडे को रोगी के गले में पहना दें। - गंडा इस प्रकार बाँधें कि गंडे का स्पर्श शरीर से बना रहे। - ध्यान रखें कि पूरी प्रक्रिया बिना किसी की टोके संपन्न हो। - आप पाएँगे कि पीलिया (जॉन्डिस) ठीक होता जाएगा, गंडे की लंबाई बढ़ती जाएगी। - रोगी के पूर्ण रूप-से स्वस्थ हो जाने पर गंडा गले से उतारें व किसी हरे वृक्ष की डाल पर लटका दें।