वास्तु में पिरामिड का महत्व
* पिरामिड क्या है, जानिए विशेषताएं
वास्तुशास्त्र धन, समृद्धि, वंश वृद्धि एवं संपन्नता प्राप्ति में सहायक होता है। वास्तु विज्ञान को सूर्य की ब्रह्मांड की रश्मियां, उसके प्रकाश और ताप, वायु प्रवाह की दिशा, पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के प्रभाव तथा पृथ्वी पर अंतरिक्षीय ग्रह-पिंडों के प्रभाव पर भी विचार करना पड़ता है। '
पिरामिड' शब्द का व्यवहार आजकल की सभी यूरोपीय भाषाओं में हो रहा है। रूसी भाषा में इसका उच्चारण 'पिरामिद', प्राचीन मिस्र भाषा में 'फिरामिड' तथा अरबी भाषा में 'पिरामिड' होता है।
यह शब्द मूलत: संस्कृत भाषा के दो शब्दों से मिलकर बना है। प्रिय अमृत- प्रियामृत अर्थात् जो प्रिय हो तथा अमर हो, ऐसे महापुरुषों को प्रियामृत कहा गया है। आत्मा भी उपनिषदों अनुसार प्रिय तथा अमृत है। जो अमरता प्रदान करने में सहयोगी हो, उसे प्रियामृत कहते हैं। यह पिरामिड की भाषा वैज्ञानिक व्युत्पत्ति है। पाश्चात्य शोधवेत्ताओं ने पिरामिड को कब्र या मकबरों के लिए बनाया गया ऐसा लिख दिया है, जो मनगढ़ंत है। पिरामिड के ऊपरी त्रिकोण के तीनों कोण काल के वर्तमान, भूत तथा भविष्य के प्रतीक हैं। लग्न वर्तमान का, पंचम भवन भविष्य का तथा नवम् भवन भूतकाल का है।