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Last Updated :मुम्बई , गुरुवार, 2 जुलाई 2015 (19:21 IST)

मदरसों को स्कूलों का दर्जा नहीं

मदरसों को स्कूलों का दर्जा नहीं - मदरसों को स्कूलों का दर्जा नहीं
मुम्बई। महाराष्ट्र सरकार ने गुरुवार को कहा कि अंग्रेजी, गणित और विज्ञान जैसे प्राथमिक शैक्षिक विषय  नहीं पढ़ाने वाले मदरसों को औपचारिक स्कूल नहीं माना जाएगा और इसमें पढ़ने वाले छात्रों को स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर बच्चा माना जाएगा।
राज्य के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री एकनाथ खडसे ने कहा कि मदरसा छात्रों को धर्म के बारे में शिक्षा  दे रहे हैं और औपचारिक शिक्षा नहीं देते हैं। हमारे संविधान में सभी बच्चों को औपचारिक शिक्षा का  अधिकार की बात कही गई है हालांकि मदरसा इसे प्रदान नहीं करते हैं।
 
खडसे ने कहा कि अगर एक हिन्दू या ईसाई बच्चा मदरसा में पढ़ना चाहता है तो उन्हें वहां पढ़ने की  अनुमति नहीं दी जाएगी इसलिए मदरसा एक स्कूल नहीं है बल्कि धार्मिक शिक्षा का स्रोत है इसलिए  हमने उनसे छात्रों को दूसरे विषय भी पढ़ाने को कहा है अन्यथा इन मदरसों को औपचारिक स्कूल नहीं  (नान स्कूल) माना जाएगा।
 
खडसे ने कहा कि अल्पसंख्यक मामलों की मुख्य सचिव जयश्री मुखर्जी ने इस बारे में स्कूली शिक्षा एवं  खेल मामलों के मुख्य सचिव को एक पत्र लिखा है। खडसे ने कहा कि स्कूली शिक्षा विभाग ने चार जुलाई  को छात्रों का सर्वेक्षण करने की योजना बनाई है जो औपचारिक शिक्षा नहीं प्राप्त कर रहे हैं।
 
उन्होंने कहा कि ऐसे मदरसों में जहां औपचारिक शिक्षा नहीं प्रदान की जाती है, वहां पढने वाले छात्रों को  स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर माना जाएगा। ऐसा करने के पीछे हमारा मकसद केवल इतना है कि  अल्पसंख्यक समुदाय के प्रत्येक बच्चे को सीखने और मुख्यधारा में आने का मौका मिले, उसे अच्छी  नौकरी मिले और उसका भविष्य उज्जवल हो। 
 
मंत्री ने कहा कि राज्य में पंजीकृत 1890 मदरसों में से  550 ने छात्रों को चार विषय पढ़ाने पर सहमति व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि बच्चों को औपचारिक शिक्षा प्रदान करने पर हम मदरसों को भुगतान करने को भी तैयार  हैं। (भाषा)