हरतालिका तीज : महिलाओं का त्योहार
भारतीय त्योहारों में तीज का काफी महत्व है। महिलाओं के लिए तीज के परंपरागत, विभिन्न रूप उत्साह के पर्याय बन जाते हैं। फिर इनके सांस्कृतिक तथा पारंपरिक महत्व अपनी जगह हैं। इसलिए तीज के लिए महिलाएं काफी पहले से तैयारियां शुरू कर देती हैं। मेहंदी, वस्त्र तथा आभूषण, सभी कुछ अपनी सुविधा के अनुसार जुटाए जाते हैं और पूरे उत्साह के साथ मनाई जाती है तीज। तीज का ऐसा ही कुछ रूप हरतालिका तीज पर देखने को मिलता है। शिव-पार्वती के सफल तथा परिपक्व दांपत्य जीवन जैसे जीवन की कामना के साथ हरतालिका का व्रत तथा पूजन किया जाता है। भाद्रपद की शुक्ल तृतीया को शिवगौरी का पूजन कर हरतालिका तीज मनाई जाती है।
इस व्रत को लेकर युवतियों से लेकर महिलाओं तक में उत्साह रहता है। असल में परंपरागत भारतीय त्योहारों तथा उत्सवों का असल आकर्षण ही महिलाओं का यह उत्साह है, जो पूरे वातावरण को एक नए उजास से भर देता है। यह व्रत कड़क उपवास की श्रेणी में आता है क्योंकि इस दिन स्त्रियां निर्जल भी रहती हैं। शाम को सुंदर वस्त्र तथा आभूषणों से सजकर सभी एक-साथ मिलकर मिट्टी से बनी शिव-पार्वती की प्रतीक प्रतिमाओं का पूजन करती हैं। हंसती-गाती हैं और रात्रि जागरण भी करती हैं। समय के अनुसार हालांकि इस त्योहार में भी कुछ परिवर्तन हुए हैं। अब पूजन के लिए कई प्रकार की पत्तियां चुनने के लिए जरूरी नहीं कि जंगलों में जाया जाए।