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Written By अरविंद शुक्ला
Last Updated : गुरुवार, 30 अक्टूबर 2014 (17:55 IST)

राजभवन कोई खुफिया एजेंसी नहीं : राज्यपाल राम नाईक

राजभवन कोई खुफिया एजेंसी  नहीं : राज्यपाल राम नाईक -
लखनऊ। राज्यपाल के पास कोई काम नहीं है या राज्यपाल का पद आराम करने का है, यह कहना सही नही है। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने कही। उन्होंने कहा कि वे उत्तर प्रदेश के राज्यपाल रहते हुए अपनी संवैधानिक लक्ष्मण रेखा और दायित्व का ध्यान रखते हुए कार्य कर रहे हैं। राज्यपाल के रूप में पहला काम है जवाबदेही। राजभवन कोई खुफिया एजेंसी  नहीं है। राज्यपाल ने कहा कि संवाद की प्रभावी आवश्यकता है।  
1978 में पहली बार विधायक बने राम नाईक गोरी गांव मुम्बई से तीन बार विधायक तथा उत्तर मुंबई से पांच बार सांसद रह चुके हैं। 2004 सांसद के रूप में राम नाईक का अंतिम वर्ष था।  
 
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल ने अपने क्षेत्र में जनप्रतिनिधि होने के नाते हर वर्ष अपनी वार्षिक रिपोर्ट मतदाताओं से जवाबदेही भूमिका में प्रस्तुत करते रहे हैं। जब वे सांसद थे तो उन्होंने प्रति वर्ष 'लोकसभा में राम नाईक' का प्रकाशन किया। 
 
वर्ष 2004 के बाद चुनाव हारने के बाद भी उन्होंने जनसेवा का राजनैतिक कार्य जारी रखा। इस दौरान भी उन्होंने अपना वार्षिक कार्यवृत्त 'लोक सेवा में राम नाईक' प्रकाशित किया। 22 जुलाई 2014 को राम नाईक ने उत्तर प्रदेश के राज्यपाल पद की शपथ ली।   
22 अक्टूबर को राज्यपाल के रूप में उनके तीन माह पूरे हो रहे हैं। उसी क्रम में उनकी पुत्री श्रीमती विशाखा कुलकर्णी ने एक पुस्तक 'राजभवन में राम नाईक' प्रकाशित की, जिसका विमोचन राज्यपाल राम नाईक ने किया और कहा कि मुझे विश्वास है कि इस पुस्तक के माध्यम से मीडिया तथा उत्तर प्रदेश की जनता को उनकी गतिविधियों और कार्य पद्धति के बारे में जानने का अवसर मिलेगा। 
 
उन्होंने कहा कि मेरी जानकारी का एक महत्वपूर्ण स्रोत समाचार-पत्र और समाचार चैनल भी हैं। मैं जब सुबह समाचार पत्र देखता हूँ तो आगे दिन में मुझे क्या करना है इसकी एक रूपरेखा मन में तैयार होती है। पत्रकार मेरे काम में सहायक हैं, इसलिए उन्होंने पत्रकारों आभार माना।  
 
उन्होंने कहा कि मेरे मुंबई में 50 वर्षो के सार्वजनिक जीवन में एक भी अवसर ऐसा कभी नहीं आया, जब मैंने जो कहा वह नहीं छपा हो। उन्होंने मीडिया से भविष्य में भी संवाद बनाए रखने की अपील की है। 
 
प्रदेश की कानून व्यवस्था पर राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि वे प्रदेश के मुख्यमंत्री से समय समय पर कानून व्यवस्था पर बात करते हैं, पत्र भी उन्होंने लिखे हैं। समय समय पर उन्हें बताया गया कि कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने की व्यवस्था कर रहे हैं। 
राज्यपाल ने कहा कि कानून व्यवस्था पर जैसा काम होना चाहिए, वैसा नहीं हो रहा है। राज्यपाल ने कहा कि कानून व्यवस्था पर लगातार प्रयत्न करना होगा। उन्होंने कहा कि वे संविधान के अनुसार काम कर रहे हैं। 
 
उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी ने कुछ संदर्भों में राज्यपाल के प्रति अपने सम्मेलन में राजनीतिक प्रस्ताव में भी राज्यपाल के कामकाज पर आपत्ति व्यक्त की है, ऐसा उन्होंने मात्र समाचार पत्रों में पढ़ा है किन्तु समाजवादी पार्टी ने कोई प्रस्ताव अब तक उन तक कोई प्रस्ताव नहीं भेजा है। 
 
राज्यपाल के अनुसार राजनैतिक वक्तव्य पर उन्हें कुछ नही कहना है। राज्यपाल का पद राज्य सरकारों को संविधान के अनुसार काम कराने के लिए बना है। अब तो सूचना के अधिकार के तहत आम आदमी सभी जानकारियां प्राप्त कर सकता है।   
 
राज्यपाल ने कहा कि जो जानकारी प्रदेश के हित में है, उसे देना मैं अपना कर्तव्य समझता हूं। जनतंत्र का प्रमुख अंग संवाद है। मैंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा। सरकार ने अध्यादेश मंजूरी के लिए भेजा तो कहा कि प्रस्ताव सरकार भी बताए लोगों को। लोग यह न कहें कि राज्यपाल ने अध्यादेश को राजभवन में ठंडे बस्ते में रख लिया। 
 
राम नाईक ने कहा कि राजभवन कोई खुफिया एजेंसी नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि प्रदेश का मंत्री या सार्वजनिक पद पर बैठा कोई व्यक्ति गलत काम करता है तो लोकायुक्त के पास शिकायतें देनी चाहिए। सरकार शिकायतों पर कुछ न बताए तो मुझे बताएं। मैं मुख्यमंत्री से पूछता हूं। उत्तर नहीं आता तो मैं पत्र के माध्यम से राय लेता हूं। मैं मामले को विधानमंडल में रखने को भेज सकता हूं। लोकायुक्त की राय मुख्यमंत्री को भेज देता हूं। 
 
राज्यपाल ने बताया कि पूर्व भ्रष्ट मंत्रियों के खिलाफ जो शिकायतें उन्हें लोकायुक्त ने भेजी थी, वे सिफारिशें उन्होंने मुख्यमंत्री को भेज दी है और मुख्यमंत्री ने उनकी एकनालेजमेंट भी भेज दी है। 
 
राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि उन से अब तक 1700 लोग प्रतिनिधिमण्डल के माध्यम से या व्यक्तिगत रूप से मिल चुके हैं। अब तक वे 45 कार्यक्रमों में हिस्सा ले चुके है। उन्होंने कहा कि वे तीन माह के अपने कार्यकाल से सन्तुष्ट हैं। 
 
राज्यपाल ने बताया कि वे प्रदेश के 24 विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति (चांसलर) है। प्रदेश के 3 विश्वविद्यालय नए है। प्रदेश के 8 विश्वविद्यालयों में कुलपति नहीं थे अतिरिक्त प्रभार दिया गया था। हाल ही में दो विश्वविद्यालयों फैजाबाद के आचार्य नरेन्द्रदेव विश्वविद्यालय तथा इलाहाबाद में विश्वविद्यालय में नए कुलपति नियुक्त हो गए है। 
 
संजय गांधी पीजीआई के निदेशक का चयन तथा छत्रपति शाहू जी विश्वविद्यालय में कुलपति का चयन शीघ्र होना है। 4 अन्य विश्वविद्यालयों के कुलपति का चयन प्रक्रिया जारी है। 21 विश्वविद्यालयों में दीक्षान्त समारोहों की तिथि को अन्तिम रूप दिया जा चुका है।
 
एक प्रश्न के उत्तर मे राम नाईक ने कहा कि पेट्रोलियम मंत्री के रूप में उनके द्वारा चलाए गए सुधार कार्यक्रमों को पूर्ववर्ती सरकार ने लागू नहीं किए, जिससे आयात पर निर्भरता बढ़ी है। उन्होंने कहा कि पेट्रोल डीजल के दाम अब कम हुए हैं, परिणाम स्वरूप मंहगाई अब कम होगी। 
 
राज्यपाल रामनाईक ने लखनऊ मेंट्रो के भूमिपूजन को राज्य सरकार की उपलब्धि बताई किन्तु उन्होने तय समय में काम पूरा होने पर शंका व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि मुंबई में मेट्रो का काम वर्ष 2005 में शुरू हुआ था, जिसको पूरा होने में 8-9 साल लगे। लखनऊ मेट्रो के काम में सर्तक रहने को कहा है। सपा सरकार द्वारा बनाए जनेश्वर मिश्र पार्क के विज्ञापन राज्यपाल को अच्छा लगा है। 
 
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को राजभवन में भोज देने के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि उन्होंने जनता दरबार न लगाने का निर्णय लिया है। राजभवन के द्वार सबके लिए खुले है। उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत मित्रों को यदि भोजन पर न बुलाता तो उन्हें अच्छा न लगता। 
 
राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के विचारों की मदद करने वाले बहुत हैं। उन्होंने कहा कि मैंने सपा मुखिया मुलायम सिंह, बसपा नेत्री मायावती, कांग्रेस की डॉ. रीता बहुगुणा जोशी और जदयू नेता शरद यादव को भी राजभवन आमंत्रित किया था और कहा कि राजनीति में अस्पृश्यता बुरी है।