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Last Updated :नई दिल्ली , मंगलवार, 23 सितम्बर 2014 (17:42 IST)

छात्रा से छेड़छाड़, शिक्षिका के पति को जेल

छात्रा से छेड़छाड़, शिक्षिका के पति को जेल - minor student
नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने एक नाबालिग छात्रा का शील भंग करने वाले व्यक्ति की दोषसिद्धि को यह कहते हुए दरकिनार करने से इनकार कर दिया कि ऐसी घटनाओं की जानकारी पुलिस को देने की लोगों को हिम्मत मिलनी चाहिए।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शैल जैन ने अपराध के लिए दो महीने की कैद की सजा सुनाने वाले मजिस्ट्रेटी अदालत के आदेश के खिलाफ छात्रा की शिक्षिका के पति गौरी शंकर की अपील खारिज कर दी। 
 
अदालत ने कहा, ऐसे मामलों में समाज की प्रतिक्रिया के मद्देनजर लोगों को यह हिम्मत मिलनी चाहिए कि वह मामले की जानकारी पुलिस को दें। अदालत ने शंकर की यह दलील स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने में देरी हुई और कहा, पुलिस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच करने में समय लेती है। 
 
न्यायाधीश ने कहा, मेरा विचार है कि यह नहीं कहा जा सकता कि प्राथमिकी दर्ज करने में विलंब हुआ और यदि थोड़ी देरी हुई भी है तो भी यह अभियोजन के लिए हानिकारक नहीं है क्योंकि ऐसा कुछ भी रिकॉर्ड में नहीं है कि देरी होने से अभियोजन ने कुछ तथ्यों में बदलाव किया। 
 
अदालत ने दोषी की यह दलील भी ठुकरा कर दी कि पीड़िता, उसकी मां और पिता के बयानों में फर्क है। अदालत ने कहा, मेरा विचार है कि यह तथ्य कि आरोपी छात्रा के पास बैठा और उसका हाथ पकड़ा और उसके चेहरे या शरीर के अन्य हिस्सों को छूआ साबित करता है कि उसने लड़की का शील भंग करने का प्रयास किया। 
 
अदालत ने शंकर की निचली अदालत के फैसले के खिलाफ दायर अपील खारिज करते हुए दोषी की दोषसिद्धि बरकरार रखी और कहा कि उसे भारतीय दंड संहिता की धारा 354 के तहत दो महीने की सजा काटने के साथ ही पांच हजार रुपए का जुर्माना भरना होगा।
 
अभियोजन के अनुसार 30 मई 2012 को पूर्वाह्न 11 बजे नाबालिग छात्रा ट्यूशन पढ़ने के लिए ट्यूटर के घर गई जहां शंकर ने लड़की को बताया कि शिक्षिका घर पर नहीं है। छात्रा कमरे में पहुंची और पढ़ने लगी। 
 
इसी दौरान शंकर वहां पहुंचा और वह लड़की को अनुचित ढंग से छूने का प्रयास करने लगा। इस पर छात्रा वहां से भाग गई। लड़की ने बाद में अपने अभिभावकों को बताया और शंकर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई। बाद में शंकर को गिरफ्तार कर लिया गया था। (भाषा)