सद्गुणों के भंडार हैं बजरंगबली हनुमान
बजरंगबली : व्यक्तित्व विकास के प्रेरक देवता
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के सर्वोत्तम सेवक, सखा, सचिव और भक्त श्री हनुमान थे। जहां भी श्रीराम की आराधना होती है, हनुमान का स्मरण अपने आप हो आता है। वे सद्गुणों के भंडार थे। उनकी पूजा पूरे भारत और दुनिया के अनेक देशों में इतने अलग-अलग तरीकों से की जाती है कि उन्हें 'जन देवता' की संज्ञा दी जा सकती है।छत्रपति शिवाजी के स्वराज्य निर्माण की विस्तृत लेकिन गहरी नींव रखने के लिए उनके गुरु समर्थ श्री रामदास द्वारा गांव-गांव में अनगढ़े पत्थरों को सिन्दूर लगाकर श्री हनुमान के रूप में उनकी प्राण-प्रतिष्ठा की गई। आज से 300 से ज्यादा वर्षों पहले यह महान राष्ट्रीय उपक्रम हुआ।श्री हनुमान के परम पराक्रमी सेवामूर्ति स्वरूप से तो सभी परिचित हैं। लेकिन प्रत्येक विद्यार्थी को यह तथ्य भी मालूम रहना चाहिए कि वे ज्ञानियों में भी अग्रगण्य हैं।