मंगलवार, 16 अप्रैल 2024
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Written By WD

श्री कृष्ण के देश में प्लास्टिक और कचरा खाने पर मजबूर गायें?

जन्माष्टमी विशेष : आज जरूरत हैं श्रीकृष्ण के प्रिय गायों की रक्षा की...

श्री कृष्ण के देश में प्लास्टिक और कचरा खाने पर मजबूर गायें? -
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- युद्धवीर सिंह लांबा 'भारतीय' हरियाणा

भगवान श्रीकृष्ण के देश में पवित्र गाय अपनी प्राणरक्षा के लिए कूड़े के ढेर में कचरा और प्लास्टिक खाने पर मजबूर है।

हिन्दू मानते हैं कि समुद्र मंथन से गाय उत्पन्न हुई। भविष्य पुराण में कहा गया है कि गाय स्वर्ग और मोक्ष की सीढ़ी है। गाय, गोपाल, गीता, गायत्री तथा गंगा भारत की सभ्यता और संस्कृति का आधार हैं। भारत में गाय को देवी का दर्जा प्राप्त है।

पुराणों के अनुसार गाय के भीतर सभी देवताओं का वास माना गया है। भारतीय समाज में यह विश्वास है कि गाय देवत्व और प्रकृति की प्रतिनिधि है इसलिए इसकी रक्षा और पूजन कार्य श्रेष्ठ माना जाता है।

हिन्दू धर्म में गाय को पवित्र माना जाता है और इसे मारना पवित्रता का अनादर समझा जाता है। हिन्दू धर्म में गाय की पूजा की जाती है, क्योंकि गाय में करोड़ों देवी-देवताओं का वास माना गया है।

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गोस्वामी तुलसीदास ने भगवान राम के अवतार का एक कारण गौरक्षा को बताया है। भगवान कृष्ण का पूरा जीवन गाय की सेवा में व्यतीत हुआ। हिन्दू गायों की सेवा को ही परम धर्म मानते हैं। हिन्दू मानते हैं जिस घर में गाय की सेवा होती है उस परिवार के कलह-क्लेश व सभी प्रकार के वास्तुदोष दूर हो जाते हैं।

हिन्दू धर्म में गाय की पूजा सुख-समृद्धि देने वाला धार्मिक कर्म माना गया है। प्राचीन भारत में गाय समृद्धि का प्रतीक मानी जाती थी। भारतीय संस्कृति में गाय का बेहद उच्च स्थान है।

हिन्दू धर्म में तो गाय के महान और अनमोल गुणों को देखते हुए उसे मां, देवी और भगवान का दर्जा दिया गया है। गाय वैदिक कल से ही भारतीय धर्म, संस्कृति, सभ्यता और अर्थव्यवस्था का प्रतीक रही है। अथर्ववेद में गाय को 'धेनु: सदनम् रमीणाम' कहा गया है और इसे धन-संपत्ति का भंडार कहा गया है।

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भारत भूमि में गाय की महिमा आदिकाल से रही है। हर हिन्दू घर में सबसे पहली रोटी गाय की और दूसरी रोटी कुत्ते की निकाली जाती थी। घर में बनने वाली पहली रोटी गायों को खिलाकर ही परिवार स्वयं कुछ खाता था।

कड़वा है, लेकिन सच है कि आज सड़कों पर आवारा घूमती व भूखी गाय कचरे से गंदगी व पॉलिथीन खाने को मजबूर हैं। सुख-समृद्धि की प्रतीक रही भारतीय गाय आज कूड़े के ढेर में कचरा और प्लास्टिक की थैलियां खाती दिखती हैं। मां के दर्जे वाली गाय की दुर्दशा बढ़ती जा रही है।

आर्य समाज के संस्थापक, आधुनिक भारत के महान चिंतक, समाज-सुधारक स्वामी दयानंद सरस्वती ‘गौ करुणानिधि’ में कहते हैं कि गाय मनुष्य के लिए अत्यंत मूल्यवान है और गाय का दूध पौष्टिक तथा घी और दही स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। गाय का दूध मां के दूध के गुण के समतुल्य होता है।

गाय के दूध में संपूर्ण पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं। ‘गौ करुणानिधि’ नामक पुस्तक में महर्षि दयानंद ने गाय के अनेक लाभों को दर्शाया। गाय जीवनोपयोगी, अतुलनीय तथा लाभकारी पशु है। महर्षि दयानंद ने गौरक्षा को एक अत्यंत उपयोगी और राष्ट्र के लिए लाभदायक पशु मानकर उसकी रक्षा का संदेश दिया था।

हिन्दू धर्म और संस्कृति के अनुसार गाय के शरीर में 33 करोड़ देवता वास करते हैं एवं गौ-सेवा करने से एकसाथ 33 करोड़ देवता प्रसन्न होते हैं। गाय के बिना हिन्दू संस्कृति और भारतीयता पूरी तरह अपूर्ण है।

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शास्त्रों के अनुसार गौसेवा के पुण्य का प्रभाव कई जन्मों तक बना रहता है इसीलिए गाय की सेवा करने की बात कही जाती है। सभी जानवरों में गाय का दूध सबसे ज्यादा फायदेमंद माना गया है। गाय का घी और गौमूत्र अनेक आयुर्वेदिक औषधियां बनाने के काम भी काम आता है। गाय का दूध बहुत पौष्टिक होता है।

भारत एक कृषि प्रधान देश है और बैल हल खींचने के काम आते हैं। अब किसान बैलों की जगह कृषि कार्य में ट्रैक्टर की सहायता लेने लगा है। गाय से बछड़ा, बछड़े से बैल व बैल से खेती की जरूरतें पूरी होती थीं। जब तक ट्रैक्टर की खोज नहीं हुई थी, उस समय तक बैलों द्वारा ही खेती की जाती थी।

कैसी विडंबना है कि देवताओं को भी भोग और मोक्ष प्रदान करने की शक्ति रखने वाली गौमाता आज चारे के अभाव में कूड़े के ढेर में कचरा और प्लास्टिक की थैलियों से पेट भरने को मजबूर है।

हमारे देश में गाय को पूजा जाता है, लेकिन यह विडंबना ही है कि आज गाय की घोर उपेक्षा की जा रही है। शहर में जगह-जगह लगे प्लास्टिक के ढेर पर मुंह मारती गायों के दृश्य आम हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में गायों की संख्या का घटना चिंताजनक है। आज घरों में गाय की जगह कुत्ते के पालन पर जोर है

कुनाल वोहरा ने 'प्लास्टिक काऊ' नाम की फिल्म बनाई है। यह फिल्म कई भाषाओं में बनी है। सबसे क्रूर विडंबना यह है कि शहरों में लोग गाय के बजाय कुत्ते पालना पसंद करते हैं। कुछ घरों में पालतू कुत्ते बिस्किट और मिठाई खाते हैं और कहीं-कहीं गायें कूड़े के ढेर में खाना ढूंढती हैं।

आजकल बहुत पढ़े-लिखे व संपन्न लोग अपने घर में कुत्ता पालते हैं। घर में कुत्ता पालने का चलन विदेशी संस्कृति की ही देन है। आज गाय दर-दर की ठोकरें खा रही हैं। गाय की हालत बहुत अधिक दयनीय होती जा रही है।

गायें भारत के प्राण हैं। सभी धर्मशास्त्रों में गौवंश का महत्व प्रदर्शित किया गया है। एक युग था, जब लोग घर के द्वार पर लिखते थे- 'गाय स्वर्ग और मोक्ष की सीढ़ी है'

फिर लिखा, 'अतिथि देवो भव'!
फिर लिखा, 'शुभ लाभ'!
फिर लिखा, 'स्वागतम'!
और अब, 'कुत्तों से सावधान'!
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सड़क किनारे फेंकी गई खाद्य वस्तुओं के साथ-साथ प्लास्टिक खाने से गाय की दर्दनाक मौत होती है। पिछले कुछ दिन पहले हुए एक ऑपरेशन में डॉक्टरों ने गाय के पेट से 60 किलो पॉलिथीन निकाली है। पिछले सालों में भूख से मरने वाली गायों की संख्या में 70 फीसदी की मौत पॉलिथीन के कारण हुईं।

प्राचीनकाल से ही गाय भारतीय जीवन का एक अभिन्न अंग रही है, परंतु अफसोस आज हमारी मां को अनेक दुर्दशाओं का सामना करना पड़ रहा है। गाय हिन्दू धर्म में पवित्र और पूजनीय मानी गई है। ऐसे में यह सवाल विचारणीय हो जाता है कि आखिर वजह क्या है कि गाय आज सड़कों पर मल, गंदगी व प्लास्टिक खाने को मजबूर है।

श्रीकृष्ण भगवान ने गौसेवा करते हुए जीवन व्यतीत किया। भारतीय संस्कृति में गाय केवल एक पशु ही नहीं, बल्कि उसे माता का दर्जा दिया गया है। गाय की सेवा करने मात्र से ही श्रीकृष्ण भगवान प्रसन्न हो जाते हैं। यह सबसे बड़ी विडंबना यह है कि कुत्ते बिस्किट और गाय प्लास्टिक बैग खाने के लिए मजबूर है।

जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण के साथ ही गौमाता की भी पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि गाय में हमारे सभी देवी-देवता निवास करते हैं। इसी वजह से मात्र गाय की सेवा से ही भगवान प्रसन्न हो जाते हैं तो इसलिए कुत्ते नहीं, गाय पालिए। भोजन से पहले गाय के लिए भोजन का कुछ हिस्सा निकालें।

जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर कम से कम 100-500 रुपए या अपनी सामर्थ्य अनुसार किसी भी निकटतम गौशाला में दान अवश्य दें ताकि गौशाला में गायों का पालन-पोषण अच्छी तरह से हो सके।

जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर सभी देशवासियों को शुभकामनाएं और बधाई।

जय श्रीकृष्ण, गौ माता की जय हो, जय हिंद, जय भारत, वंदे मातरम