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Last Updated : सोमवार, 20 अप्रैल 2015 (19:40 IST)

सलमान की किस्मत के फैसले की तारीख...

सलमान की किस्मत के फैसले की तारीख... - Salman khan, hit and run case, court, verdict on tuesday
मुंबई। बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान से जुड़े वर्ष 2002 के हिट एंड रन मामले की सुनवाई कर रही एक अदालत ने सोमवार को कहा कि वह इस मामले में फैसला सुनाने की तारीख की मंगलवार को घोषणा करेगी। इस मामले में अभियोजन और बचाव पक्ष ने सोमवार को अपनी दलीलें पूरी कीं।
 
सलमान के वकील ने दलील दी कि चश्मदीद रवींद्र पाटिल के सबूत स्वीकार नहीं किए जाने चाहिए क्योंकि उनका निधन हो चुका है और वह जिरह के लिए उपलब्ध नहीं हैं। उधर, अभियोजन का कहना है कि बचाव पक्ष को चश्मदीद गवाह से जिरह के लिए पर्याप्त अवसर दिया गया था।
 
पाटिल दुर्घटना के समय सलमान का पुलिस अंगरक्षक था और उसने शिकायत में आरोप लगाया था कि 28 सितंबर 2002 को उपनगर बांद्रा में एक बेकरी में अपनी कार टोयोटा लैंड क्रूजर चढ़ाने के समय अभिनेता नशे ही हालत में थे। इस हादसे में एक व्यक्ति की मौत हुई थी जबकि चार अन्य घायल हुए थे।
 
एक संबंधित घटनाक्रम के तहत, सत्र न्यायाधीश डीडब्ल्यू देशपांडेय ने खान की याचिका पर अपराध स्थल को रूपांतरित करने के लिए बांद्रा पुलिस थाने के निरीक्षक और रूपांतरण करने वाली पुलिस टीम की तस्वीरें छापने वाले शहर के दो समाचार पत्रों को अवमानना के नोटिस भेजे।
 
अखबारों ने रविवार को बांद्रा पुलिस थाने की एक पुलिस टीम का समाचार और तस्वीरें छापी थीं। पुलिस टीम यह साबित करने के लिए जुहू में जेडब्ल्यू मारियट होटल से दुर्घटनास्थल तक वाहन से गई कि करीब आठ किलोमीटर की यह दूरी तय करने में 30 मिनट लगते हैं।

सलमान ने पुलिस के इन दावों को खारिज किया था कि वह देर रात सवा दो बजे होटल से निकले थे और 90 से 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ी चलाते हुए पौने तीन बजे बांद्रा के दुर्घटनास्थल पर पहुंचे। 
 
खान के वकील श्रीकांत शिवाडे ने एक आवेदन दायर करके अपराध स्थल को रूपांतरित करने के लिए पुलिस अधिकारी राजेंद्र काने के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की मांग की। उन्होंने दलील दी कि पुलिस को इस समय अपराध की फिर से जांच नहीं करनी चाहिए जब सुनवाई पूरी होने वाली है।
 
विशेष लोक अभियोजक प्रदीप घारत ने भी एक आवेदन दायर करके सलाह मशविरा किये बगैर यह कदम उठाने के लिए काने के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कहा कि उन्होंने अधिकारी को चेताया था कि वह ऐसा कोई कदम नहीं उठाए जिससे अभियोजन को शर्मिंदा होना पड़े। घारत ने कहा कि काने जांच अधिकारी नहीं हैं और वह इस मामले में केवल उनकी मदद कर रहे हैं।
 
उन्होंने कहा, ‘उन्हें यह नहीं करना चाहिए था।’ एक अन्य घटनाक्रम के तहत, अदालत ने सामाजिक कार्यकर्ता संतोष दौंदकर द्वारा दायर आवेदन पर 23 अप्रैल को सुनवाई करने का फैसला किया जिसमें इस मामले में झूठी गवाही देने के लिए पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई।
 
कार्यकर्ता ने कहा कि पुलिस ने इस मामले में सबूतों पर गौर करने के लिए गलत डॉक्टरों की सेवाएं लीं और इससे न केवल सुनवाई प्रभावित हुई बल्कि इसमें अनावश्यक विलंब भी हुआ। अदालत 23 अप्रैल को इस आवेदन पर सुनवाई करेगी। (भाषा)