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Last Updated : मंगलवार, 30 जून 2015 (15:29 IST)

व्यापमं घोटाला : जानिए अब तक का घटनाक्रम

व्यापमं घोटाला : जानिए अब तक का घटनाक्रम - vyapmn scam Madhya Pradesh
मध्यप्रदेश में व्यापमं भर्ती घोटाला सबसे बड़े भर्ती घोटाले के रूप में सामने आ रहा है। इस घोटाले में अब तक 44 संदिग्ध आरोपियों की मौत हो चुकी है। इस घोटाले में कई बड़ी हस्तियां अभी सलाखों के पीछे हैं, जिनमें मध्यप्रदेश के पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा भी हैं। इस घोटाले की जांच हाईकोर्ट पुलिस की स्पेशल इनवेस्टीगेशन टीम (एसटीएफ)  से करवा रही है। इस पूरे घोटाले में करीब 55 मामले दर्ज हुए हैं। 27 मामलों में चालान पेश किए गए हैं। 
इस घोटाले की व्यापकता का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि इस पूरे घोटाले में करीब 3000 लोग आरोपी बनाए गए हैं। इनमें छात्र, इनके माता-पिता, राजनेता, व्यवसायी और दलाल जैसे बड़े लोग शामिल हैं। इस घोटाले में करीब 2000 गिरफ्तारियां हुई हैं। इनमें कुछ जमानत पर हैं तो कुछ जेल में हैं। अभी भी करीब 600 लोग फ़रार बताए जा रहे हैं। 
 
इस घोटाले में बड़ी संख्या में छात्र जेल में हैं, जिन्होंने फर्जी तरीके से परीक्षा दी थी या फिर नौकरियां पाई थीं। इस घोटाले की आंच मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और राज्यपाल रामनरेश यादव तक भी पहुंची। उनके बेटे शैलेश यादव पर आरोप लगे थे कि उन्होंने पैसे लेकर लोगों को नौकरियां दिलवाईं।
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ये हुआ फर्जीवाड़ा- 
- मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिले का फर्जीवाड़ा
- सरकारी नौकरियों में भर्ती का फर्जीवाड़ा
 
नौकरियों के लिए लेते थे इतने रुपए 
- परिवहन विभाग में कंडक्टर पद के लिए 5 से 7 लाख रुपए। 
- फूड इंस्पेक्टर के लिए 25 से 30 लाख रुपए।  
- सब इंस्पेक्टर की भर्ती के लिए 15 से 22 लाख रुपए। 
 
ये हैं व्यापमं घोटाले के मुख्य आरोपी
- लक्ष्मीकांत शर्मा, मध्य प्रदेश के पूर्व शिक्षा मंत्री। 
- पंकज त्रिवेदी, व्यासायिक परीक्षा मंडल के नियंत्रक। 
- नितिन महिंद्रा, व्यापमं के परीक्षा विभाग के सिस्टम एनालिस्ट यानी ऑनलाइन विभाग के सर्वेसर्वा
- ओपी शुक्ला, लक्ष्मीकांत शर्मा के ओएसडी।  
- सुधीर शर्मा, लक्ष्मीकांत शर्मा के करीबी खनन कारोबारी। 
- जगदीश सागर, पीएमटी घोटाले का सरगना। 
 
 
ऐसे होता था फर्जीवाड़ा- 
- छात्रों को फर्जी परीक्षार्थी के करीब बिठाया जाता था ताकि वे नकल कर सकें। 
- छात्रों की जगह फर्जी छात्र बिठा दिए जाते थे। 
- छा‍त्र उत्तरपुस्तिका को खाली छोड़ देता था जिसे बाद में भरा जाता था। 
- रिजल्ट के अंकों को बाद में बढ़ा दिया जाता था। 
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कैसे हुआ घोटाला : मध्यप्रदेश में व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) छात्रों की परीक्षा लेकर उन्हें कॉलेजों में प्रवेश देता है। व्यापमं का कार्य मेडिकल टेस्ट जैसे पीएमटी, इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा व शैक्षिक स्तर पर भर्ती के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं का आयोजन कराना है। 
 
इस घोटाले में आरोप है कि नेताओं और बड़े अधिकारियों से साठगांठ कर मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिले में फर्जीवाड़ा कर भर्तियां की गईं। घोटाले के अंतर्गत अंतर्गत सरकारी नौकरियों में भ्रष्टाचार कर रेवड़ियों की तरह नौकरियां बांटी गईं। व्यापमं घोटाले में सरकारी नौकरी में 1000 फर्जी भर्तियां और मेडिकल कॉलेज में 514 फर्जी भर्तियों का शक है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज ‍सिंह विधानसभा में स्वीकार किया कि 1000 फर्जी भर्तियां हुईं।  
 
ऐसे हुआ खुलासा : 2006 के साल से ही व्यापमं में भर्तियों और प्रवेश परीक्षाओं में गड़बड़ी की खबरें आ रही थीं, लेकिन घोटाले का खुलासा तब हुआ जब 7 जुलाई 2013 में पुलिस ने एमबीबीएस की भर्ती परीक्षा में बैठे कुछ फर्जी छात्रों को गिरफ्तार किया। ये छात्र दूसरे छात्रों के नाम पर परीक्षा दे रहे थे। बाद में पता चला कि मध्यप्रदेश में सालों से एक बड़ा रैकेट चल रहा है, जो फर्जीवाड़ा कर छात्रों को एमबीबीएस में इसी तरह एडमिशन दिलाता है। 
 
जब इन संदिग्ध छात्रों से पूछताछ की गई तो डॉ. जगदीश सागर का नाम सामने आया। जगदीश  सागर को पीएमटी घोटाले का सरगना बताया गया। जगदीश सागर पैसे लेकर फर्जी तरीके से मेडिकल कॉलेजों में छात्रों का एडमिशन करवाता था, जिससे उसने करोड़ों की संपत्ति बना ली थी। 2008 से 2013 के बीच प्री मेडिकल टेस्ट में चुने गए 2200 डॉक्टर और अन्य संदिग्ध बताए गए। 
अगले पन्ने पर, इन परीक्षाओं में हुई धांधलियां... 
 
 

इन परीक्षाओं में हुई धांधलियां-  नापतौल भर्ती परीक्षा। एसआई भर्ती परीक्षा। आरक्षक भर्ती परीक्षा 
दुग्ध संघ भर्ती परीक्षा। संविदा शिक्षक वर्ग- 3 । संविदा शिक्षक वर्ग- 2। वन रक्षक भर्ती परीक्षा 
 
इन वर्षों की मेडिकल एंट्रेस एक्जाम की गई रद्द- 
- 2008 - 42 
- 2009 - 85 
- 2010 - 90 
- 2011 - 98 
- 2012 - 333 
- 2013 - 439 
 
हाईकोर्ट ने किया एसआईटी का गठन : नवंबर 2013 में मप्र हाईकोर्ट ने व्यापमं घोटाले की जांच के लिए एसआईटी का गठन कर सेवा निवृत्त न्यायाधीश को अध्यक्ष बनाकर सुप्रीम कोर्ट ने उस जांच का इंतजार करने तथा एक निश्चित समय सीमा पर कोर्ट में चार्जशीट प्रस्तुत करने का निर्देश एसटीएफ को दिया। व्यापमं घोटाले की जांच विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया। एसआईटी के प्रमुख सेवानिवृत्त न्यायाधीश चंद्रेश भूषण को इस पूरे घोटाले की जांच का जिम्मा सौंपा गया। 
 
मंत्रियों और बड़े अधिकारियों के नाम : जब सागर से पूछताछ की गई तो इसमें मं‍त्री से लेकर बड़े ‍अधिकारियों के नाम का खुलासा हुआ। पूछताछ में यह सामने आया कि व्यावसायिक परीक्षा मंडल यानी व्यापमं का ऑफिस इस काले धंधे का अहम अड्डा था। 
 
सागर ने पुलिस को बताया कि परिवहन विभाग में कंडक्टर पद के लिए 5 से 7 लाख, फूड इंस्पेक्टर के लिए 25 से 30 लाख और सब इंस्पेक्टर की भर्ती के लिए 15 से 22 लाख रुपए लेकर फर्जी तरीके से नौकरियां बांटी जा रही थीं। सागर ने तत्कालीन उच्च और तकनीकि शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा का नाम भी लिया। 
 
गिरफ्तार हुए मंत्रीजी : 16 जून 2014 को मध्य प्रदेश के तत्कालीन शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा को गिरफ्तार कर लिया गया। लक्ष्मीकांत शर्मा मध्य प्रदेश के व्यावसायिक परीक्षा मंडल के भी मुखिया थे। शर्मा पर आरोप यह था कि उनकी ही देखरेख में मध्य प्रदेश में बरसों से फर्जी भर्तियों का धंधा चल रहा है।
 
मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों के एडमिशन का सीधा जिम्मा उच्च शिक्षा मंत्रालय के पास था, लेकिन सरकारी नौकरियों में भर्ती की परीक्षाएं भी इसी विभाग के जरिए करवाई जाती थीं। आरोप ये भी लगा कि लक्ष्मीकांत शर्मा ने अपने रसूख का इस्तेमाल करके दूसरी भर्तियों में भी दखल देते थे।मंत्रीजी इस मामले में अभी भी जेल में हैं। 
 
 
मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा के करीबी खनन कारोबारी सुधीर शर्मा को भी इस घोटाले में संदिग्ध भूमिका पर गिरफ्तार किया गया। आरोप लगे कि व्यापमं के पंकज त्रिवेदी को उच्च शिक्षा विभाग से परीक्षा मंडल में लाने का फैसला भी लक्ष्मीकांत शर्मा ने सुधीर शर्मा के कहने पर ही किया था। आईपीएस अधिकारी आरके शिवहरे को गिरफ्तार किया गया है। शिवहरे पर आरोप था कि  उन्होंने अपनी बेटी नेहा को प्री-पीजी मेडिकल में अनुचित तरीके से भर्ती कराया था। इस मामले में लक्ष्मीकांत शर्मा के खिलाफ एसटीएफ ने सागर को ही गवाह बनाया।  
 
इस घोटाले में अरविंदो मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन डॉ. विनोद भंडारी और व्यापमं के परीक्षा नियंत्रक डॉ. पंकज त्रिवेदी की भी गिरफ्तारी हुईं। शर्मा के ओएसडी ओपी शुक्ला को घोटाले के पैसों के साथ रंगेहाथ गिरफ्तार किया गया था। व्यापम के परीक्षा विभाग के सिस्टम एनालिस्ट यानी ऑनलाइन विभाग के सर्वेसर्वा नितिन महिंद्रा को भी गिरफ्तार किया गया। 
 
15 अप्रैल 2015 को राज्यपाल रामनरेश यादव के ओएसडी रहे धनराज यादव को एसटीएफ ने गिरफ्तार किया। यादव पर संविदा शाला शिक्षक पात्रता परीक्षा वर्ग दो व तीन में छ: उम्मीदवारों को पंकज त्रिवेदी से सांठगांठ कर पास कराए जाने का आरोप था।
 
जांच में हुआ यह खुलासा : जांच में यह खुलासा हुआ कि परीक्षा नियंत्रक डॉ. पंकज त्रिवेदी सीधे लक्ष्मीकांत शर्मा के बंगले पर आते- जाते थे और वहां से उसे फर्जीवाड़े के कैंडीडेट की लिस्ट और रोल नंबर मिलते थे। खबरों के मुताबिक छात्रों की पहचान के लिए थंब इंप्रेशन मशीन और ऑनलाइन फॉर्म की व्यवस्था ही खत्म कर दी गई थी। 
 
कैंडीडेट को फर्जी परीक्षार्थी के करीब बैठाया जाता था, ताकि वो नकल कर सके, कैंडीडेट की जगह फर्जी छात्र बैठा दिए जाते थे, कैंडीडेट आंसर वाली शीट खाली छोड़ देता था जिसे बाद में भरा जाता था और रिजल्ट के अंकों को बाद में बढ़ा दिया जाता था, कॉलेजों के प्रिंसिपल और दलाल भी इस खेल में शामिल थे।
 
संदिग्धों की लगातार मौतों से उठते सवाल : इस मामले में सबसे बड़ा मोड़ आया था, जब मध्यप्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव के बेटे शैलेश यादव की मौत लखनऊ के मॉल एवेन्यू में 25 मार्च को हुई थी। 50 साल के शैलेश अपने घर में संदिग्ध अवस्था में मृत पाए गए थे। मध्यप्रदेश के राज्यपाल रामनरेश भी इस मामले में आरोपी बनाए गए हैं। शैलेश पर 10 उम्मीदवारों की नियुक्ति के लिए करोड़ों रुपए लेने का आरोप था।
 
व्यापंम घोटाले से जुड़े संदिग्धों की मौतों पर लगातार सवाल उठ रहे हैं।  एसआईटी ने हाल में ही अदालत में 42 लोगों की सूची दी, जो इस मामले से जुड़े थे, जिनकी अचानक मौत हो गई जबकि पुलिस सूत्रों का कहना है कि मृ‍तकों की संख्या 32 है। विपक्षी कांग्रेस के मुताबिक इस घोटाले में अब तक 156 संदिग्ध लोगों की मौत हो चुकी है।
 
- 2012-  में घोटाले की आरोपी एक आदिवासी लड़की नम्रता दामोर को ट्रेन से फेंक दिया गया।
- 30 अप्रैल 2015 को एक और संदिग्ध विजय सिंह पटेल की संदिग्ध हालात में बस्तर के होटल से लाश मिली। 
25 मार्च 2015  - मप्र के राज्यपाल राम नरेश यादव के बेटे शैलेश यादव की लखनऊ में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत। व्यापमं घोटाले में शैलेश का नाम सामने आया था।
- जून 28, 2015 - इंदौर में व्यापमं घोटाले में आरोपी कैदी नरेंद्र तोमर की इलाज के दौरान मौत हुई। वह मुरैना में वेटरनरी विभाग में असिस्टेंट फील्ड अफसर था। उसे एसआईटी ने गिरफ्तार कर 15 फरवरी को ही इंदौर भेजा था।
-  26 जून 2015 इस घोटाले में जमानत पर चल रहे डॉ राजेन्द्र आर्य की ग्वालियर के बिरला अस्पताल में मौत हो गई। 
- अमित सागर नाम के एक छात्र की इस साल फरवरी में श्योपुर जिले में एक तालाब में लाश मिली थी, इस घोटाले में संदिग्ध था।