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Last Updated :नई दिल्ली। , रविवार, 19 अक्टूबर 2014 (18:41 IST)

लोकतंत्र के 67 साल बाद भी राजशाही पदवियों का समर्थन?

लोकतंत्र के 67 साल बाद भी राजशाही पदवियों का समर्थन? - New Delhi, democracy
नई दिल्ली। देश भले ही 67 साल पहले लोकतंत्र की चौखट पर कदम रख चुका हो लेकिन लगता है कि नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) पूर्व रियासतों, राजे-रजवाड़ों की धरोहर को बनाए रखना चाहती है। उसने पूर्व राजाओं के नामों पर रखे गए सड़कों के नाम से राजशाही पदवी हटाने से इंकार कर दिया है।

दरअसल, यह मामला सरोजिनी नगर के आई एवेन्यू और कैनिंग रोड से जुड़ा है जिनका नाम वर्ष 2002 में बदलकर क्रमश: राजमाता विजयाराजे सिंधिया मार्ग और श्रीमंत माधवराव सिंधिया मार्ग कर दिया गया था।

आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल ने हाल ही में शहरी विकास मंत्रालय को पत्र लिखकर इन मार्गों के नामकरण में राजशाही पदवी शामिल किए जाने की शिकायत की थी।

यह शिकायत एनडीएमसी को भेजी गई जिसके बाद नगर निकाय ने पदवियों का जोरदार समर्थन करते हुए उन्हें वापस पत्र लिखा और उन्हें हटाने के सुझाव को सीधे-सीधे खारिज कर दिया। ये पदवियां सड़कों के नाम बदलने के दौरान जोड़ी गई थीं।

फाइल नोटिंग में एनडीएमसी के जवाब का खुलासा हुआ है जिसमें कहा गया है, परिषद का स्पष्ट निर्णय है कि ‘राजमाता विजयराजे सिंधिया’, ‘श्रीमंत माधवराव सिंधिया’ के नामों पर नामकरण किए गए सड़कों के सिलसिले में यथास्थिति बनी रहेगी।

विडंबना है कि बहादुर शाह जफर, अशोक, औरंगजेब, अकबर आदि सम्राटों के नामों पर नाम रखे गए सड़कों के नामों में एनडीएमसी ने कोई पदवी नहीं जोड़ी है। (भाषा)