गुरुवार, 28 मार्च 2024
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Written By WD

होली की पौराणिक-प्रामाणिक कथा

पौराणिक कथा में होली का महत्व

holi ki katha in hindi | होली की पौराणिक-प्रामाणिक कथा
होली की पौराणिक (प्रामाणिक) कथा के अनुसार इस पर्व को मनाने की शुरुआत हिरण्यकश्यप के जमाने से होना मानी जाती है। हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रह्लाद भगवान के अनन्य भक्त थे। उनकी इस भक्ति से पिता हिरण्यकश्यप नाखुश थे।


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इसी बात को लेकर उन्होंने अपने पुत्र को भगवान की भक्ति से हटाने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन भक्त प्रह्लाद प्रभु की भक्ति को नहीं छोड़ पाए।

अंत में हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को मारने के लिए योजना बनाई।


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अपनी बहन होलिका की गोद में प्रह्लाद को बैठाकर अग्नि के हवाले कर दिया। लेकिन भगवान की ऐसी कृपा हुई कि होलिका जलकर भस्म हो गई और भक्त प्रह्लाद आग से सुरक्षित बाहर निकल आए, तभी से होली पर्व को मनाने की प्रथा शुरू हुई।