मंगलवार, 19 मार्च 2024
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Written By WD

सोशल मीडिया : घटती दूरियां, रिश्तों में बढ़ते फासले

सोशल मीडिया : घटती दूरियां, रिश्तों में बढ़ते फासले - Social Media And Relations
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। यह वाक्य हमें हमेशा रटाया गया। सामाजिक होना ही इंसानों और जानवरों के बीच का अंतर है। परंतु क्या मनुष्य असामाजिक प्राणी हो चुका है? क्या सोशल मीडिया के बढ़ते वर्चस्व ने मनुष्य की सामाजिकता को खत्म कर दिया है? 
 

 
पिछले एक दशक में सोशल नेटवर्किंग साइट्स की लोकप्रियता जबरदस्त बढ़ी हैं। लोग अपने जिंदगी के हर पहलू पर लोगों की राय, उनकी पसंद और उनकी रूचि जानना चाहते हैं। वीडियो, संदेश, पिक्चर्स, रिकार्डेड आवाज के जरिए ज्यादा से ज्यादा लोग आपस में जुड़े हैं। परंतु क्या इस बात से आप भी सहमत हैं कि इस जुड़ाव में न तो अपनापन है और न ही असली रूची, बल्कि प्रतिस्पर्धा और जलन अधिक है?  
 
शुरुआत में नई उम्र के लोग सोशल मीडिया से जुड़े और धीरे धीरे अधिक उम्र के लोग भी इससे जुड़ते गए। मजाक में कहा जाता है कि पूरे परिवार को एक साथ बातचीत के लिए इकट्ठा करना हो तो वाई फाई थोड़ी देर के लिए बंद कर दो। सोशल मीडिया एक ऐसी दुनिया से लोगों को जोड़ रहा है जो नजर से बहुत दूर हैं और उन अपनों से भी दूर कर रहा है जो नजर के सामने हैं। 

सोशल मीडिया की अपनी डिमांड हैं जिनमें प्रोफाइल का अपडेट रहना जरूरी है। फेसबुक, ट्विटर और मायस्पेस जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स ने जरूरी कामों के बाद बचने वाले समय पर कब्जा कर लिया है। हममें से कितने ही लोग होंगे जो किसी कार्य को करने में इसलिए रूचि रखते हैं कि सोशल मीडिया के जरिए उनका काम अधिक से अधिक लोगों की नजर में आएगा। इस तरह काम के करने की असली वजह सोशल मीडिया पर दिखावा है न कि उसे करने की इच्छा। 
 
सोशल मीडिया ने लोगों के बीच बातचीत को नए तरीके दिए। जहां मिलकर बात करने या फोन पर बात करने का स्थान संदेशों ने ले लिया। इस तरह के तरीकों ने एक दूसरे के विषय में जानकारी को कम और सतही कर दिया। हमें अब सिर्फ चीजों का अंदाजा है पूरी बात नहीं मालूम। इसे जानने का न तो हमारे पास वक्त है और न ही इच्छा। नतीजा, लोगों के बीच दूरियां कई गुना बढ़ गई हैं।
 
इन दूरियों ने लोगों को अकेलेपन से भर दिया। जहां पहले लोगों को एकदूसरे का साथ मिलता था अब मैसेज से ही काम चलाना पड़ता है। यह सच है कि सोशल मीडिया और अन्य नए साधनों से हम पहले से कहीं अधिक लोगों से जुड़े रहते हैं परंतु इस जुड़ाव में अधूरापन है। 
 
सोशल मीडिया हर उम्र के लोगों की जरुरत बन चुका है। बहुत छोटे बच्चे और बुजुर्ग भी इसके बारे में जानते हैं और एक्टिव भी हैं। ऐसे में घरों में रिश्तों के समीकरण बड़े पैमाने पर बदल रहे हैं। आगे आने वाला समय बहुत बड़ा बदलाव लेकर आएगा इतना कहा जा सकता है। परंतु बदलाव कैसा होगा इस पर निष्कर्ष पर पहुंचना मुश्किल है। कुछ साल पहले जहां ऑर्कुट लोगों को लुभाता था अब फेसबुक लोगों के दिमाग पर छाई हुई है। अब सोशल मीडिया लोगों को जोड़े रखने के लिए कौन सी नई पेशकश लेकर आएगा यह देखने वाली बात है।