शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. »
  3. धर्म-दर्शन
  4. »
  5. ध्यान व योग
  6. बचपन से करें ध्यान की शुरुआत
Written By WD

बचपन से करें ध्यान की शुरुआत

बच्चों में बचपन से बोए ध्यान के बीज

Child  meditation | बचपन से करें ध्यान की शुरुआत
FILE

आजकल की शिक्षा पद्धति न तो बालक को शारीरिक दृष्टि से सक्षम बनाती है, न ही मानसिक संतुलन बनाए रखती है, न ही उसे समाज का एक सुसभ्य, सच्चरित्र, निष्ठावान, उत्तरदायी व्यक्ति बनाती है। आध्यात्मिक दृष्टि से तो वह पूर्णतया अनभिज्ञ है।

आज के इस विज्ञान युग में किडनी, हृदय प्रत्यर्पण जैसे जटिल ऑपरेशन आसान हो गए हैं। चंद्र, मंगल आदि ग्रहों पर बस्ती बसाने का विचार भी इंसान कर रहा है, परंतु इतना सब होते हुए भी मनुष्य कहीं गुम हो गया है। मानवता अपना अस्तित्व खोज रही है और बालक अपना बाल्यकाल खो चुका है।

FILE
भौतिक सुखों की प्राप्ति की इस आपाधापी में बचपन जैसे नदारद हो गया है। वह जल्दी प्रौढ़ हो रहा है एवं कई तरह के मानसिक तनावों से ग्रस्त होता जा रहा है।

मनोचिकित्सक से जानें तो बच्चों में अवसाद, अपराधी प्रवृत्तियां और व्यवहार में आने वाले परिवर्तन बढ़ते जा रहे हैं।

इस सबसे बचने के लिए आवश्यक है उसे बचपन को जीने दें, परंतु आगे जाकर इन परिस्थितियों का सामना करने के लिए उसे शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक रूप से परिपूर्ण बनाना होगा और यही दैनंदिन जीवन में साधना का महत्व परिलक्षित होता है।

शेष जानकारी अगले पन्ने र...


FILE

साधना की शुरुआत हम आज अभी से कर सकते हैं। उसके लिए किसी मुहूर्त या समय की आवश्यकता नहीं है। कम उम्र में साधना की आदत होने पर बालक बड़ा होकर आत्मविश्वास, आत्मतृप्ति, आत्मसंयम एवं आत्मत्याग जैसे गुणों से परिपूर्ण होगा। साधना के कई सोपान हैं।

जैसे- बाल्यकाल से ही एकाग्रता पर जोर देना चाहिए। ध्यान का पहला चरण है धारणा अर्थात एकाग्रता। किसी एक वस्तु पर, फोटो, मूर्ति या ज्योति पर एकाग्रता ही धारणा है।

यह 12 सेकंड की होती है और ऐसी 12 धारणाएं मिलकर 1 ध्यान होता है अर्थात 144 सेकंड यानी 2 मिनट 24 सेकंड। घंटों ध्यान में बैठने की आवश्यकता नहीं है, केवल 3 बार ध्यान ही पर्याप्त है