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Written By वार्ता
Last Updated :उज्जैन , मंगलवार, 13 सितम्बर 2016 (20:56 IST)

नागपंचमी पर ही खुलते हैं 'नागचन्द्रेश्वर मंदिर' के पट

नागपंचमी पर ही खुलते हैं ''नागचन्द्रेश्वर मंदिर'' के पट - नागपंचमी पर ही खुलते हैं 'नागचन्द्रेश्वर मंदिर' के पट
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उज्जैन। भारतीय सनातन धर्म की परंपराओं के तहत भारत में संभवत: मध्यप्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन स्थित नागचन्द्रेश्वर मंदिर एकमात्र ऐसा देवालय है जिसके पट प्राचीन परंपराओं के अनुसार वर्ष में केवल एक दिन के लिए नागपंचमी पर्व के दिन ही खुलते हैं।

यह मंदिर भारत के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख एवं प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर के विशाल परिसर में सबसे ऊपर तीसरे खंड में स्थित है। 11वीं शताब्दी के इस मंदिर में शिव-पार्वती नाग पर आसीन परमारकालीन सुन्दर प्रतिमा है और छत्र के रूप में नाग का फन फैला हुआ है।

यह मंदिर प्रतिवर्ष नागपंचमी पर्व के दिन ही आम दर्शनार्थियों के लिए खोला जाता है। बताया जाता है कि नागपंचमी के दिन ही भक्तजन वर्ष में एक बार नागचन्द्रेश्वर महादेव के दर्शन करते हैं।

उल्लेखनीय है कि देश के धार्मिक सप्तपुरियो में से एक उज्जैन का विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर तीन खंडों में विभक्त है और मंदिर के विशाल परिसर के प्रथम तल में भगवान महाकालेश्वर, दूसरे तल में भगवान ओंकारेश्वर एवं तीसरे तल में भगवान नागचन्द्रेश्वर विराजित हैं।

भारत में हिन्दू धर्मालम्बियों कैलाश मानसरोवर, बाबा अमरनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री जमुनौत्री इत्यादि ऐसे मंदिर हैं जो ऊंची-ऊंची पहाड़ियों पर स्थित होने के साथ बर्फबारी, ठंडक एवं बारिश के कारण दर्शनार्थियों के लिए एक से चार माह तक खुले रहते हैं।

हिन्दू धर्म सहित अन्य धर्मों का संभवत: ऐसा कोई धर्मस्थल नहीं जिसके मंदिर के पट एक दिन के लिए खुलते हों हालांकि यहां कोई ऐसी प्राकृतिक सहित परिस्थिति नहीं है उसके बावजूद प्राचीन परंपरा के अनुसार एकमात्र ऐसा भगवान नागचन्द्रेश्वर का मंदिर है जो भारतीय संस्कृति के अनुसार वर्ष में केवल श्रावण शुक्ल की पंचमी के दिन आम दर्शनार्थियों के लिए खोला जाता है।

60 फुट ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर के नागपंचमी के पर्व के श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए पहुंचने हेतु पुराने समय में एक-एक फुट की सीढ़ियां बनाई थीं जो रास्ता संकरा एवं छोटा था इस रास्ते से एक समय में एक ही दर्शनार्थी आ-जा सकता था, लेकिन वर्ष प्रतिवर्ष देश के विभिन्न प्रांतों से यहां आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा एवं सुविधाओं को देखते हुए एक अन्य लोहे की सीढ़ी का निर्माण कराया था।

वर्तमान में आने-जाने के अलग-अलग रास्ते बनाए गए हैं। इन लोहे की सीढ़ियों के मार्ग के निर्माण होने से एक दिन में लाखों श्रद्धालु कतारबद्ध होकर नागचन्द्रेश्वर मंदिर में दर्शन का पुण्य लाभ लेते हैं।

महाकालेश्वर मंदिर के महंत प्रकाशपुरी ने बताया कि नागचन्द्रेश्वर भगवान की प्रतिमा नेपाल से यहां लाई गई तथा चमत्कारिक एवं आकर्षक प्रतिमा के साथ लक्ष्मी माता एवं शंकर, पार्वती, नंदी पर विराजित हैं। यह मंदिर शिखर के प्रथम तल पर स्थित है और नागचन्द्रेश्वर भगवान के साथ इनका भी पूजन नागपंचमी के दिन किया जाता है।

उज्जैन में गत 13 जुलाई से शुरू हुए श्रावण माह की नागपंचमी के दिन भगवान महाकालेश्वर मंदिर सहित अन्य महादेव मंदिर में प्रतिवर्ष विभिन्न प्रांतों से लाखों की संख्या में दर्शनार्थी दर्शन के लिए आते हैं।

महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा भगवान महाकालेश्वर एवं भगवान नागचन्द्रेश्वर के दर्शन हेतु आए दर्शनार्थियों को नागपंचमी पर्व पर दोनों अलग-अलग मंदिर आने-जाने की पृथक व्यवस्था की जाती है। (वार्ता)