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Written By भाषा
Last Modified: इंदौर , सोमवार, 14 जुलाई 2014 (17:56 IST)

मप्र में मिले डायनासोर के मल पिंडों के जीवाश्म

मप्र में मिले डायनासोर के मल पिंडों के जीवाश्म -
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इंदौर। मध्यप्रदेश की नर्मदा घाटी के धार जिले में खोजकर्ताओं ने डायनासोर के मल पिंडों के करीब 6 करोड़ साल पुराने दुर्लभ जीवाश्म ढूंढ निकालने का दावा किया है। इन जीवाश्मों के जरिए इस विलुप्त जीव के आहार तंत्र से जुड़े कई रहस्यों से पर्दा उठ सकता है।

पिछले 2 दशक से नर्मदा घाटी में सक्रिय जीवाश्म वैज्ञानिक विशाल वर्मा ने सोमवार को बताया कि हमें मालवा के पठार पर बसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल मांडू के पास उमरबन क्षेत्र में खुदाई के दौरान डायनासोर की हडि्डयों के साथ उनके मल पिंडों के करीब 6 करोड़ वर्ष पुराने जीवाश्म मिले हैं। जीवाश्म मिलने का स्थान मालवा के पठार की तराई में स्थित है।

वर्मा ने कहा कि नर्मदा घाटी में डायनासोर की हडि्डयों और अंडों के जीवाश्म हालांकि पहले भी खोजे जा चुके हैं, लेकिन इस भौगोलिक क्षेत्र में डायनासोरों के जीवाश्मीकृत मल पिंड पहली बार मिले हैं।

जीवाश्मीकृत मल पिंडों को वैज्ञानिक जबान में ‘कोपरोलाइट’ कहा जाता है। उन्होंने अनुमान लगाया कि उन्हें डायनासोर के मल पिंडों के जो जीवाश्म मिले हैं, वे इस विलुप्त जीव की आखिरी भारतीय पीढ़ी से ताल्लुक रखते हैं।

युवा जीवाश्म वैज्ञानिक ने कहा कि यह डायनासोरों की वह अंतिम भारतीय पीढ़ी थी, जो क्रूर भौगोलिक हलचलों से बचते हुए लंबे वक्त तक अपना वजूद बनाए रखने में कामयाब रही थी। हालांकि करीब 6 करोड़ साल पहले भीषण ज्वालामुखी विस्फोटों से निकले लावे ने डायनासोरों की इस अंतिम पीढ़ी को भी लील लिया था।

वर्मा ने बताया कि डायनासोर के जीवाश्मीकृत मल पिंडों को धार जिले में बाग के पास करीब 90 हेक्टेयर में बन रहे राष्ट्रीय डायनासोर जीवाश्म पार्क में सहेजकर रखा जाएगा।
मशहूर जीवाश्म वैज्ञानिक अशोक साहनी इस पार्क की स्थापना में मध्यप्रदेश सरकार की बतौर सलाहकार मदद कर रहे हैं।

धार जिले में डायनासोर के जीवाश्मीकृत मल पिंड की खोज की जानकारी मिलने पर उत्साहित साहनी ने कहा कि यह खोज वैश्विक स्तर पर बेहद दुर्लभ और जीवाश्म विज्ञान के लिहाज से अत्यंत अहम है।

उन्होंने कहा कि इन जीवाश्मीकृत मल पिंडों की विस्तृत वैज्ञानिक जांच से अनुमान लगाया जा सकता है कि धरती से करोड़ों वर्ष पहले विलुप्त डायनासोरों का खानपान कैसा था और उनकी आंतों में भोजन किस तरह पचता था।

साहनी ने बताया कि महाराष्ट्र का पिस्डुरा गांव भी डायनासोर के मल पिंडों के जीवाश्मों की खोज के कारण दुनियाभर के वैज्ञानिकों का ध्यान खींच चुका है। इस जगह डायनासोर के जीवाश्मीकृत मल पिंड बड़ी तादाद में मिल चुके हैं। (भाषा)