हिंदी साहित्य में कवि सूरदास का नाम प्रमुख है। उन्होंने कृष्ण लीला को अपने काव्य का विषय बनाया। प्रस्तुत हैं कवि सूरदास जी द्वारा लिखित कुछ महत्वपूर्ण काव्य पद।
सोभित कर नवनीत लिए। घुटुरूवनि चलत रेनु-तन-मंडित, मुख दधि लेप किए।। चारू कपोल, लोल लोचन, गोरोचन-तिलक दिए। लट-लटकनि मन मत्त मधुप-गन, मादक मधुहिं पिए।। कठुला-कंठ, वज्र केहरि-नख, राजत रुचिर हिए। धन्य सूर एको पल इहिं सुख, का सत कल्प जिए।।
मेरौ मन अनत कहां सुख पावै। जैसे उड़ि जहाज को पंछी, फिरि जहाज पर आवै।। कमल-नैन कौ छांड़ि महातम, और देव कौ ध्यावै। परम गंग कौं छांड़ि पियासौ, दुरमति कूप खनावै।। जिहि मधुकर अंबूज-रस-चाख्यौ, क्यों करील-फल भावै।। सूरदास प्रभु कामधेनु तजि, छेरी कौन दुहावै।।
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छांड़ि मन हरि-विमुखन को संग। जाके संग कुबुधि उपजति है, परत भजन में संग।। कागहि कहा कपूर चुगाये, स्वान न्हवाये गंग। खर को कहा अरगजा लेपन, मरकट भूषन अंग।। पाहन पतित बान नहि भेदत, रीतो करत निषंग। 'सूरदास' खल कारि कामरि, चढ़ै न दूजो रंग।।