रक्षाबंधन पर्व : एक दिन में 3 उत्सव
श्रावणी पूर्णिमा, नारियल पूर्णिमा और रक्षाबंधन
रक्षाबंधन पर्व सात्विक प्रेम का पर्व है। तीन नदियों के संगम की तरह यह दिन तीन उत्सवों का दिन है। श्रावणी पूर्णिमा, नारियल पूर्णिमा और रक्षाबंधन। अपनी आत्मा ही अपना भाई है और अपनी वृत्तियां ही अपनी बहन हैं।
रक्षाबंधन पर्व पर राग द्वेष से ऊपर उठकर मैत्री का विकास करें एवं त्याग, संयम, प्रेम, मैत्री और अहिंसा को अपने जीवन में बनाने का संकल्प लें।
रक्षाबंधन पर्व का सांस्कृतिक महत्व है। भाई-बहन का रिश्ता अद्भुत स्नेह व आकर्षण का प्रतीक है। प्रत्येक रूप में पुरुष नारी का रक्षक है। प्रत्येक पुरुष अबला के आत्मसम्मान की रक्षा के साथ-साथ अन्य जीवों की भी रक्षा करें।आज व्यक्ति ने पक्षी की तरह आकाश में उड़ना सीख लिया है। आज आदमी ने मछली की तरह पानी में तैरना सीख लिया है, पर आदमी ने धरती पर इंसान की तरह चलना नहीं सीखा है। वह दूसरों की क्रिया की नकल बड़ी अच्छी तरह करता है किंतु स्वयं के असली रूप में आना भूल गया है।